पंडित हनुमान मिश्रा
जी हां वह दिन अब दूर नहीं जिसे तथाकथित जानकारों ने प्रलय का दिन घोषित कर रखा है। साथ ही माया सभ्यता केलेण्डर के अनुसार तो 21 दिसंबर 2012 को सृष्टि के अंतिम दिन की तारीख भी तय कर दी है। कुछ समाचार चैनल्स ने इसे महाप्रलय का नाम दे डाला है। हालांकि प्रलय शब्द ही अपने आपमें पर्याप्त है फिर महाप्रलय कहने की आवश्यकता नहीं थी। प्रलय संस्कृत का शब्द है। ‘लय’ में ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर इस शब्द की व्युत्पत्ति हुई है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपनेमूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश, सृष्टि का जलमग्नहो जाना। हिन्दू दर्शन तथा आध्यात्मिक चिन्तन के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तब प्रलय होती है। अर्थात हर चार युग पूरे होने के बाद प्रलय की घटना निरन्तर होती रहती है। हिंदू मान्ताओं के अनुसार इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुनः निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है। कलियुग उन चारों युगों मे से अंतिम युग है अत: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस युग के बाद प्रलय होनी है लेकिन धर्मग्रन्थ भविष्योक्त पुराण के अनुसार कलियुग 4,32,000 वर्षों का है लेकिन कलियुग की शुरुआत हुए अभी 6000 वर्ष भी नहीं हुए है और ऐसे में प्रलय का आ जाना धर्म सम्मत तो कदापि नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह विषय पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है उसे देखते हुए इसे शिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। जहां धुंआ उठ रहा हो वहां आग तो होती है, हां आग कितनी मात्रा में है यह जानना जरूरी है।
एक विदेशी वैज्ञानिक के अनुसार तो प्रत्येक 11 वर्षों में एक बार मौत का मौसम आता है। सूर्य पर हर 11 साल में सोलर गतिविधिया तेज होने लगाती हैं। जिसके कारण उसके बाहरी आवरण में, आतंरिक विस्फोटो के कारण बदलाव होने लगता हैं। सूर्य पर होने वाले विस्फोट इतने विशाल होते हैं की उनका परिणाम हमारे पृथ्वी पर भी देखने को मिलते हैं। सन 1859 में भी इसी प्रकार के "सोलर तूफ़ान" धरती पर आए थे। उस समय अमेरिका ओर यूरोप में आग लगने की घटनाये हुई थी। वहां टेलीग्राफ की तारे जल गयी थीं। 11 वर्ष पहले 2001 में कई मौते हुई थी। 2012 में भी मौत का मौसम आयेगा। चलिए इन वैज्ञानिक महोदय की बात मान भी ली जाय तो इस तथ्य में ध्यान देने वाली बात यह हैं की ऐसा हमारे भारत में कही भी देखने को नहीं मिला है।
क्या इस बार ऐसा हो सकता है? यह सवाल हम सबसे मन में आना स्वाभाविक है। आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिष का क्या नजरिया है? 21 दिसंबर 2012 के दिन महाप्रलय होने की बात कही जा रही है। आइए सबसे पहले हम वर्ष या सम्वत्सर के फल के बारे में जानते हैं। इस समय विश्वावसु नामक सम्वत्सर रहेगा। इसके फल कुछ इस प्रकार कहे गए है कि इस सम्वत्सर में भूमि पर बहुत रोग फैलता है और मनुष्य अपने कार्यों को करने में समर्थ नहीं होते। 21 दिसंबर 2012 को हिन्दी महीना मार्गशीर्ष रहेगा। जिसका नामकरण मृगशिरा नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। विनाश या जनहानि में मंगल की अहं भूमिका रहती है। 21 दिसंबर 2012 के दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि होगी। इस तिथि की देवी दुर्गा जी मानी गई हैं। जो दुष्टो की संहारिका मानी गई हैं लेकिन सदाचरियों की रक्षा करती हैं।
