जगमोहन महाजन
"अच्छा भला काम चल रहा था पता नहीं किसकी नज़र लग गयी "
यह शिकायत शर्मा जी अपनी पत्नी से कर रहे थे !
शर्मा जी की पत्नी का जवाब .....
"आप तो कहा करते थे ,अगर कुछ रकम मिल जाये तो काम बहुत ही बढ़िया चल निकलेगा !
अब तो आपने बेटी ने जो पैसा अपनी पगार का ,, अपनी शादी के लिए जोड़ा था ,उसको अपने काम में लगा दिया है ,कुछ दिन ठीक रहा ,आप खुश भी थे ,आज फिर से आप तंगी का रोना रो रहे हैं !"
यह तो हुई एक घर में हो रही बातचीत का ब्यौरा !
अब दूसरी तरफ चलते हैं !
चोपड़ा जी की बेटी का तलाक हो गया ..तलाक के बदले मिली रकम करीब पचहतर लाख (75 lac ) !
चोपड़ा जी ने वो रकम अपने कारोबार में लगा दी यह सोच कर कि जब भी ज़रूरत होगी (दुबारा शादी के समय ) बेटी पर लगा देंगे या उसको दे देंगे !
उस रकम से निवेश किया और विदेश से आया माल काफी मुनाफे पर बिक गया (चोपड़ा जी का इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का व्योपार है ) !
लेकिन दूसरी बार आया माल सरकार (कस्टम वालो ) ने रोक लिया और काफी दिनों / महीनो बाद ..काफी बड़ा जुर्माना लगाने के बाद छोड़ा ! इतनी देर में उस माल का बाज़ार मूल्य भी कम हो गया और जुर्माना आदि की रकम जोड़ कर उस माल को बेचने पर भी करीब करीब पचास लाख का घाटा हो गया !
तीसरी बार भी कुछ कुछ ऐसा ही हो गया और काफी घाटा हो गया ! बाज़ार में अब चोपड़ा जी की साख भी कम होने लग गयी !
शर्मा जी व चोपड़ा जी जब ज्योतिषियों से मिले तो सब ने बताया कि आपकी कुंडली तो बहुत ही बढ़िया है ..गज केसरी योग है और वो भी नवम भाव में !
गज केसरी योग ...गुरु +चन्द्र की युती का होना एक जन्म कुंडली में बहुत ही महत्त्व रखता है , और इसका फल बहुत ही अच्छा गिना गया है !
जिनका भी गुरु + चन्द्र (गज केसरी ) खाना नम्बर नौ / नवें भाव में हो उनके लिए हिदायत है :-
जब कभी लड़की की कीमत या उसका पैसा (धन दौलत ) लेकर खावे ..चन्द्र और गुरु दोनों का फल मंदा बल्कि ज़हरीला ही होगा !
अब ऊपर लिखित दोनों में एक बात समान है कि दोनों व्यक्ति अपनी बेटी के धन दौलत से अपना व्योपार को बड़ा कर घर का गुज़ारा बढ़िया तरीके से करना चाहते थे ! मंशा (भाव / नीयत ) उनकी सही थी ,लेकिन जिन से पैसा / रकम ली थी ,वो उनकी बेटी थी ..और वही उनको ज़हरीला असर दे गया और उन्नति के बजाये पतन में ले गया ! जो अपनी जन्म कुंडली के ग्रहों के बारे जानते हैं ...अगर उनकी भी कुंडली में यही युति (गुरु+चंदर ) नौवे भाव में है तो उनको हमेशा एक ही ख्याल रखना है कि बेटी के पैसे से दुरी रखे , बेटी की पगार उसके अलग खाते में ही रहने दें और बेटी को भी कहें कि अगर हो सके तो अपने पैसे घर के खर्चे में कम से कम लगाये जिस से इस युति का भरपूर लाभ / अच्छा फल उनको मिल सके ! ऐसे हलात जैसे ऊपर बयान किये हैं।।उनका एक ही हल है की तुरंत बेटी का पैसा वापस कर दें जिस से व्योपार फिर से गति पकड़ सके ! जो व्यक्ति ज्योतिष के जानकार हैं ...अगर उनके पास इस तरह की युति वाला जातक आता है तो उसको समय रहते सावधान कर दें।।जिस से इस युति का बुरा प्रभाव उनको न मिल पाए !
