जब भी जीवन के लिए सबसे जरूरी चीजों की बात होती है तो रोटी कपडा और मकान का नाम ही सामने आता है। पक्षी अपने लिये अपनी बुद्धि के अनुसार घोंसला बनाते है, जानवर अपने निवास के लिये गुफ़ा और मांद का निर्माण करते है। जलचर अपने लिये जल में रहने का इंतजाम करते हैं वहीं हवा मे रहने वाले पेडों और वृक्षों आदि पर और जमीनी जीव अपने अपने अनुसार जमीन पर अपना निवास स्थान बनाते है। उसी तरह मनुष्य भी अपने लिये रहने या व्यापार आदि के लिये घर बनाता है। क्या आपकी कुण्डली में "भवन योग" है यदि हां तो कब बनेगा अपना मकान, आज हम इस आलेख के माध्यम से इसी बात की चर्चा करेंगे। तो आइए सबसे पहले जानते हैं कि ऐसे कौन से ग्रह हैं जो घर बनाने में सहयोग करते हैं?
घर बनाने में सबसे पहले चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का सहयोग मिलना जरूरी होता है। अब कौन सा ग्रह किस काम के लिए घर बनवाता इसकी चर्चा कर ली जाय। जब बृहस्पति ग्रह का योग घर बनाने वाले कारकों से होता है तो व्यक्ति रहने के लिये घर बनता है। शनि का योग जब घर बनाने वाले कारकों से होता है तो कार्य करने के लिये घर बनने का योग होता है जिसे व्यवसायिक स्थान भी कहा जाता है। जब बुध कृपा से घर बनता है तो अधिकांशत: वह घर किराये से देने के लिये बनाया जाता है। मंगल ग्रह कारखाने और डाक्टरी स्थान आदि बनाने के लिये घर बनवाता है। घर बनाने के लिये मुख्य कारक शुक्र का सहयोग मिलना भी बहुत जरूरी होता है। इन सबके बावजूद घर बनाने से पहले कुण्डली में शनि की स्थिति को देखना बहुत ही जरूरी होता है। वास्तव में मकान शनि ग्रह की इच्छा के विरुद्ध बन ही नहीं सकता। यदि आप शनि की अनुमति के बिना किसी तरह से मकान बनवा भी लेते हैं तो उस मकान में रहने का सुख मिलना मुश्किल होता है। शनि ग्रह ही मकान बनवाता है और गिरवाता भी है जैसा कि आपने भी अनुभव किया होना कि नवम्बर २०११ के आस-पास से, उच्च राशि में गया खूब मकान बने थे। पिछले कुछ दिनों से जब से शनि वक्री हुआ और वक्री होकर कन्या राशि में आ गया, निर्माण कार्य धीमा हो गया। अब जब जुलाई के बाद शनि पुन: तुला राशि में जाएगा पुन: निर्माण कार्यों में क्रांति आएगी और लगभग, अगले दो वर्षों तक खूब मकान बनेंगे। यानि जब भी शनि उच्च में होगा तो खूब मकान बनेगे औ जब नीच का या किसी अन्य ग्रह के योग से नीच हो रहा हो तो मकान गिरते हैं भूचाल आते हैं। आइए शनि से जुडे कुछ नियमों की चर्चा करते हैं जो मकान से सम्बंधित हैं:-
जिस व्यक्ति की कुण्डली के पहले भाव में शनि स्थित हो, यदि वह मकान बनाता है तो उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। लेकिन यदि उसकी कुण्डकी के सप्तम और दसम भाव रिक्त हों तो आर्थिक स्थिति पर असर नहीं पडता। जिसकी कुण्डली के दूसरे भाव में शनि स्थित हो वह व्यक्ति कभी भी और कैसा भी मकान बना सकता है। तीसरे भाव में स्थित शनि वाले जातक को मकान बनवाने पर आर्थिक संकटों का सामना करना पडता है लेकिन यदि वह घर में कुत्ता पालता है तो यह समस्या नहीं आती। चतुर्थ भाव में स्थित शनि वाला जातक मकान तो बनवा सकता है लेकिन