आइए उस दिन के ग्रह गोचर पर विचार कर लिया जाय- 21 दिसंबर 2012 के दिन सूर्योदय सुबह ७:१४ पर हो रहा है। उस समय धनु लग्न उदित है। लग्नेश बृहस्पति छठे भाव में केतू के साथ है, सूर्य लग्न पर, मंगल दूसरे, चन्द्रमा चौथे, शनि ग्यारहवें और बुध, शुक्र, राहू बारहवें भाव में स्थित हैं। चन्द्रमा शनि नक्षत्र में है और शनि राहू के नक्षत्र में होकर उस दिन चन्द्रमा से अष्टम हैं। यानी यह दिन लोगों में भय व्याप्त करने वाला रहेगा। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जिस तरह इतने दिनों से इस बात को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है उस कारण से लोग उस दिन भयभीत रहें। इस समय गुरु-शुक्र का सम सप्तक योग रहेगा जो राजनीति के स्तर में गिरावट, इस समय होने वाले चुनावों में सत्ता पक्ष को लाभ लेकिन किसी बडे राजनेता को कष्ट का संकेतक है।
दिसंबर 2012 में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 सोमवार एक साथ पड़ रहे हैं। शनिवार शनि ग्रह का दिन है, वहीं रविवार सूर्य का दिन है जबकि सोमवार चन्द्रमा का दिन माना गया है। इस प्रकार सूर्य और चन्द्रमा पर शनि का प्रभाव रहेगा। शनि और सूर्य स्वभाव से उग्र ग्रह हैं। शनि पर सूर्य का प्रभाव धरती के लिए अच्छा नहीं माना गया है वहीं सूर्य पर शनि के प्रभाव के कारण राजनैतिक उठापटक तेज हो सकती है जबकि चन्द्रमा के पीडित होने की अवस्था में समुद्री या जलीय माध्यमों से हानि सम्भव है। इनके आपसी प्रभाव के कारण जनता को कष्ट और महंगाई सम्भव है। इस महीन एक पंचग्रही दुर्योग भी बन रहा है। यह पंचग्रही योग 11 दिसंबर की शाम से बनेगा और 13 दिसंबर की शाम तक रहेगा। इसके बाद चतुर्ग्रही योग रहेगा जो 15 दिसम्बर की रात तक रहेगा। फलस्वरूप ठंड बढेगी और फसलों को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है। हांलाकि इन योगों योगों पर बृहस्पति की दृष्टि रहेगी जो इस बात का संकेत कर रही है कि दुराचारियों, अत्याचारियों, दूसरों को परेशान करने वाले, दूसरों का हक मारने वाले एवं आतंकवादियों के लिए समय कष्टकारी हो सकता है वहीं धार्मिक लोगों, गुरुओं, ज्ञानियों व कलाकारों के लिए समय अच्छा रहेगा। लेकिन 23 दिसम्बर को शनि और राहू की युति होने जा रही है जो किसी उत्पात की ओर संकेत कर रही है।
यदि अंक ज्योतिष के अनुसार देखें तो 21-12-12 अर्थात 3-3-3 यानी कि तीन बृहस्पति के अंक मिल रहे हैं इनका योग 9 आ रहा है जो बुद्धिजीवी वर्ग में आक्रोश का संकेत तो कर रहा है लेकिन किसी भी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है। यदि हम 21-12-2012 को लेकर विचार करते हैं तो 3-3-5 आता है जिसका योग 11 यानी 2 होता है यह भी किसी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है।
कुल मिलाकर परिणाम यही निकलता है कि 21 दिसम्बर 2012 को अथवा उसके आसपास के दिनों में कुछ अप्रिय होने के संकेत तो मिल रहे हैं लेकिन प्रलय या महाप्रलय जैसी घटना नहीं होगी।