"अच्छा भला काम चल रहा था पता नहीं किसकी नज़र लग गयी "
यह शिकायत शर्मा जी अपनी पत्नी से कर रहे थे !
शर्मा जी की पत्नी का जवाब .....
"आप तो कहा करते थे ,अगर कुछ रकम मिल जाये तो काम बहुत ही बढ़िया चल निकलेगा !
अब तो आपने बेटी ने जो पैसा अपनी पगार का ,, अपनी शादी के लिए जोड़ा था ,उसको अपने काम में लगा दिया है ,कुछ दिन ठीक रहा ,आप खुश भी थे ,आज फिर से आप तंगी का रोना रो रहे हैं !"
यह तो हुई एक घर में हो रही बातचीत का ब्यौरा !
अब दूसरी तरफ चलते हैं !
चोपड़ा जी की बेटी का तलाक हो गया ..तलाक के बदले मिली रकम करीब पचहतर लाख (75 lac ) !
चोपड़ा जी ने वो रकम अपने कारोबार में लगा दी यह सोच कर कि जब भी ज़रूरत होगी (दुबारा शादी के समय ) बेटी पर लगा देंगे या उसको दे देंगे !
उस रकम से निवेश किया और विदेश से आया माल काफी मुनाफे पर बिक गया (चोपड़ा जी का इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का व्योपार है ) !
लेकिन दूसरी बार आया माल सरकार (कस्टम वालो ) ने रोक लिया और काफी दिनों / महीनो बाद ..काफी बड़ा जुर्माना लगाने के बाद छोड़ा ! इतनी देर में उस माल का बाज़ार मूल्य भी कम हो गया और जुर्माना आदि की रकम जोड़ कर उस माल को बेचने पर भी करीब करीब पचास लाख का घाटा हो गया !
तीसरी बार भी कुछ कुछ ऐसा ही हो गया और काफी घाटा हो गया ! बाज़ार में अब चोपड़ा जी की साख भी कम होने लग गयी !
शर्मा जी व चोपड़ा जी जब ज्योतिषियों से मिले तो सब ने बताया कि आपकी कुंडली तो बहुत ही बढ़िया है ..गज केसरी योग है और वो भी नवम भाव में !
गज केसरी योग ...गुरु +चन्द्र की युती का होना एक जन्म कुंडली में बहुत ही महत्त्व रखता है , और इसका फल बहुत ही अच्छा गिना गया है !
लेकिन लाल किताब के अनुसार :-
जिनका भी गुरु + चन्द्र (गज केसरी ) खाना नम्बर नौ / नवें भाव में हो उनके लिए हिदायत है :-
जब कभी लड़की की कीमत या उसका पैसा (धन दौलत ) लेकर खावे ..चन्द्र और गुरु दोनों का फल मंदा बल्कि ज़हरीला ही होगा !
अब ऊपर लिखित दोनों में एक बात समान है कि दोनों व्यक्ति अपनी बेटी के धन दौलत से अपना व्योपार को बड़ा कर घर का गुज़ारा बढ़िया तरीके से करना चाहते थे ! मंशा (भाव / नीयत ) उनकी सही थी ,लेकिन जिन से पैसा / रकम ली थी ,वो उनकी बेटी थी ..और वही उनको ज़हरीला असर दे गया और उन्नति के बजाये पतन में ले गया ! जो अपनी जन्म कुंडली के ग्रहों के बारे जानते हैं ...अगर उनकी भी कुंडली में यही युति (गुरु+चंदर ) नौवे भाव में है तो उनको हमेशा एक ही ख्याल रखना है कि बेटी के पैसे से दुरी रखे , बेटी की पगार उसके अलग खाते में ही रहने दें और बेटी को भी कहें कि अगर हो सके तो अपने पैसे घर के खर्चे में कम से कम लगाये जिस से इस युति का भरपूर लाभ / अच्छा फल उनको मिल सके ! ऐसे हलात जैसे ऊपर बयान किये हैं।।उनका एक ही हल है की तुरंत बेटी का पैसा वापस कर दें जिस से व्योपार फिर से गति पकड़ सके ! जो व्यक्ति ज्योतिष के जानकार हैं ...अगर उनके पास इस तरह की युति वाला जातक आता है तो उसको समय रहते सावधान कर दें।।जिस से इस युति का बुरा प्रभाव उनको न मिल पाए !
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