कैसा रहेगा साइरस मिस्त्री के लिए वर्ष 2013

पंडित हनुमान मिश्रा
साइरस मिस्त्री टाटा के नए बॉस साइरस पलोनजी मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को हुआ था। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन से सिविल इंजिनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल की। उनके पास लंदन बिजनेस स्कूल से मास्टर्स की डिग्री भी है। टाटा से पहले वह कई दूसरी कंपनियों में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। इनके जन्म के समय चित्रा नक्षत्र था और चन्द्रमा कन्या राशि में स्थित था। यदि चन्द्र कुण्डली के अनुसार इनकी कुण्डली के योग को देखा जाय तो उनमें से कई योग उच्च स्तरीय राजयोग हैं। सबसे पहले तो इनके राशीश को देखा जाय तो वह अपने से दशम भाव में भद्र योग बनाकर बैठा हुआ है। यह योग पंचमहापुरुष राजयोगों में से एक योग है। इस योग के जो फल ज्योतिष शास्त्रों में बताए गए हैं वो इस प्रकार हैं कि ऐसा व्यक्ति अपनी बुद्धि, वाक्पटुता और व्यापार कुशलता के दम पर अपनी गणन विशिष्ट लोगों में करवाने में सफल रहता है।

चंद्र कुण्डली से इनकी कुंडली में सफल अमल कीर्ति योग है जो इस बात का द्योतक है कि ऐसा जातक राज्यपूज्य, भोगेन्द्र, दानी, बन्धुजन प्रिय, परोपकारी और गुणवान होता है। इनकी कुण्डली में शंख योग है जिसका फल बताते हुए ज्योतिष शास्त्र कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति मानवतावादी, सत्कर्म में रुचि रखने वाला, धार्मिक, विद्वान तथा राजा के समान होता है। इनकी कुण्डली में कर्मसिद्धि योग भी है जो इस बात का संकेतक है कि ऐसे व्यक्ति को अपने कामों सफलता मिलती है। इनकी कुण्डली में उपस्थित अमर योग इनको अतुल्य धन का स्वामी बनाने का संकेतक है। केन्द्र त्रिकोण राज योग भी राजसी वैभव से युक्त होने का इशारा कर रहा है। धर्मकर्माधिपति योग जो कि प्रथम श्रेणी के राजयोगों में गिना जाता है, इस बात का संकेत कर रहा है कि इन्हें सफलता, सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती रहेगी। अनफा योग इन्हें यशस्वी, विश्वविख्यात और सामर्थ्यवान बना रहा है। जबकि हर्ष योग इन्हें बाधाओं को पार करने वाला और प्रधान व्यक्तियों का प्यारा बना रहा है। इन योगों के अलावा इनकी कुण्डली में और भी कई राजयोग उपस्थित हैं जो इनके व्यक्तित्त्व को बहुत बडा बनाने में सहायक हो रहे हैं।

आइए अब इनकी कुण्डली की दशाओं और गोचर पर एक नजर डाल ली जाय। वर्तमान में इन पर शनि की महादशा का प्रभाव है। हालांकि इनकी कुण्डली शनि ग्रह नीच राशि में स्थित है। सामान्यतय: यदि एक अच्छी स्थिति नहीं मानी गई है लेकिन चन्द्र कुण्डली से शनि अष्टम भाव में स्थित है। इस प्रकार अष्टम में नीच ग्रह का स्थित हो जाना विपरीत परिस्थियों में शुभ परिणाम देने का संकेतक है। अत: कुछ कठिनाइयों के बाद सफलता मिलना स्वाभाविक होगा। वर्तमान में शनि की साढे साती के प्रभाव के कारण भी दायित्त्वों के निर्वहन में कुछ कठिनाई का अनुभव हो सकता है। आइए अब अन्य मुख्य ग्रहों के गोचर फल पर एक नजर डाली जाय।

बृहस्पति का गोचर मई 2013 तक इनके नवम भाव में रहेगा जो इनके लिए एक सर्वश्रेष्ठ समय होने का इशारा कर रहा है। इन्हें प्रचुर मात्रा में सफलता और सम्मान मिलेगा। अपने अपने क्षेत्र के कई दिग्गजों का सहयोग और मार्गदर्शन इन्हें मिलता रहेगा। कई सफल व्यवसायिक यात्राएं करने का मौका इन्हें मिलेगा। वहीं मई के बाद का बृहस्पति का गोचर इनके दशम भाव यानी कि कर्म स्थान में होगा जिससे साइरस मिस्त्री अपने व्यवसाय में बहुत अच्छा कर पाएंगे। व्यापार का विस्तार होगा और पद बढे़गा। इस अवधि में वरिष्ठ लोगों व शक्तिवान व्यक्तियों से स्नेह व सम्मान प्राप्त होगा। लेकिन कुछ व्यवसायिक प्रतिद्वंदियों से सावधान रहने की भी जरूरत इन्हें पडेगी।

दूसरे भाव में शनि का गोचर कुछ आर्थिक मामलों को लेकर दिमागी तनाव दे सकता है। यद्यपि बृहस्पति का गोचर इनके कार्यक्षेत्र के लिए अनुकूल है लेकिन शनि के गोचर को ध्यान में रखते हुए इन्हें नए उद्यमों से इस अवधि में सम्बंद्ध होने से बचना होगा साथ ही महत्वपूर्ण दस्तावेजों का एक से अधिक बार निरीक्षण करना भी जरूरी होगा यानि कि जोखिम उठाने की प्रवृति पर अंकुश लगाना होग। राहु का गोचर भी दूसरे भाव में ही है वह भी नए निवेश में अत्यधिक सावधानी परतने का संकेत कर रहा है। केतू अष्टम में गोचर करते हुए इशारा कर रहा है कुछ मामलों में अप्रत्यासित सफलता का भी संकेत कर रहा है। साथ ही अचानक हुई व्यवसायिक यात्राओं में सफलता और सम्मान भी मिलने के योग हैं।

अत: कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस वर्ष साइरस मिस्त्री अपने दायित्व का निर्वहन करने में सफल रहेंगे। कुछ छोटी-मोटी परेशानियों को छोड दिया जाय तो लगभग पूरा वर्ष ही अनुकूलता लिए हुए है। केवल निवेश, नए उपक्रमों और जरूरी कागजातों के मामले में सावधानी जरूरी होगी और सम्भवत: इतने अनुभवी साइरस मिस्त्री इन बातों को समझेंगे और कामयाबी का परचम लहराएंगे।

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