इससे जातक के ननिहाल या ससुराल वालों वालों को क्षति हो सकती है अत: इन्हें अपने नाम से मकान नहीं बनवाना चाहिए। पंचम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपना मकान बनवाने से संतान कष्ट मिलता है यदि मकान ही बनाना ही पडे तो 48 वर्ष की आयु के बाद बनवाएं साथ ही एक उपाय भी करें। उपाय यह है कि एक भैंसा घर लाएं और उसकी पूजा करके उसे खिला पिलाकर दाग दिलवा कर स्वतंत्र छोड दें तत्पश्चात ही मकान बनवाएं। छ्ठे भाव में स्थित शनि वाले जातक को 39 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बनाना उचित होगा, अन्यथा लड़की के रिश्तेदारों को अशुभ परिणाम मिलेंगे।
सप्तम भाव में स्थित शनि वाले जातक को बने बनाये मकान अधिक मिलेंगे और शुभ भी रहेंगे। अष्टम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपने नाम से मकान बिल्कुल नहीं बनवाना चाहिए। नवम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपनी कमाई से मकान नहीं बनवाना चाहिए। अन्यथा संतान और पिता को कष्ट मिलता है। दसम भाव में स्थित शनि वाले जातक को 36 से 48 वर्ष की आयु में ही मकान बनवाना चाहिए अन्यथा निर्धनता आती है और जीवन साथी को कष्ट मिलता है। जिनकी कुण्डली के ग्यारहवें भाव में शनि स्थित है उन्हें 36 वर्ष की आयु से पहले ही घर बना लेना चाहिए अथवा 55 वर्ष आयु के बाद ही मकान बनेगा। ऐसे लोगों को दक्षिण द्वार बाले मकान नहीं रहना चाहिए अन्यथा लम्बी बीमारी हो सकती है। बारवें भाव में स्थित शनि वाले जातक के मकान अपने आप बनें अर्थात बिना जातक के प्रयास के किसी अन्य के प्रयास या माध्यम से बनें तभी जातक के लिए शुभ होंगें।
इन तमाम बातों का ध्यान रखते हुए जब आप अपने मकान का निर्माण करते या करवाते हैं तो आपको मकान से सुख जरूर मिलेगा। अन्यथा मकान बनते समय ही तमाम तरह की परेशानियां आती हैं। यदि किसी प्रकार आप मकान बनवा भी लेते हैं तो उसमें रहने का सुख नहीं मिल पाता।
घर बनाने में सबसे पहले चतुर्थ भाव और चतुर्थेश का सहयोग मिलना जरूरी होता है। अब कौन सा ग्रह किस काम के लिए घर बनवाता इसकी चर्चा कर ली जाय। जब बृहस्पति ग्रह का योग घर बनाने वाले कारकों से होता है तो व्यक्ति रहने के लिये घर बनता है। शनि का योग जब घर बनाने वाले कारकों से होता है तो कार्य करने के लिये घर बनने का योग होता है जिसे व्यवसायिक स्थान भी कहा जाता है। जब बुध कृपा से घर बनता है तो अधिकांशत: वह घर किराये से देने के लिये बनाया जाता है। मंगल ग्रह कारखाने और डाक्टरी स्थान आदि बनाने के लिये घर बनवाता है। घर बनाने के लिये मुख्य कारक शुक्र का सहयोग मिलना भी बहुत जरूरी होता है। इन सबके बावजूद घर बनाने से पहले कुण्डली में शनि की स्थिति को देखना बहुत ही जरूरी होता है। वास्तव में मकान शनि ग्रह की इच्छा के विरुद्ध बन ही नहीं सकता। यदि आप शनि की अनुमति के बिना किसी तरह से मकान बनवा भी लेते हैं तो उस मकान में रहने का सुख मिलना मुश्किल होता है। शनि ग्रह ही मकान बनवाता है और गिरवाता भी है जैसा कि आपने भी अनुभव किया होना कि नवम्बर २०११ के आस-पास से, उच्च राशि में गया खूब मकान