जी हां वह दिन अब दूर नहीं जिसे तथाकथित जानकारों ने प्रलय का दिन घोषित कर रखा है। साथ ही माया सभ्यता केलेण्डर के अनुसार तो 21 दिसंबर 2012 को सृष्टि के अंतिम दिन की तारीख भी तय कर दी है। कुछ समाचार चैनल्स ने इसे महाप्रलय का नाम दे डाला है। हालांकि प्रलय शब्द ही अपने आपमें पर्याप्त है फिर महाप्रलय कहने की आवश्यकता नहीं थी। प्रलय संस्कृत का शब्द है। ‘लय’ में ‘प्र’ उपसर्ग लगाकर इस शब्द की व्युत्पत्ति हुई है। प्रलय का अर्थ होता है संसार का अपनेमूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश, सृष्टि का जलमग्नहो जाना। हिन्दू दर्शन तथा आध्यात्मिक चिन्तन के अनुसार जब चार युग पूरे होते हैं तब प्रलय होती है। अर्थात हर चार युग पूरे होने के बाद प्रलय की घटना निरन्तर होती रहती है। हिंदू मान्ताओं के अनुसार इस समय ब्रह्मा सो जाते हैं और जब जागते हैं तो संसार का पुनः निर्माण करते हैं और युग का आरम्भ होता है। कलियुग उन चारों युगों मे से अंतिम युग है अत: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस युग के बाद प्रलय होनी है लेकिन धर्मग्रन्थ भविष्योक्त पुराण के अनुसार कलियुग 4,32,000 वर्षों का है लेकिन कलियुग की शुरुआत हुए अभी 6000 वर्ष भी नहीं हुए है और ऐसे में प्रलय का आ जाना धर्म सम्मत तो कदापि नहीं है। लेकिन जिस तरह से यह विषय पिछले कुछ वर्षों से लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है उसे देखते हुए इसे शिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। जहां धुंआ उठ रहा हो वहां आग तो होती है, हां आग कितनी मात्रा में है यह जानना जरूरी है।
एक विदेशी वैज्ञानिक के अनुसार तो प्रत्येक 11 वर्षों में एक बार मौत का मौसम आता है। सूर्य पर हर 11 साल में सोलर गतिविधिया तेज होने लगाती हैं। जिसके कारण उसके बाहरी आवरण में, आतंरिक विस्फोटो के कारण बदलाव होने लगता हैं। सूर्य पर होने वाले विस्फोट इतने विशाल होते हैं की उनका परिणाम हमारे पृथ्वी पर भी देखने को मिलते हैं। सन 1859 में भी इसी प्रकार के "सोलर तूफ़ान" धरती पर आए थे। उस समय अमेरिका ओर यूरोप में आग लगने की घटनाये हुई थी। वहां टेलीग्राफ की तारे जल गयी थीं। 11 वर्ष पहले 2001 में कई मौते हुई थी। 2012 में भी मौत का मौसम आयेगा। चलिए इन वैज्ञानिक महोदय की बात मान भी ली जाय तो इस तथ्य में ध्यान देने वाली बात यह हैं की ऐसा हमारे भारत में कही भी देखने को नहीं मिला है।
क्या इस बार ऐसा हो सकता है? यह सवाल हम सबसे मन में आना स्वाभाविक है। आइए जानते हैं इस बारे में ज्योतिष का क्या नजरिया है? 21 दिसंबर 2012 के दिन महाप्रलय होने की बात कही जा रही है। आइए सबसे पहले हम वर्ष या सम्वत्सर के फल के बारे में जानते हैं। इस समय विश्वावसु नामक सम्वत्सर रहेगा। इसके फल कुछ इस प्रकार कहे गए है कि इस सम्वत्सर में भूमि पर बहुत रोग फैलता है और मनुष्य अपने कार्यों को करने में समर्थ नहीं होते। 21 दिसंबर 2012 को हिन्दी महीना मार्गशीर्ष रहेगा। जिसका नामकरण मृगशिरा नक्षत्र के आधार पर रखा गया है। इस नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। विनाश या जनहानि में मंगल की अहं भूमिका रहती है। 21 दिसंबर 2012 के दिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि होगी। इस तिथि की देवी दुर्गा जी मानी गई हैं। जो दुष्टो की संहारिका मानी गई हैं लेकिन सदाचरियों की रक्षा करती हैं।
