भाई दूज के दिन इस पूजा विधि से पाएँ अपने भाई की लंबी उम्र। साथी ही जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा।
भाई-बहने के पवित्र रिश्ते को औऱ भी मजबूत बनाने के लिये भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2019 में भाई दूज का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भाई-बहन एक दूसरे से मिलते हैं और बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि औऱ लंबी आयु की मन्नत मांगती हैं। भाई भी इस मौके पर अपनी बहनों को उपहार स्वरुप कुछ देते हैं।
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भाई दूज 2019 का मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का पर्व शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इसे भारत के अलग-अलग राज्यों में भाई टीका या भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
नोट: उपयुक्त मुहूर्त केवल नई दिल्ली के लिए प्रभावी होगा। अपने शहर का मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें भाई दूज मुहूर्त 2019.
मान्यता है कि शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमराज अपनी बहन यमुना के बुलाये पर उनके घर भोजन पर पधारे थे, इसलिये इस दिन यमराज की पूजा भी की जाती है और यही वजह है कि इस दिन को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
भाई दूज के रीति रिवाज
भारतीय धरती पर वैसे तो कई त्योहार मनाये जाते हैं फिर भी भाई दूज का त्योहार अपने आप में एक अलग स्थान रखता है। जिस तरह से हर त्योहार को मनाने की भारत में अलग रीति है उसी तरह भाई दूज का त्योहार भी रीति रिवजों के अनुसार ही मनाया जाता है। इस त्योहार के रीति रिवाज नीचे दिये गये हैं।
- अन्य त्योहारों की तरह भाई दूज के त्योहार पर भी भारतीय घरों में चहल-पहल होती है। इस दिन भाई-बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करती हैं।
- इसके बाद बहनें भाईयों को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं। पूजा की थाली में फूल, मिठाई, कुमकुम इत्यादि होने चाहिये।
- भाईयों को तिलक करने के लिये चावल और कुमकुम के मिश्रण का तिलक बनाया जाना चाहिये और शुभ मुहुर्त पर भाईयों को यह तिलक लगाया जाना चाहिये।
- तिलक लगाने के बाद बहनों को मिठाई से भाई का मुंह मीठा करना चाहिये वहीं भाईयों को बहन को उपहार दिये जाने चाहिये।
- इस दिन भाई बहनों को अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करके एक दूसरे के प्रति स्नेह का भाव रखना चाहिये।
भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा
भाई दूज के पवित्र त्योहार को पौराणिक काल से मनाया जा रहा है इसका सबूत इस कथा से मिलता है। यह कथा कृष्ण और नरकासुर राक्षस के संबंध में है। ऐसा माना जाता है कि नरकासुर नाम के एक राक्षस ने अपने आतंक से लोगों को परेशान कर दिया था। राक्षस के आतंक से परेशान लोगों को बचाने के लिेये भगवान श्रीकृष्ण ने इस राक्षस को सबक सिखाया और और नरकासुर का वध कर डाला। ऐसी मान्यता है कि शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान श्रीकृष्ण नरकासुर को मारकर द्वारिका वापस लौटे थे। भगवान कृष्ण का स्वागत करते हुए उनकी बहन सुभद्रा ने उन्हें फल और मिठाई खिलाकर उनका स्वागत किया था और घर को भाई के स्वागत में दीयों से सजाया था। सुभद्रा ने अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की थी। कहते हैं कि इसी दिन से भाई दूज का त्योहार मनाया जाना शुरु हुआ था.
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