बने थे। पिछले कुछ दिनों से जब से शनि वक्री हुआ और वक्री होकर कन्या राशि में आ गया, निर्माण कार्य धीमा हो गया। अब जब जुलाई के बाद शनि पुन: तुला राशि में जाएगा पुन: निर्माण कार्यों में क्रांति आएगी और लगभग, अगले दो वर्षों तक खूब मकान बनेंगे। यानि जब भी शनि उच्च में होगा तो खूब मकान बनेगे औ जब नीच का या किसी अन्य ग्रह के योग से नीच हो रहा हो तो मकान गिरते हैं भूचाल आते हैं। आइए शनि से जुडे कुछ नियमों की चर्चा करते हैं जो मकान से सम्बंधित हैं:-
जिस व्यक्ति की कुण्डली के पहले भाव में शनि स्थित हो, यदि वह मकान बनाता है तो उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है। लेकिन यदि उसकी कुण्डकी के सप्तम और दसम भाव रिक्त हों तो आर्थिक स्थिति पर असर नहीं पडता। जिसकी कुण्डली के दूसरे भाव में शनि स्थित हो वह व्यक्ति कभी भी और कैसा भी मकान बना सकता है। तीसरे भाव में स्थित शनि वाले जातक को मकान बनवाने पर आर्थिक संकटों का सामना करना पडता है लेकिन यदि वह घर में कुत्ता पालता है तो यह समस्या नहीं आती। चतुर्थ भाव में स्थित शनि वाला जातक मकान तो बनवा सकता है लेकिन इससे जातक के ननिहाल या ससुराल वालों वालों को क्षति हो सकती है अत: इन्हें अपने नाम से मकान नहीं बनवाना चाहिए। पंचम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपना मकान बनवाने से संतान कष्ट मिलता है यदि मकान ही बनाना ही पडे तो 48 वर्ष की आयु के बाद बनवाएं साथ ही एक उपाय भी करें। उपाय यह है कि एक भैंसा घर लाएं और उसकी पूजा करके उसे खिला पिलाकर दाग दिलवा कर स्वतंत्र छोड दें तत्पश्चात ही मकान बनवाएं। छ्ठे भाव में स्थित शनि वाले जातक को 39 वर्ष की आयु के बाद ही मकान बनाना उचित होगा, अन्यथा लड़की के रिश्तेदारों को अशुभ परिणाम मिलेंगे।
सप्तम भाव में स्थित शनि वाले जातक को बने बनाये मकान अधिक मिलेंगे और शुभ भी रहेंगे। अष्टम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपने नाम से मकान बिल्कुल नहीं बनवाना चाहिए। नवम भाव में स्थित शनि वाले जातक को अपनी कमाई से मकान नहीं बनवाना चाहिए। अन्यथा संतान और पिता को कष्ट मिलता है। दसम भाव में स्थित शनि वाले जातक को 36 से 48 वर्ष की आयु में ही मकान बनवाना चाहिए अन्यथा निर्धनता आती है और जीवन साथी को कष्ट मिलता है। जिनकी कुण्डली के ग्यारहवें भाव में शनि स्थित है उन्हें 36 वर्ष की आयु से पहले ही घर बना लेना चाहिए अथवा 55 वर्ष आयु के बाद ही मकान बनेगा। ऐसे लोगों को दक्षिण द्वार बाले मकान नहीं रहना चाहिए अन्यथा लम्बी बीमारी हो सकती है। बारवें भाव में स्थित शनि वाले जातक के मकान अपने आप बनें अर्थात बिना जातक के प्रयास के किसी अन्य के प्रयास या माध्यम से बनें तभी जातक के लिए शुभ होंगें।
इन तमाम बातों का ध्यान रखते हुए जब आप अपने मकान का निर्माण करते या करवाते हैं तो आपको मकान से सुख जरूर मिलेगा। अन्यथा मकान बनते समय ही तमाम तरह की परेशानियां आती हैं। यदि किसी प्रकार आप मकान बनवा भी लेते हैं तो उसमें रहने का सुख नहीं मिल पाता।
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