गणेश चतुर्थी - जानें शुभ मुहूर्त और चंद्र दर्शन निषेध का समय

जानें आज क्यों नहीं देखा जाता है चंद्रमा? आज देशभर में गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। इस विशेष अवसर पर पढ़ें गणेश चतुर्थी पर हमारा यह विशेष ब्लॉग और जानें इस धार्मिक पर्व की महिमा और उससे जुड़ी पौराणिक कथा।



गणेश चतुर्थी का पर्व विनायक दामोदर गणपति महाराज के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह शुभ दिन प्रति वर्ष भाद्रपद मास की शुक्ल की चतुर्थी तिथि को पड़ता है। इस वर्ष यह तिथि 2 सितंबर 2019 को पड़ रही है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से गणेश चतुर्थी से संबंधित एक महत्वपूर्ण तथ्य को जानेंगे कि आज के दिन क्यों चाँद के दर्शन करने को अभिशाप के रूप में देखा जाता है। लेकिन इससे पहले हम गणेश चतुर्थी के दिन होने वाली पूजा का मुहूर्त जानते हैं और चंद्र दर्शन निषेध का समय जान लेते हैं। 

गणेश पूजा के लिए मध्याह्न मुहूर्त


दिनांकसमयअवधि
2 सितंबर 2019 (सोमवार)11:04:28 से 13ः37:02 बजे तक2 घंटे 32 मिनट

नोटः उपरोक्त शुभ मुहूर्त नई दिल्ली (भारत) के लिए है। 

अपने शहर के अनुसार जानें: गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 

शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गणपति महाराज का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्न काल में हुआ था। इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा के लिए मध्याह्न काल का शुभ मुहूर्त लिया जाता है और इसी मुहूर्त में उनकी आराधना की जाती है। 

गणेश चतुर्थी व्रत व नियम


  • प्रातः स्नान ध्यान करने के बाद सोने, तांबे अथवा मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें और गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा करें। 
  • कोरे कलश में जल भरें और उसके मुंह पर नवीन वस्त्र बांधें। अब उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान करें।
  • गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करें और उन्हें 21 लडडुओं का भोग लगाएं। लडडुओं का प्रसाद ग़रीबों या ब्राह्मणों को बाँटें।


चंद्र दर्शन निषेध का समय


दिनांकसमय
2 सितंबर 2019 (सोमवार)08:54:59 से 21:03:00 बजे तक


गणेश चतुर्थी पर क्यों नहीं किया जाता है चंद्र दर्शन?


गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना निषेध माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति को एक साल तक मिथ्या कलंक लगता है। भगवान श्री कृष्णजी को भी चंद्र दर्शन का मिथ्या कलंक लगने के प्रमाण हमारे शास्त्रों में वर्णित हैं। यदि भूल से चन्द्र दर्शन हो जाए तो शास्त्रों में इसके लिए चंद्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र का विवरण है। ऐसा होने पर इस मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करना चाहिए। इसके साथ ही श्रीमद्भागवत के दसवें स्कन्द के 57वें अध्याय का पाठ करने से भी चन्द्र दर्शन दोष समाप्त हो जाता है। 

चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र 


सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवता हतः। 
सुकुमारक मा रोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः।। 

चंद्र दर्शन निषेध से जुड़ी पौराणिक कथा


गणेश पुराण में वर्णित पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि एक बार चंद्रमा श्रीगणेश जी के सूंड वाले मुख को देखकर हँसने लगे। यह देखकर गणेश जी को क्रोध आ गया। उन्होंने चंद्रमा से कहा, “तुम्हें अपनी सुंदरता पर बड़ा घमंड है, आज मैं तुम्हें ये श्राप देता हूँ कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को जो भी तुम्हें देखेगा वह कलंक का भागी बनेगा।” तब से लेकर आज तक गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने से मना किया जाता है।

हम आशा करते हैं कि गणेश चतुर्थी पर लिखा गया यह विशेष ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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