पंडित हनुमान मिश्रा
अंक ज्योतिष भी भविष्य जानने की और भविष्य को और बेहतर करने की एक अच्छी विधा है। इस विधा के द्वारा भी ज्योतिष की अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। आज हम यहां बात करने जा रहे हैं। अंकज्योतिष की विवाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली भूमिका की। विवाह जैसे महत्वपूर्ण विषय में अंक ज्योतिष और उसके उपाय काफी मददगार साबित होते हैं। लेकिन सामान्यत: विवाह के प्रकरण में अंकज्योतिषी वर वधू के मूलांक की आपसी मित्रता को देखने के बाद विवाह को उचित या अनुचित होने का प्रमाण पत्र दे देते हैं। यहां पर मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसा सभी अंकशास्त्री करते हैं लेकिन ऐसा करने वालों का प्रतिशत अधिक है। वास्तव में विवाह जैसे मामले में अंक ज्योतिष के तीनों पैमानों का प्रयोग करना उत्तम परिणाम देने वाला रहता है। वो तीन पैमाने मूलांक (Root Number), भाग्यांक (Destiny Number) और नामांक (Name Number) हैं। विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है। यदि इन तीनों का मिलान सकारात्मक रहे तो वैवाहिक जीवन के सुखद रहने की सम्भावना प्रबल होती है।
यद्यपि मेरा यह आलेख सबके लिए उपयोगी है लेकिन फिर भी यह उन लोगों के अधिक उपयोगी सिद्ध होगा जिन्हें अपने जन्म का सही समय नहीं पता हो। क्योकि वैदिक ज्योतिष में बिना सही समय के सटीक मिलान में व्यवधान आता है। इसके अलावा ये विधा उन लोंगों के लिए आशा की किरण साबित हो सकती है जिनका मिलाप वैदिक ज्योतिष के अनुसार उचित नहीं आ रहा है। यहां एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं वैदिक ज्योतिष को अंक ज्योतिष की तुलना में कमजोर नहीं कह रहा हूं। यहां मैं केवल इतना कह रहा हूं कि यदि वैदिक ज्योतिष के अनुसार मिलान ठीक न हो लेकिन अंकज्योतिष की तीनों कसौटियों के अनुसार विवाह उचित हो तो सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है। इसके अलावा यह आलेख उन लोगों के लाभप्रद सिद्ध हो सकता है जिन्हें उनकी जन्मतिथि उत्यादि की जानकारी बिल्कुल न हो। ऐसे में यदि कोई अपने नामाक्षर के नक्षत्र के अनुसार गुण मिलान करने के अलावा, अंकज्योतिष के अनुसार नामांक मिलान करा कर विवाह करता है तो भी सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है।
अपने नाम के अनुसार अंकज्योंतिष अंको पर आधारित एक ज्योतिषीय विधा है। अंकज्योंतिष के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों का अपना एक निश्चत अंक होता है। जिन अंकों के बीच मित्रता होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच अच्छा तालमेल होता है इसके विपरीत जिन अंकों में मित्रता नहीं होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच तालमेल नहीं हो पाता। अंकज्योंतिष मुख्यत: मूलांक, भाग्यांक और नामांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फल कथन किया जाता है। यदि विवाह के मामले पर बात की जाय तो वर और वधू के अंकों के आपसी मेल के आधार पर उनका विवाह कराया जा सकता है। कभी-कभी कुछ ऐसे प्रेम करने वाले भी मिल जाते हैं जो अपने प्रेम पात्र को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे में यदि उनका सम्यक गुण मिलान, मूलांक या भाग्यांक अंक मिलान नहीं हो पाता तो वे इन सबको नजर अंदाज करने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसे विवाह का हश्र ठीक नहीं होता है। ऐसे में अंकज्योतिष कुछ मददगार सिद्ध हो सकती है। ऐसे में अन्य ज्योतिषीय उपायों के साथ दोनों के नाम की स्पेलिंग में कुछ ऐसा बदलाव किया जाता है जिससे दोनों के नामांक एक दूसरे की मित्रता वाले हो जाएं।
