पंडित हनुमान मिश्रा
यूं तो जीवन मरण की प्रक्रिया प्रकृति का नियम है लेकिन कुछ ऐसे वर्ष विशेष भी होते हैं जिसमें किसी एक विशेष क्षेत्र से जुडे व्यक्तियों पर अधिक प्रभाव पडता है। उसी तरह के वर्षों में एक वर्ष रहा वर्ष 2012। इस साल बॉलीवुड की कई महान हस्तियां हमारे बीच नहीं रहीं। बॉलीवुड के कई चमकीले सितारे इस चमकती दुनिया को छोड़ गए। सूक्ष्मता से देखा जाय तो केवल 2012 ही नहीं 2011 भी हमसे कई सिनेमा जगत से जुडे लोगों को हमसे छीन कर ले गया है। इन घटनाओं के पीछे मुख्यत: चार ग्रहों का प्रभाव रहा। वे ग्रह हैं राहू, केतु, शनि और बॄहस्पति। आइए एक-एक करके जानते हैं कि इन चार ग्रहों ने किस प्रकार सितारों को छीनने में अपनी भूमिका निभाई है:-
बॉलीवुड की नाम राशि वृषभ है। जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है। जैसा की हम जानते हैं कि शुक्र ग्रह की दो राशियां हैं, वृषभ और तुला। इनका स्थाई घर दूसरा और सातवां है। शुक्र को बॉलीवुड के मामले में अहं भूमिका निभाने वाला ग्रह माना गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मनोरंजन और विशेष कर सिनेमा जगत के लिए शुक्र कारक ग्रह माना गया है। जब भी शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं। सिनेमा जगत को क्षति पहुंचती है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2011-2012 किस तरह से शुक्र या शुक्र की राशियों के लिए अनुकूल नहीं था। जून 2011 के शुरुआती दिनों में केतु वृषभ राशि में आया और राहु वृश्चिक राशि में आया। अत: शुक्र से जुडी चीजें उसमें भी विशेषकर बॉलीवुड की पीडा के दिन जून 2011 से ही शुरू हो गए थे। आइए 2011-2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले कुछ सितारों के गोचर को देखा जाय। सम्भवत: इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से होना चाहिए। यहां आपको बताते चलें की अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।
आइए सबसे पहले 2011 की बात कर ली जाय। गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। वो दिन 10 अक्टूबर 2011 का था। जगजीत सिंह का जन्म 8 फ़रवरी 1941 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।
भूपेन्द्र हजारिका 8 सितम्बर 1926 को जन्में भूपेन हजारिका की जन्म कालीन राशि कन्या है। 05 नवम्बर 2011 को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उस समय उन पर शनि की साढे साती का प्रभाव था। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके नवमें व राहु तीसरे भाव में था। तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है। बृहस्पति अष्टम भाव में था।
26 सितम्बर 1923 को जन्में देव आनंद साहब 3 दिसंबर 2011 को दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जन्म के समय चन्द्रमा मीन राशि में था। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में था यानी कि उन पर ढैय्या का प्रभाव था। राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।
फ़िल्म प्रोड्यूसर व अभिनेता अनिल कपूर के पिता सुरेन्द्र कपूर जिन्होंने पुकार, जुदाई, हमारा दिल आपके पास है, नो इंट्री और लोफर जैसी फ़िल्में प्रोड्यूस की थी, उनका निधन 24 सितम्बर 2011 को हो गया। उनका जन्म 23 दिसम्बर 1925 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मीन थी। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।
मराठी फ़िल्मों की संगीत की दुनिया का एक बहुत सम्मानित नाम श्रीनिवास खले जी 2 सितम्बर 2011 को दुनिया छोड गए। उनका जन्म 30 अप्रैल 1926 को हुआ था। जन्म कालीन राशि वृश्चिक थी। मृत्यु के समय राहू उनके लग्न पर, केतु सप्तम में और शनि एकादश भाव में होकर लग्न और अष्टम भाव को देख रहा था।