आइए उस दिन के ग्रह गोचर पर विचार कर लिया जाय- 21 दिसंबर 2012 के दिन सूर्योदय सुबह ७:१४ पर हो रहा है। उस समय धनु लग्न उदित है। लग्नेश बृहस्पति छठे भाव में केतू के साथ है, सूर्य लग्न पर, मंगल दूसरे, चन्द्रमा चौथे, शनि ग्यारहवें और बुध, शुक्र, राहू बारहवें भाव में स्थित हैं। चन्द्रमा शनि नक्षत्र में है और शनि राहू के नक्षत्र में होकर उस दिन चन्द्रमा से अष्टम हैं। यानी यह दिन लोगों में भय व्याप्त करने वाला रहेगा। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जिस तरह इतने दिनों से इस बात को इस प्रकार से प्रस्तुत किया जा रहा है उस कारण से लोग उस दिन भयभीत रहें। इस समय गुरु-शुक्र का सम सप्तक योग रहेगा जो राजनीति के स्तर में गिरावट, इस समय होने वाले चुनावों में सत्ता पक्ष को लाभ लेकिन किसी बडे राजनेता को कष्ट का संकेतक है।
दिसंबर 2012 में 5 शनिवार, 5 रविवार और 5 सोमवार एक साथ पड़ रहे हैं। शनिवार शनि ग्रह का दिन है, वहीं रविवार सूर्य का दिन है जबकि सोमवार चन्द्रमा का दिन माना गया है। इस प्रकार सूर्य और चन्द्रमा पर शनि का प्रभाव रहेगा। शनि और सूर्य स्वभाव से उग्र ग्रह हैं। शनि पर सूर्य का प्रभाव धरती के लिए अच्छा नहीं माना गया है वहीं सूर्य पर शनि के प्रभाव के कारण राजनैतिक उठापटक तेज हो सकती है जबकि चन्द्रमा के पीडित होने की अवस्था में समुद्री या जलीय माध्यमों से हानि सम्भव है। इनके आपसी प्रभाव के कारण जनता को कष्ट और महंगाई सम्भव है। इस महीन एक पंचग्रही दुर्योग भी बन रहा है। यह पंचग्रही योग 11 दिसंबर की शाम से बनेगा और 13 दिसंबर की शाम तक रहेगा। इसके बाद चतुर्ग्रही योग रहेगा जो 15 दिसम्बर की रात तक रहेगा। फलस्वरूप ठंड बढेगी और फसलों को कुछ हद तक नुकसान हो सकता है। हांलाकि इन योगों योगों पर बृहस्पति की दृष्टि रहेगी जो इस बात का संकेत कर रही है कि दुराचारियों, अत्याचारियों, दूसरों को परेशान करने वाले, दूसरों का हक मारने वाले एवं आतंकवादियों के लिए समय कष्टकारी हो सकता है वहीं धार्मिक लोगों, गुरुओं, ज्ञानियों व कलाकारों के लिए समय अच्छा रहेगा। लेकिन 23 दिसम्बर को शनि और राहू की युति होने जा रही है जो किसी उत्पात की ओर संकेत कर रही है।
यदि अंक ज्योतिष के अनुसार देखें तो 21-12-12 अर्थात 3-3-3 यानी कि तीन बृहस्पति के अंक मिल रहे हैं इनका योग 9 आ रहा है जो बुद्धिजीवी वर्ग में आक्रोश का संकेत तो कर रहा है लेकिन किसी भी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है। यदि हम 21-12-2012 को लेकर विचार करते हैं तो 3-3-5 आता है जिसका योग 11 यानी 2 होता है यह भी किसी अप्रिय घटना का संकेत नहीं दे रहा है।
कुल मिलाकर परिणाम यही निकलता है कि 21 दिसम्बर 2012 को अथवा उसके आसपास के दिनों में कुछ अप्रिय होने के संकेत तो मिल रहे हैं लेकिन प्रलय या महाप्रलय जैसी घटना नहीं होगी।
i like it. agar hona he to ho ham to har pal jeete he, kya phark padta he.
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