सबसे पहले वर और वधू के मूलांकों का मिलान किया जाता है। जिससे उनके रहन-सहन एवं विचारधारा में सामंजस्य बना रहे। इसके बाद उनके भाग्यांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके मिलन से एक दूसरे की होने वाली भाग्योन्नति का पता चलता है। इसके बाद उनके नामांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके जीवन के सभी क्षेत्रों पर पडने वाले प्रभाव का पता चलता है।
मूलांक जन्म की तारीख के योग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म किसी भी महीने और साल की 1 तारीख को हुआ है तो मूलांक 1 होगा ऐसे ही 2 तारीख को हुआ तो मूलांक 2 हुआ, जन्म 9 तारीख को हुआ तो मूलांक 9 हुआ। इसके आगे की जितनी भी तारीखें हैं उनका योग कर लेना चाहिए जैसे यदि जन्म 24 तारीख को हुआ तो मूलांक 2+4=6 होगा।
भाग्यांक जन्म की तारीख, महीने और साल के महायोग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ है तो उसका भाग्यांक 1+9+9+1+9+9+2=4 होगा।
नामांक ज्ञात करने के लिए वर वधू दोनों के नामों को अंग्रेजी में अलग अलग लिखना चाहिए। प्रत्येक अक्षर का एक अंक होता है अत: नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है। जैसे यदि किसी का नाम विशाल है तो अंग्रेजी में उसका नाम लिखा जाएगा VISHAL, यहां कीरो मेथड से V का अंक 6,I का अंक 1, S का अंक 3, H का अंक 5, A का अंक 1 और L का अंक 3 होगा। अब VISHAL के सभी अक्षरांको को जोडा जाएगा। जिसका नामांक 6+1+3+5+1+3=19 हुआ अब 1 और 9 को जोडा जाएगा यानी 1+9=10 हुआ। यह योग भी दो अंकों में है अत: इन्हें फिर से आपसे में जोडना चाहिए जो कि 1+0=1 होगा। अत: विशाल का नामांक 1 हुआ।
यहां पर ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अगर मूलांक, भाग्यांक या नामांक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में बांटकर पुन: योग किया जाता है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक कि वह एक अंक का न हो जाय।
उपरोक्त उदाहरण के माध्यम से यदि यह पूछा जाय कि विशाल नामक व्यक्ति, जिसका जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ उसका मूलांक, भाग्यांक और नामांक क्या है? इसका उत्तर यह है कि उसका मूलांक1, भाग्यांक 4, और नामांक 1 है।
यहां पर संक्षिप्त में यह समझ लेना है कि जिसका जो अंक अर्थात मूलांक, भाग्यांक या नामांक है यदि उसके जीवन साथी या प्रेम पात्र का अंक उसके अतिमित्र के कालम वाला है तो उनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा रहेगा। यदि मित्र अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा। यदि सम अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन सामान्य रहेगा अर्थात कुछ विसंगतियां रह सकती हैं लेकिन निर्वाह होता रहेगा। जबकि अंको में आपसी शत्रुता होने पर दाम्पत्य जीवन कष्टकारी रह सकता है।