इनके अलावा 2011 में नवीन निश्चल जी हमें छोड गए। उन्होंने सावन भादों, द बर्निंग ट्रेन, जहर, गुड्डू, आक्रोश, लहू के दो रंग, जंग, रहना है तेरे दिल में, खोसला का घोसला और ब्रेक के बाद जैसी फ़िल्मों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। प्रसिद्ध सारंगी वादक और शास्त्रीय संगीय गायक उस्ताद सुल्तान खान 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। भारतीय फ़िल्म निर्माता जिन्होंने हालीवुड में अपनी काबिलियत दिखाई, वो भी 4 सितम्बर 2011 को नहीं रहे। मशहूर लेखक श्री लाल शुक्ला, मशहूर फ़ोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष, डायरेक्टर समीर चन्द, हिन्दी मराठी फ़िल्म अभिनेत्री रशिका जोशी, साउथ इंडियन अभिनेत्री सुजाता, हिन्दी फ़िल्म लेखक सचिन भौमिक, अभिनेता रविन्द्र कपूर (गोगा कपूर) हास्य अभिनेता विवेक शौक, तेलगू फ़िल्म निर्देशक ई.वी.वी सत्यनारायन आदि ऐसे कई नाम हैं जो हमें 2011 में छोड गए। इस प्रकार ये बात सामने आ रही है कि इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से रहा। जैसा कि पहले ही बताया गया कि अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।
आइए अब 2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले सितारों की बात कर ली जाय:-
सबसे पहली चर्चा हास्य कलाकार जसपाल भट्टी की 3 मार्च 1955 को जन्में जसपाल भट्टी की जन्म कालीन राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय यानी कि 25 अक्टूबर 2012 को गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।
अब बात की जाय यश चोपडा की। इनका जन्म 27 सितंबर 1932 को वृश्चिक लग्न में हुआ। उनकी मृत्यु के समय यानी कि 21 अक्टूबर 2012 को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।
29 दिसम्बर 1942 को जन्में राजेश खन्ना का जन्म मिथुन लग्न में माना जाता है। मृत्यु के समय केतु द्वादश भाव में और शनि से दृष्ट राहु छठे भाव में स्थित था।
पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वृश्चिक लग्न में हुआ। 11 दिसम्बर 2012 को उनकी मृत्यु के समय को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।
इसके वर्षा भोसले, ए. के. हंगल, दारा सिंह, मेंहदी हसन, तरुनी सचदेव, अचला सचदेव, मोना कपूर, ज्वाय मुखर्जी, ओ.पी. दत्ता, राज कंवर, अशोक मेहता, गविन पाकर्ड, निखत काजमी आदि बालीवुड से जुडे ऐसे कई नाम हैं जो इस साल दुनिया को अलविदा कह गए। और उपरोक्त उदाहरणो से हमने देखा की कहींन कहीं राहु केतु और शनि का प्रभाव इनकी मृत्यु के पीछे रहा।
इस चर्चा का प्रमुख उद्देश्य यही है कि क्या वर्ष 2013 में यह सिलसिला थमेगा? यह जानने के लिए आइए उन्हीं ग्रहों की स्थितियों को जाना जाय जिनके कारण पिछले २ साल ठीक नहीं थे। राहू-केतु एक राशि में अठारह महीने रहते हैं। 23 दिसम्बर 2012 तक राहु वृश्चिक राशि और केतु वृषभ राशि में स्थित था। वृषभ राशि शुक्र की राशि है और शुक्र को बालीवुड का कारक ग्रह माना गया है। जब शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं तो सिनेमा जगत का अहित होता है। वृषभ और तुला शुक्र राशियां हैं। अठारह महीने राहू-केतु से पीडित रही वृषभ राशि का परिणाम आप के सामने है। अब यानी की 23 दिसम्बर 2012 से अगले अठारह महीने तक राहु सप्तम रहेगा और केतु मेष राशि में रहेगा। यानी कि अभी भी शुक्र की तुला पीडित रहेगी। अत: यह सिलसिला पूरी तरह नही थम सकेगा। यह साल भी मनोरंजन जगत के लिए अधिक अनुकूल नहीं रह पाएगा। विशेषकर मनोरंजन जगत की स्त्रियों के लिए यह वर्ष प्रतिकूलता लिए रहेगा। इसके अलावा समाज सेवा से जुडे लोगों के लिए भी वर्ष 2013 कष्टकारी रह सकता है।
