शनि जयंती आज, 5 महाउपाय बदल देंगे आपका भाग्य!

शनि संबंधित कष्टों से पाएँ मुक्ति! पढ़ें आज 15 मई 2018 को मनाई जा रही शनि जयंती का पौराणिक महत्व, साथ ही पढ़ें शनि देव की कृपा पाने के महाउपाय!


शनि देव जिनका नाम सुनकर लोग कांप उठते हैं। कुंडली में शनि की साढ़े साती, ढैया और पनौती से मनुष्य को जीवन में कभी-कभी बेहद कष्ट उठाने पड़ते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह माना गया है लेकिन शनि शत्रु नहीं है बल्कि वे हर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं, इसलिए उन्हें न्याय प्रिय और कलयुग का न्यायाधीश कहा गया है। शनि देव को कर्म भाव का स्वामी कहा गया है इसलिए इनकी आराधना से नौकरी और व्यवसाय में तरक्की मिलती है और मनुष्य श्रेष्ठ कर्म करने के लिए प्रेरित होता है।

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शनि देव के जन्म की पौराणिक कथा


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शनि देव को सूर्य और छाया का पुत्र कहा गया है। सूर्य देव का विवाह देव विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा से हुआ था। इसके बाद संज्ञा ने यम और यमि को जन्म दिया। सूर्य देव का तेज अधिक होने की वजह से संज्ञा ने अपना एक प्रतिरूप देवी छाया के रूप में तैयार किया और स्वयं तप करने के लिए चली गईं। इसके बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ लेकिन शनि देव का रूप देखने के बाद सूर्य देव ने उन्हें अपनी संतान मानने से मना कर दिया। इसके बाद से ही सूर्य और शनि पिता-पुत्र होने के बावजूद एक-दूसरे के प्रति बैर भाव रखने लगे।

जीवन में शनि का महत्व


शनि मकर तथा कुंभ राशियों का स्वामी ग्रह है। यह एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है और जन्म कुंडली में सभी ग्रहों में सबसे अधिक समय तक एक राशि में रहने वाला ग्रह शनि ही है, इसलिए शनि को मंदगामी कहा जाता है। शनि के गोचर, साढ़े साती और महादशा के दौरान मनुष्य को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में शनि की साधना और दान का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

शनि जयंती पर अवश्य करें ये 5 महाउपाय


कहते हैं कि शनि देव की कृपा जिस किसी व्यक्ति पर हो जाए तो उसे सफलता, धन, सुख, और आरोग्यता की प्राप्ति होती है। चूंकि आज शनि जयंती है इसलिए आज के दिन हर व्यक्ति को ये 5 महाउपाय जरूर करने चाहिए-

  1. शनि यंत्र की स्थापना करके उसका पूजन करना अति फलदायक माना गया है। रोज़ाना इस यंत्र की विधिपूर्वक पूजा करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

  2. सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा करना अच्छा कहा गया है। पूजन में सिंदूर, तेल, और नीले रंग के फूल का उपयोग करें। इस उपाय को आप हर शनिवार कर सकते हैं। 

  3. पाँच लोहे की वस्तुएँ, अन्न, और तेल आज के दिन निर्धन व ज़रूरतमंद व्यक्ति को दान में अवश्य दें।

  4. भोजन में तिल के लड्डू, उड़द की दाल, मीठी पूड़ी बनाकर शनि देव को भोग लगाएँ। गाय, कुत्ते, व कौओं को खिलाएँ और खुद भी ग्रहण करें।

  5. चाँदी की कटोरी में खीर को छत पर रखने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल सकता है। 

वैदिक ज्योतिष में शनि को पापी ग्रह कहा गया है लेकिन स्वभाव से शनि देव न्यायप्रिय देवता हैं। जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है शनिदेव उसे वैसा ही फल प्रदान करते हैं। शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए झूठ, छल और अनैतिक कार्य नहीं करना चाहिए।

एस्ट्रोसेज की ओर सभी पाठकों को शनि जयंती की शुभकामनाएँ

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