आइए इस बात को इस उदाहारण के माध्यम से समझ लेते हैं। आइए जानते हैं कि 1 अंक वाले वर के लिए विभिन्न अंक वाली कन्याएं कैसी रहेंगी। अंकशास्त्र के नियम के अनुसार अगर वर का अंक 1 है और वधू का अंक भी एक है तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में कलह की स्थिति होगी। कन्या का अंक 2 होने पर सामान्यतय: दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। वर का अंक 1 हो और कन्या का तीन तो दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। दोनों के बीच प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध रहता है। कन्या का 4 होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद होता रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. 5 अंक वाली कन्या के साथ मौखिक वाद-विवाद होने की सम्भावना रहती है। 6 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है 7 अंक वाली कन्या के साथ 1 अंक के वर का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं 1 अंक के वर का विवाह 8 अंक वाली कन्या से होने पर वैवाहिक जीवन में सुख की कमी रहती है। जबकि 9 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है। इसी तरह हम अन्य अंकों को भी समझ सकते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में हमने जहां पर अंक लिखा है उसमें तीनों कसौटियों को शामिल करना है। तीनों कसौटियां यानि कि मूलांक, भाग्यांक और नामांक। उपरोक्त सारणी तीनों ही स्थितियों विचारणीय होगी। यदि वर और कन्या के मूलांक, भाग्यांक और नामांक तीनों में मित्रता हो तो दाम्पत्य जीवन बहुत सुखी होता है, यदि दो में मित्रता हो तो सामान्यत: ठीक रहता है और यदि केवल एक की मित्रता हो तो विवादों के बाद किसी तरह निर्वाह हो सकता है लेकिन यदि तीनों कसौटियां विपरीत परिणाम दर्शा रहीं हों तो विवाह से बचना चाहिए। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि इनमें से एक कसौटी यानी कि नामांक को सुधारा जा सकता है। अत: जिनका दाम्पत्य जीवन दुखी हो इस विधा से उसमें बेहतरी लाई जा सकती है।
अंक ज्योतिष भी भविष्य जानने की और भविष्य को और बेहतर करने की एक अच्छी विधा है। इस विधा के द्वारा भी ज्योतिष की अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। आज हम यहां बात करने जा रहे हैं। अंकज्योतिष की विवाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली भूमिका की। विवाह जैसे महत्वपूर्ण विषय में अंक ज्योतिष और उसके उपाय काफी मददगार साबित होते हैं। लेकिन सामान्यत: विवाह के प्रकरण में अंकज्योतिषी वर वधू के मूलांक की आपसी मित्रता को देखने के बाद विवाह को उचित या अनुचित होने का प्रमाण पत्र दे देते हैं। यहां पर मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसा सभी अंकशास्त्री करते हैं लेकिन ऐसा करने वालों का प्रतिशत अधिक है। वास्तव में विवाह जैसे मामले में अंक ज्योतिष के तीनों पैमानों का प्रयोग करना उत्तम परिणाम देने वाला रहता है। वो तीन पैमाने मूलांक (Root Number), भाग्यांक (Destiny Number) और नामांक (Name Number) हैं। विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है। यदि इन तीनों का मिलान सकारात्मक रहे तो वैवाहिक जीवन के सुखद रहने की सम्भावना प्रबल होती है।