यूं तो जीवन मरण की प्रक्रिया प्रकृति का नियम है लेकिन कुछ ऐसे वर्ष विशेष भी होते हैं जिसमें किसी एक विशेष क्षेत्र से जुडे व्यक्तियों पर अधिक प्रभाव पडता है। उसी तरह के वर्षों में एक वर्ष रहा वर्ष 2012। इस साल बॉलीवुड की कई महान हस्तियां हमारे बीच नहीं रहीं। बॉलीवुड के कई चमकीले सितारे इस चमकती दुनिया को छोड़ गए। सूक्ष्मता से देखा जाय तो केवल 2012 ही नहीं 2011 भी हमसे कई सिनेमा जगत से जुडे लोगों को हमसे छीन कर ले गया है। इन घटनाओं के पीछे मुख्यत: चार ग्रहों का प्रभाव रहा। वे ग्रह हैं राहू, केतु, शनि और बॄहस्पति। आइए एक-एक करके जानते हैं कि इन चार ग्रहों ने किस प्रकार सितारों को छीनने में अपनी भूमिका निभाई है:-
बॉलीवुड की नाम राशि वृषभ है। जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है। जैसा की हम जानते हैं कि शुक्र ग्रह की दो राशियां हैं, वृषभ और तुला। इनका स्थाई घर दूसरा और सातवां है। शुक्र को बॉलीवुड के मामले में अहं भूमिका निभाने वाला ग्रह माना गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मनोरंजन और विशेष कर सिनेमा जगत के लिए शुक्र कारक ग्रह माना गया है। जब भी शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं। सिनेमा जगत को क्षति पहुंचती है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2011-2012 किस तरह से शुक्र या शुक्र की राशियों के लिए अनुकूल नहीं था। जून 2011 के शुरुआती दिनों में केतु वृषभ राशि में आया और राहु वृश्चिक राशि में आया। अत: शुक्र से जुडी चीजें उसमें भी विशेषकर बॉलीवुड की पीडा के दिन जून 2011 से ही शुरू हो गए थे। आइए 2011-2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले कुछ सितारों के गोचर को देखा जाय। सम्भवत: इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से होना चाहिए। यहां आपको बताते चलें की अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।
आइए सबसे पहले 2011 की बात कर ली जाय। गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। वो दिन 10 अक्टूबर 2011 का था। जगजीत सिंह का जन्म 8 फ़रवरी 1941 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।
भूपेन्द्र हजारिका 8 सितम्बर 1926 को जन्में भूपेन हजारिका की जन्म कालीन राशि कन्या है। 05 नवम्बर 2011 को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उस समय उन पर शनि की साढे साती का प्रभाव था। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके नवमें व राहु तीसरे भाव में था। तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है। बृहस्पति अष्टम भाव में था।
26 सितम्बर 1923 को जन्में देव आनंद साहब 3 दिसंबर 2011 को दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जन्म के समय चन्द्रमा मीन राशि में था। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में था यानी कि उन पर ढैय्या का प्रभाव था। राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।
फ़िल्म प्रोड्यूसर व अभिनेता अनिल कपूर के पिता सुरेन्द्र कपूर जिन्होंने पुकार, जुदाई, हमारा दिल आपके पास है, नो इंट्री और लोफर जैसी फ़िल्में प्रोड्यूस की थी, उनका निधन 24 सितम्बर 2011 को हो गया। उनका जन्म 23 दिसम्बर 1925 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मीन थी। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।
मराठी फ़िल्मों की संगीत की दुनिया का एक बहुत सम्मानित नाम श्रीनिवास खले जी 2 सितम्बर 2011 को दुनिया छोड गए। उनका जन्म 30 अप्रैल 1926 को हुआ था। जन्म कालीन राशि वृश्चिक थी। मृत्यु के समय राहू उनके लग्न पर, केतु सप्तम में और शनि एकादश भाव में होकर लग्न और अष्टम भाव को देख रहा था।
