पितृ पक्ष के आखिरी दिन पित्तरों की तृप्ति के लिए इन दस चीज़ों का ज़रूर करें दान! मिलेगा पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष और आपको उनका आशीर्वाद।
अश्विन माह में आने वाली अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। हिन्दू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन पितृ विसर्जन किया जाता है। एक पक्ष तक चलने वाले श्राद्ध (पितृ पक्ष) आज ही के दिन समाप्त होते हैं। श्राद्ध समापन के उपलक्ष्य पर आज के दिन ब्राह्मणों को भोजन एवं दान-दक्षिणा दिया जाता है। ऐसा करने से पित्तरों की आत्मा तृप्त होती है।
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सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
हिन्दू मान्यता के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि अश्विन अमावस्या के दिन दिए गए श्राद्ध से पित्तरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वे जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकल जाते हैं। अमावस्या के दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी अकाल मृत्यु हो जाती है। यह अमावस्या तांत्रिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। क्योंकि अमावस्या के अगले दिन से ही शारदीय नवरात्रि शुरु हो जाती है। इसलिए तांत्रिक सिद्धि प्राप्त करने वाले इस अमावस्या की रात्रि को तांत्रिक साधना करते हैं।
वर्तमान समय में लोगों के पास समय का अभाव रहता है और व्यस्तता के कारण कई चीज़ें भूल भी जाते हैं। इसलिए यदि किसी वजह से आपको अपने पितृों के श्राद्ध की तिथि याद न हो तो, इस दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है। इसके अलावा यदि आप पूरे श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण नहीं कर पाये हैं तो, इस दिन पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन करें ये कार्य
- इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
- प्रातः सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- इसके बाद पितरों के निमित्त तर्पण करें।
- संध्या के समय दीपक जलाएँ और पूड़ी व अन्य मिष्ठान दरवाजे पर रखें। ऐसा इसलिए करना चाहिये ताकि पितृगण भूखे न जाएँ और दीपक की रोशनी में पितरों को जाने का रास्ता दिखाएँ।
सर्वपितृ अमावस्या में पिण्डदान की विधि
- पिण्डदान के समय मन को एकाग्रचित करें।
- गायत्री मंत्र का जाप करें।
- साथ ही सोमाय पितृमते स्वाहा मंत्र को जपे।
- शास्त्रों में तीन पिंडों का विधान है।
- पहले पिण्ड को जल में दें।
- दूसरे पिण्ड को गुरुजनों की पत्नी को दें।
- जबकि तीसरे पिण्ड को अग्नि में दें।
पितृ विसर्जनी अमावस्या में क्यों किया जाता है दान?
पौराणिक शास्त्र के अनुसार ऐसी मान्यता है कि सूर्य की सबसे महत्वपूर्ण किरणों में अमा नाम की एक किरण है उसी के तेज से सूर्य देव समस्त लोकों को प्रकाशित करते हैं। उसी अमामी विशेष तिथि को चंद्र का भ्रमण जब होता है तब उसी किरण के माध्यम से पितर देव अपने लोक से नीचे उतर कर धरती पर आते हैं।
यही कारण है कि श्राद्ध पक्ष की अमावस्या अर्थात पितृ पक्ष की अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन समस्त पितरों के निमित्त दान, पुण्य आदि करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और पितृ गण भी प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष अमावस्या में दान करने वाली वस्तुएँ
- गाय
- भूमि
- वस्त्र
- काले तिल
- सोना
- घी
- गुड़
- धान
- चाँदी
- नमक
सर्वपितृ अमावस्या पर लिखा गया यह ब्लॉग आपके ज्ञानवर्धन में सहायक होगा। हम आशा करते हैं कि आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। एस्ट्रोसेज से जुड़े रहने के लिए आपका धन्यवाद!
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