यद्यपि मेरा यह आलेख सबके लिए उपयोगी है लेकिन फिर भी यह उन लोगों के अधिक उपयोगी सिद्ध होगा जिन्हें अपने जन्म का सही समय नहीं पता हो। क्योकि वैदिक ज्योतिष में बिना सही समय के सटीक मिलान में व्यवधान आता है। इसके अलावा ये विधा उन लोंगों के लिए आशा की किरण साबित हो सकती है जिनका मिलाप वैदिक ज्योतिष के अनुसार उचित नहीं आ रहा है। यहां एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं वैदिक ज्योतिष को अंक ज्योतिष की तुलना में कमजोर नहीं कह रहा हूं। यहां मैं केवल इतना कह रहा हूं कि यदि वैदिक ज्योतिष के अनुसार मिलान ठीक न हो लेकिन अंकज्योतिष की तीनों कसौटियों के अनुसार विवाह उचित हो तो सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है। इसके अलावा यह आलेख उन लोगों के लाभप्रद सिद्ध हो सकता है जिन्हें उनकी जन्मतिथि उत्यादि की जानकारी बिल्कुल न हो। ऐसे में यदि कोई अपने नामाक्षर के नक्षत्र के अनुसार गुण मिलान करने के अलावा, अंकज्योतिष के अनुसार नामांक मिलान करा कर विवाह करता है तो भी सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है।
अपने नाम के अनुसार अंकज्योंतिष अंको पर आधारित एक ज्योतिषीय विधा है। अंकज्योंतिष के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों का अपना एक निश्चत अंक होता है। जिन अंकों के बीच मित्रता होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच अच्छा तालमेल होता है इसके विपरीत जिन अंकों में मित्रता नहीं होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच तालमेल नहीं हो पाता। अंकज्योंतिष मुख्यत: मूलांक, भाग्यांक और नामांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फल कथन किया जाता है। यदि विवाह के मामले पर बात की जाय तो वर और वधू के अंकों के आपसी मेल के आधार पर उनका विवाह कराया जा सकता है। कभी-कभी कुछ ऐसे प्रेम करने वाले भी मिल जाते हैं जो अपने प्रेम पात्र को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे में यदि उनका सम्यक गुण मिलान, मूलांक या भाग्यांक अंक मिलान नहीं हो पाता तो वे इन सबको नजर अंदाज करने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसे विवाह का हश्र ठीक नहीं होता है। ऐसे में अंकज्योतिष कुछ मददगार सिद्ध हो सकती है। ऐसे में अन्य ज्योतिषीय उपायों के साथ दोनों के नाम की स्पेलिंग में कुछ ऐसा बदलाव किया जाता है जिससे दोनों के नामांक एक दूसरे की मित्रता वाले हो जाएं।
अंक शास्त्र से वर वधू का गुण मिलान
सबसे पहले वर और वधू के मूलांकों का मिलान किया जाता है। जिससे उनके रहन-सहन एवं विचारधारा में सामंजस्य बना रहे। इसके बाद उनके भाग्यांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके मिलन से एक दूसरे की होने वाली भाग्योन्नति का पता चलता है। इसके बाद उनके नामांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके जीवन के सभी क्षेत्रों पर पडने वाले प्रभाव का पता चलता है।
मूलांक क्या है?
मूलांक जन्म की तारीख के योग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म किसी भी महीने और साल की 1 तारीख को हुआ है तो मूलांक 1 होगा ऐसे ही 2 तारीख को हुआ तो मूलांक 2 हुआ, जन्म 9 तारीख को हुआ तो मूलांक 9 हुआ। इसके आगे की जितनी भी तारीखें हैं उनका योग कर लेना चाहिए जैसे यदि जन्म 24 तारीख को हुआ तो मूलांक 2+4=6 होगा।
भाग्यांक क्या है?
भाग्यांक जन्म की तारीख, महीने और साल के महायोग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ है तो उसका भाग्यांक 1+9+9+1+9+9+2=4 होगा।
नामांक क्या है?
