हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को समृद्धि की देवी के रुप में जाना जाता है। लक्ष्मी माता भगवान विष्णु की पत्नी हैं और भक्तों के दुख हरने वाली हैं। हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिये उनकी पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। खासकर भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी से शुरु होने वाले महालक्ष्मी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। साल 2019 में भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी 6 सितंंबर को पड़ेगी और इसी दिन से महालक्ष्मी व्रत आरंभ होगा। इस व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के लिये हमारा यह लेख पढ़ें।
शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी व्रत सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला बताया गया है। इसके साथ ही जीवन में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिये भी लोग महालक्ष्मी व्रत रखते हैं। यह व्रत 16 दिनों तक चलता है। हालांकि आप यदि 16 दिन व्रत रखने में समर्थ नहीं हैं तो केवल तीन दिनों (पहले, आठवें और सोलहवें दिन) का व्रत भी रख सकते हैं। हालांकि व्रत चाहे कितने भी दिनों का हो अपने तन औऱ मन को सभी सोलह दिनों तक आपको शुद्ध बनाये रखना चाहिये। महालक्ष्मी के व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें तो आपके लिये अति उत्तम रहेगा।
साल 2019 में महालक्ष्मी व्रत
महालक्ष्मी व्रत विधि
- माता महालक्ष्मी के व्रत के दिन आपको उठते ही कुछ देर माता का ध्यान करना चाहिये। इसके बाद आपको स्नानआदि से निवृत होकर अपने घर और पूजा स्थल को भी साफ करना चाहिये।
- इसके बाद महालक्ष्मी व्रत का संकल्प लेना चाहिये और माता से प्रार्थना करनी चाहिये कि मेरा यह व्रत सफल हो औऱ इसमें कोई विघ्न न आए।
- यदि आपने सोलह दिनों या तीन दिनों का महालक्ष्मी व्रत लिया है तो हर दिन सुबह शाम आपको माता की पूजा करनी चाहिये।
- व्रत के सोलह दिनों तक घर की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें।
- सोलहवें दिन जब व्रत पूरा हो जाए तो उस दिन लाल रंग के वस्त्र से एक मंडप बनाकर उसमें मॉं लक्ष्मी की प्रतिमा रखनी चाहिये।
- माता के पूजन के लिये फल, फूल, मिठाई, मेवा, कुमकुम आदि पूजा स्थल पर रखें।
- पूजा के दौरान माता को 16 बार सूत चढ़ाई जानी चाहिये और नीचे दिये गये मंत्र का उच्चारण करना चाहिये। इस मंत्र का सारांश यह है कि, हे माता लक्ष्मी आप मेरे द्वारा लिये गये इस व्रत से संतुष्ट हों।
क्षीरोदार्णवसम्भूता लक्ष्मीश्चन्द्र सहोदरा।
व्रतोनानेत सन्तुष्टा भवताद्विष्णुबल्लभा।।
- इसके बाद माता लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान करवाएं और षोडशोपचार पूजा करें। यदि आपकी सामर्थ्य है तो इस दिन आपको चार ब्राह्माणों को भोजन अवश्य करवाना चाहिये।
- महालक्ष्मी के व्रत के दिन एक बात का ध्यान जरुर रखना चाहिये कि आप फल, दूध और मिठाई के अलावा कुछ भी न खाएं।
महालक्ष्मी व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत से जुड़ी एक कथा हमारे पुराणों में मिलती है। इस कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण निवास करता था जो भगवान विष्णु का भक्त था। एक बार उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे दर्शन दिये और उससे वरदान मांगने को कहा। भगवान की बात को सुनने के बाद ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास घर में होने की कामना रखी। ब्राह्मण की इच्छा को सुनने के बाद विष्णु भगवान ने कहा कि तुम्हारे गांव के मंदिर के पास एक महिला उपले थापती है वही देवी लक्ष्मी हैं उस स्त्री यानि देवी लक्ष्मी को अपने घर आने का आमंत्रण दो।
भगवान विष्णु के बताये अनुसार उस ब्राह्मण ने वैसा ही किया। वह उपल थापने वाली स्त्री यानि देवी लक्ष्मी के पास गया और उन्हें घर आने का निमंत्रण दिया। उसकी बातों को सुनकर देवी लक्ष्मी समझ गयीं कि यह काम भगवान विष्णु का है। इसके बाद उन्होंने ब्राह्मण से कहा कि तुम 16 दिनों तक महालक्ष्मी का व्रत रखो और 16 वें दिन रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दो ऐसा करने से तुम्हारी मनोकामना पूरी होगी। ब्राह्मण ने देवी की बातों को सुनकर विधि-विधान से महालक्ष्मी का व्रत रखा और 16 वें दिन लक्ष्मी जी ने अपना वचन निभाया। तब से महालक्ष्मी का व्रत भारत के लोगों द्वारा रखा जाने लगा।
महालक्ष्मी व्रत का फल
माता महालक्ष्मी को उल्लास और विनोद की देवी भी माना जाता है। अगर आप विधि-विधान औऱ स्वच्छ मन से इस व्रत को रखते हैं तो माता महालक्ष्मी की कृपा आप पर अवश्य बरसती है। आपका व्रत यदि सफल होता है तो आपके जीवन में धन से जुड़ी परेशानियां दूर हो जाती हैं और सामाजिक स्तर पर आप अच्छे फल प्राप्त कर पाते हैं। आपको बस यह ध्यान रखने की जरुरत है कि आपके द्वारा महालक्ष्मी व्रत के दौरान कोई भी अनुचित काम न हो। व्रत के दौरान आपको अपने तन और मन को पवित्र रखना चाहिये।
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