इनके अलावा 2011 में नवीन निश्चल जी हमें छोड गए। उन्होंने सावन भादों, द बर्निंग ट्रेन, जहर, गुड्डू, आक्रोश, लहू के दो रंग, जंग, रहना है तेरे दिल में, खोसला का घोसला और ब्रेक के बाद जैसी फ़िल्मों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। प्रसिद्ध सारंगी वादक और शास्त्रीय संगीय गायक उस्ताद सुल्तान खान 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। भारतीय फ़िल्म निर्माता जिन्होंने हालीवुड में अपनी काबिलियत दिखाई, वो भी 4 सितम्बर 2011 को नहीं रहे। मशहूर लेखक श्री लाल शुक्ला, मशहूर फ़ोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष, डायरेक्टर समीर चन्द, हिन्दी मराठी फ़िल्म अभिनेत्री रशिका जोशी, साउथ इंडियन अभिनेत्री सुजाता, हिन्दी फ़िल्म लेखक सचिन भौमिक, अभिनेता रविन्द्र कपूर (गोगा कपूर) हास्य अभिनेता विवेक शौक, तेलगू फ़िल्म निर्देशक ई.वी.वी सत्यनारायन आदि ऐसे कई नाम हैं जो हमें 2011 में छोड गए। इस प्रकार ये बात सामने आ रही है कि इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से रहा। जैसा कि पहले ही बताया गया कि अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।
आइए अब 2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले सितारों की बात कर ली जाय:-
सबसे पहली चर्चा हास्य कलाकार जसपाल भट्टी की 3 मार्च 1955 को जन्में जसपाल भट्टी की जन्म कालीन राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय यानी कि 25 अक्टूबर 2012 को गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।
अब बात की जाय यश चोपडा की। इनका जन्म 27 सितंबर 1932 को वृश्चिक लग्न में हुआ। उनकी मृत्यु के समय यानी कि 21 अक्टूबर 2012 को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।
29 दिसम्बर 1942 को जन्में राजेश खन्ना का जन्म मिथुन लग्न में माना जाता है। मृत्यु के समय केतु द्वादश भाव में और शनि से दृष्ट राहु छठे भाव में स्थित था।
पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वृश्चिक लग्न में हुआ। 11 दिसम्बर 2012 को उनकी मृत्यु के समय को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।
इसके वर्षा भोसले, ए. के. हंगल, दारा सिंह, मेंहदी हसन, तरुनी सचदेव, अचला सचदेव, मोना कपूर, ज्वाय मुखर्जी, ओ.पी. दत्ता, राज कंवर, अशोक मेहता, गविन पाकर्ड, निखत काजमी आदि बालीवुड से जुडे ऐसे कई नाम हैं जो इस साल दुनिया को अलविदा कह गए। और उपरोक्त उदाहरणो से हमने देखा की कहींन कहीं राहु केतु और शनि का प्रभाव इनकी मृत्यु के पीछे रहा।
इस चर्चा का प्रमुख उद्देश्य यही है कि क्या वर्ष 2013 में यह सिलसिला थमेगा? यह जानने के लिए आइए उन्हीं ग्रहों की स्थितियों को जाना जाय जिनके कारण पिछले २ साल ठीक नहीं थे। राहू-केतु एक राशि में अठारह महीने रहते हैं। 23 दिसम्बर 2012 तक राहु वृश्चिक राशि और केतु वृषभ राशि में स्थित था। वृषभ राशि शुक्र की राशि है और शुक्र को बालीवुड का कारक ग्रह माना गया है। जब शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं तो सिनेमा जगत का अहित होता है। वृषभ और तुला शुक्र राशियां हैं। अठारह महीने राहू-केतु से पीडित रही वृषभ राशि का परिणाम आप के सामने है। अब यानी की 23 दिसम्बर 2012 से अगले अठारह महीने तक राहु सप्तम रहेगा और केतु मेष राशि में रहेगा। यानी कि अभी भी शुक्र की तुला पीडित रहेगी। अत: यह सिलसिला पूरी तरह नही थम सकेगा। यह साल भी मनोरंजन जगत के लिए अधिक अनुकूल नहीं रह पाएगा। विशेषकर मनोरंजन जगत की स्त्रियों के लिए यह वर्ष प्रतिकूलता लिए रहेगा। इसके अलावा समाज सेवा से जुडे लोगों के लिए भी वर्ष 2013 कष्टकारी रह सकता है।
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