नामांक ज्ञात करने के लिए वर वधू दोनों के नामों को अंग्रेजी में अलग अलग लिखना चाहिए। प्रत्येक अक्षर का एक अंक होता है अत: नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है। जैसे यदि किसी का नाम विशाल है तो अंग्रेजी में उसका नाम लिखा जाएगा VISHAL, यहां कीरो मेथड से V का अंक 6,I का अंक 1, S का अंक 3, H का अंक 5, A का अंक 1 और L का अंक 3 होगा। अब VISHAL के सभी अक्षरांको को जोडा जाएगा। जिसका नामांक 6+1+3+5+1+3=19 हुआ अब 1 और 9 को जोडा जाएगा यानी 1+9=10 हुआ। यह योग भी दो अंकों में है अत: इन्हें फिर से आपसे में जोडना चाहिए जो कि 1+0=1 होगा। अत: विशाल का नामांक 1 हुआ।
यहां पर ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अगर मूलांक, भाग्यांक या नामांक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में बांटकर पुन: योग किया जाता है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक कि वह एक अंक का न हो जाय।
उपरोक्त उदाहरण के माध्यम से यदि यह पूछा जाय कि विशाल नामक व्यक्ति, जिसका जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ उसका मूलांक, भाग्यांक और नामांक क्या है? इसका उत्तर यह है कि उसका मूलांक1, भाग्यांक 4, और नामांक 1 है।
मूलांक, भाग्यांक और नामांक मिलान फल:
सारणी:-अंक | अतिमित्र | मित्र | सम | शत्रु |
1 | ------ | 2,3,6,7,9 | 1,8 | 4,5 |
2 | 2,6,9 | 1,4,7 | 3,8 | 5 |
3 | 6,9 | 1,5 | 2,4,7 | 3,8 |
4 | 4,6 | 2,7,8,9 | 3,5 | 1 |
5 | ------ | 3 | 4,6,7,8,9 | 1,2,5 |
6 | 2,3,4,6,9 | 1 | 5,7,8 | ------ |
7 | 7,9 | 1,2,4,6 | 3,5,8 | ------ |
8 | ------ | 4,6 | 1,2,5,7,8,9 | 3 |
9 | 2,3,6,7,9 | 1,4 | 5,8 | ------ |
यहां पर संक्षिप्त में यह समझ लेना है कि जिसका जो अंक अर्थात मूलांक, भाग्यांक या नामांक है यदि उसके जीवन साथी या प्रेम पात्र का अंक उसके अतिमित्र के कालम वाला है तो उनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा रहेगा। यदि मित्र अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा। यदि सम अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन सामान्य रहेगा अर्थात कुछ विसंगतियां रह सकती हैं लेकिन निर्वाह होता रहेगा। जबकि अंको में आपसी शत्रुता होने पर दाम्पत्य जीवन कष्टकारी रह सकता है।
आइए इस बात को इस उदाहारण के माध्यम से समझ लेते हैं। आइए जानते हैं कि 1 अंक वाले वर के लिए विभिन्न अंक वाली कन्याएं कैसी रहेंगी। अंकशास्त्र के नियम के अनुसार अगर वर का अंक 1 है और वधू का अंक भी एक है तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में कलह की स्थिति होगी। कन्या का अंक 2 होने पर सामान्यतय: दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। वर का अंक 1 हो और कन्या का तीन तो दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। दोनों के बीच प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध रहता है। कन्या का 4 होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद होता रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. 5 अंक वाली कन्या के साथ मौखिक वाद-विवाद होने की सम्भावना रहती है। 6 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है 7 अंक वाली कन्या के साथ 1 अंक के वर का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं 1 अंक के वर का विवाह 8 अंक वाली कन्या से होने पर वैवाहिक जीवन में सुख की कमी रहती है। जबकि 9 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है। इसी तरह हम अन्य अंकों को भी समझ सकते हैं।
उपरोक्त उदाहरण में हमने जहां पर अंक लिखा है उसमें तीनों कसौटियों को शामिल करना है। तीनों कसौटियां यानि कि मूलांक, भाग्यांक और नामांक। उपरोक्त सारणी तीनों ही स्थितियों विचारणीय होगी। यदि वर और कन्या के मूलांक, भाग्यांक और नामांक तीनों में मित्रता हो तो दाम्पत्य जीवन बहुत सुखी होता है, यदि दो में मित्रता हो तो सामान्यत: ठीक रहता है और यदि केवल एक की मित्रता हो तो विवादों के बाद किसी तरह निर्वाह हो सकता है लेकिन यदि तीनों कसौटियां विपरीत परिणाम दर्शा रहीं हों तो विवाह से बचना चाहिए। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि इनमें से एक कसौटी यानी कि नामांक को सुधारा जा सकता है। अत: जिनका दाम्पत्य जीवन दुखी हो इस विधा से उसमें बेहतरी लाई जा सकती है।
An jyotish se bhayishya ko jansekte ha
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