शिक्षक दिवस स्पेशल: इस तरीके से दिखाएं अपने करियर को सही राह

भारत का शिक्षक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाएगा। इस दिन अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें और हम से जाने की किस तरीके से आप अपने करियर को सही राह पर ले जा सकते हैं। इस विशेष दिन पर हमारा यह लेख बताएगा देश के आने वाले कल की स्थिति और ज्योतिषीय भविष्यवाणी !



शिक्षक जिसे गुरु भी कहा जाता है उसका अर्थ है ज्ञान देने वाला अर्थात शिक्षा देने वाला। गुरु जिन दो शब्दों से मिलकर बना है, उनका अर्थ है, अंधेरे से बाहर लाने वाला। अर्थात अज्ञानता के अंधेरे से बाहर निकालकर ज्ञान के प्रकाश में लाकर जीवन को आलोकित करने वाला गुरु है। गुरु की महिमा को शास्त्रों में भी स्थान दिया गया है इस संबंध में यह श्लोक जगत में प्रसिद्ध है:

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः, 
गुरु साक्षात परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः। 

गुरु ही ब्रह्मा गुरु ही विष्णु है और गुरु ही महेश्वर हैं वास्तव में गुरु ही साक्षात परम ब्रह्म है इसलिए हम गुरुदेव को नमन करते हैं। यही वजह है कि गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। कबीर दास जी ने भी गुरु की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है कि:

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

इस प्रकार जीवन में गुरु का महत्व सबसे अधिक माना जाता है क्योंकि वह हमारे जीवन को सही मार्ग पर ले कर आता है और हमें इस योग्य बनाता है कि हमारा चरित्र विकसित हो और हम जीवन में अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के योग्य बन सकें। यूं तो गुरु का धन्यवाद करने के लिए कोई विशेष दिन नहीं होता लेकिन भारत में 5 सितंबर को प्रतिवर्ष शिक्षक दिवस अर्थात टीचर्स डे के रूप में मनाया जाता है। इसकी क्या वजह है, यह अब आपको बताते हैं: 

शिक्षक दिवस मनाने का कारण


हमारे देश भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था। वे शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। इन पदों को सुशोभित करने से पहले वह एक शिक्षक थे और अपनी इस पद को वह सबसे बड़ा मानते थे। क्योंकि शिक्षक का कार्य समाज का निर्माण करना है। उनके अनुसार देश में शिक्षकों का मानचित्र सबसे अधिक अच्छा होना आवश्यक है क्योंकि भावी पीढ़ी का निर्माण उन्हीं के कंधों पर होता है। वे एक महान दार्शनिक और लेखक भी थे। वे भारतीय संस्कृति के संवाहक होने के साथ-साथ दर्शन शास्त्री और प्रख्यात शिक्षाविद् भी थे। 

उन्होंने आँध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर तथा ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद को सुशोभित किया। उसके बाद कलकत्ता विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले जॉर्ज पंचम कॉलेज के प्रोफेसर बने और फिर काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय के चांसलर रहे। इसके उपरांत वे दिल्ली विश्‍वविद्यालय के चांसलर भी रहे। भारत की आज़ादी से पहले भी अंग्रेजों द्वारा उन्हें उनके ज्ञान और योग्यता के कारण ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा "सर" की उपाधि प्रदान की गयी थी। सन 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद जी ने उन्हें उनकी महान दार्शनिक क्षमता व शैक्षिक योग्यताओं एवं उपलब्धियों के लिये देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया।

सन 1962 में जब वे देश के राष्ट्रपति बने तो उनके छात्र उनको सम्मान देने के लिए उनके जन्मदिन को राधाकृष्णन दिवस के रूप में मनाना चाहते थे लेकिन डॉ राधाकृष्णन ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया और कहा कि मुझे गौरव होगा यदि मेरे जन्मदिन को मेरे नाम की जगह शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए और शिक्षकों को सम्मान के रूप में इस दिवस को याद रखा जाए। तब से लेकर आज तक 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने का चलन है जिस दिन सभी स्कूल कॉलेज में छात्र अपने शिक्षकों को थोड़ा गुरुओं को सम्मान स्वरूप टीचर डे मनाते हैं। 

भारत में शिक्षक दिवस का महत्व


भारत देश की संस्कृति बहुत पुरानी है और यहां पर शुरू से ही गुरुकुल की परंपरा रही है और गुरुओं का सम्मान किया जाता है। 5 सितम्बर के दिन विशेष रूप से शिक्षकों को सम्मान देने की परंपरा है। इस दिन सभी छात्र मिलकर शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं आप शिक्षक उनका धन्यवाद करते हैं। एक तरीके से भारत में शिक्षक दिवस के समारोह के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच बेहतर सामंजस्य रहता है और विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं भी स्कूल कॉलेज स्तर पर आयोजित की जाती हैं। वास्तव में टीचर्स डे भारतीय संस्कृति को परिलक्षित करता है और जीवन में शिक्षकों की आवश्यकता और अपनी के महत्व पर प्रकाश डालता है।

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शिक्षक दिवस पर जानें उत्तम शिक्षा के योग 


वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत व्यक्ति को जीवन को ग्रुप में और नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर अनेक प्रकार से प्रभाव मिलते हैं और ग्रहों की स्थिति के आधार पर कुछ ऐसे लोग हैं जिनके व्यक्ति को अच्छी शिक्षा मिलने की संभावना का पता चलता है। कुंडली के विभिन्न भाव शिक्षा और शिक्षकों के बारे में बताते हैं। जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव और पंचम भाव शिक्षा तथा बुद्धि के बारे में बताते हैं। यदि इन भावों के स्वामी अनुकूल स्थिति में हो और मजबूत हो तथा जन्म कुंडली में इन भावों पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को अच्छी शिक्षा मिल सकती है। 

कुंडली का नवम भाव हमारे गुरु अर्थात टीचर के बारे में बताता है और नवम भाव से ही उच्च शिक्षा का भी पता चलता है। कुंडली में बृहस्पति ग्रह जहां हमारे ज्ञान को बताता है, वहीं बुध ग्रह बुद्धि को तथा शुक्र ग्रह कल्पनाशीलता को परिभाषित करता है। कुंडली का दूसरा भाव व्यक्ति की निपुणता का परिचायक होता है। यदि पंचम भाव का संबंध नवम भाव से हो तथा इनके स्वामी कुंडली के केंद्र अथवा त्रिकोण भावों में शुभ योगों में हों तो व्यक्ति को उत्तम शिक्षा की प्राप्ति होती है और उसकी गणना विद्वानों में होती है। इस प्रकार वैदिक ज्योतिष भी हमें शिक्षा की स्थिति के बारे में बताता है। 


इस तरीके से दिखाएं अपने करियर को सही राह


प्रत्येक विद्यार्थी और उनके माता-पिता का यह सपना होता है कि उनकी संतान भविष्य में एक अच्छा मुकाम हासिल करें और उसका करियर काफी उन्नति प्राप्त करें और इसके लिए वे अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। कई बार ऐसी स्थितियां निर्मित होती हैं कि हम ऐसी शिक्षा प्राप्त कर लेते हैं जो भले ही हमारे ज्ञान की वृद्धि करती हो लेकिन हमारे करियर को सही दिशा में ले जा पाने में असमर्थ हो जाती है। ज्योतिष के नजरिए से देखने पर पता चलता है कि आप जो शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं क्या वह आपके व्यवसाय अथवा पेशे में योगदान देगी अथवा आप उससे अलग किसी अन्य क्षेत्र में काम करेंगे और आपका करियर किसी दूसरे क्षेत्र में बनेगा। इसलिए जानना अति आवश्यक हो जाता है कि हमें किस दिशा में अपनी शिक्षा प्राप्त करने चाहिए ताकि वह हमारे करियर को ऊपर उठाने में सहायक बने। सही समय पर प्राप्त की गई सही शिक्षा हमारे करियर को मजबूती देती है। 

एस्ट्रोसेज ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस उद्देश्य के साथ कि प्रत्येक विद्यार्थी को सही मार्गदर्शन मिल सके एक ऐसी रिपोर्ट का निर्माण किया है जो दुनिया की अनोखी रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में ज्योतिष और मनोविज्ञान को आधार बनाकर छात्र के व्यक्तित्व के विकास और उसके भावी करियर को ध्यान में रखते हुए उसको किस प्रकार के विषयों का चयन करना चाहिए, इस पर प्रकाश डाला है। जी हां यह बहुत बेहतरीन रिपोर्ट है और इसकी सहायता से बहुत छात्रों को करियर से संबंधित मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है। इस रिपोर्ट का नाम है: कोग्निएस्ट्रो रिपोर्ट (Cogniastro Report)। 

हर एक माता-पिता के लिए और उनके पढ़ने वाले बच्चों के लिए यह रिपोर्ट काफी मददगार है क्योंकि यह आपके जीवन की उन समस्याओं पर से पर्दा उठाती है जो आपको सबसे ज्यादा परेशान करती हैं। यानि कि आपको किस दिशा में शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए ताकि आप सही दिशा में अपना करियर बना पाने में सफल हों। यदि आपका बच्चा कक्षा 10 का विद्यार्थी हैं और कक्षा 10 के बाद आप दुविधा में हैं कि आगे कौन से विषय लिए जाएं तो आपको कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 10 तक) का चयन करना चाहिए। इसमें आपकी सभी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया गया है और आपको बताया गया है कि कक्षा 10 के बाद आपके बच्चे की ग्रह स्थिति, उसकी रुचि, उसकी सोच और अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए उसे किन विषयों का चयन करना चाहिए। 

इसके अतिरिक्त जो छात्र अपनी ग्रेजुएशन तक की शिक्षा पूर्ण कर चुके हैं और नौकरी की तलाश में हैं या फिर आप पहले से ही जॉब कर रहे हैं लेकिन उसको बदलना चाहते हैं तो आप हमारी करियर परामर्श रिपोर्ट का चयन कर सकते हैं क्योंकि यह आपके करियर की संभावनाओं को बताकर आपका पूर्ण मार्गदर्शन करेगी। 

हम आशा करते हैं कि किया शिक्षक दिवस आपके लिए शुभ हो और आपके जीवन में शिक्षा का कभी अंधेरा ना हो तथा आपके जीवन के समस्त समस्याओं को शिक्षा का उजाला दूर कर सकें। एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

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