इस समय निकलेगा आज चाँद, जानें करवा चौथ में कैसे रखें व्रत और किस विधि से करें पूजा।
करवा चौथ का पर्व विवाहित हिन्दू महिलाओं का सबसे खास त्यौहार है। इस अवसर पर अपने पति की दीर्घायु और अपने दापंत्य जीवन के ख़ुशहाल के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार, करवा चौथ का पर्व कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। भारत में यह पर्व मुख्य रूप से देश के उत्तरी राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएँ व्रत से जुड़ी कथा सुनती हैं और रात में सोलह शृंगार करके चंद्रमा को देखकर तथा अपने पति की पूजा करके ही व्रत पूरा करती हैं। इस दौरान पति अपनी पत्नी को जल पिलाता है और उसके बाद हल्का भोजन ग्रहण किया जाता है।
जानें अपने शहर के अनुसार चंद्रमा के निकलने का समय: आज का चंद्रोदय
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
नोट: ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए है। आप अपने शहर के अनुसार करवा चौथ का शुभ मुहूर्त यहाँ जान सकते हैं : करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ में दो शब्द हैं। पहला शब्द करवा है, जिसका अर्थ होता है कि मिट्टी से बना बर्तन। जबकि चौथ से आशय चतुर्थी तिथि से है। मान्यता है कि करवा का प्रयोग जीवन में सुख-समृद्धि को दर्शाता है। इस व्रत का विवाहित महिलाओं को बेसब्री से इंतज़ार रहता है, ताकि वे पूरे विधि विधान के साथ अपने जीवनसाथी के सुखी जीवन की कामना कर सकें। करवा चौथ पति-पत्नी के बीच एक प्रेम और विश्वास से परिपूर्ण अटूट बंधन को दर्शाता है।
मेहंदी
मेेहंदी को भाग्य का प्रतीक माना जाता है। भारत में ऐसी मान्यता है कि यदि किसी लड़की के हाथों में मेहंदी का रंग गहराई से चढ़ता है तो उसका पति अथवा प्रेमी उसे उतना ही प्रेम करता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि हाथों में मेंहदी का गाढ़ा रंग पति की दीर्घायु और उसके स्वस्थ्य जीवन को दर्शाता है। हाथों में मेहंदी रचाने की परंपरा महिलाओं के शृंगार का हिस्सा है। इससे उनकी सुंदरता में चार चाँद लग जाते हैं।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा
करवा चौथ की रात में जब चंद्रमा उदय होता है तो उसी व्रत रखने वाली शादीशुदा महिलाएँ पूजा की सजी हुई थाली के साथ छत पर आ जाती हैं। इस दौरान वे चंद्रमा की पूजा करती हैं। वे चंद्र देव को अर्घ्य देती हैं। करवा चौथ पर चंद्रमा की पूजा का बड़ा महत्व है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन और पूजन के बाद महिलाएं व्रत तोड़कर अन्न-जल ग्रहण करती हैं।
इस पूजन के दौरान पहले महिलाएँ छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद पति के हाथों जल या मिठाई लेकर व्रत खोलती हैं। इस दिन चंद्रमा के साथ-साथ भगवान शिव एवं माँ पार्वती और भगवान कार्तिकेय की पूजा होती है। ऐसा कहा जाता है कि इनकी पूजा करने से दांपत्य जीवन ख़ुशहाल बना रहता है और जीवनभर सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
करवा चौथ के नियम
- व्रत रखने वाली विवाहित स्त्री को प्रातः जल्दी उठना चाहिए।
- चंद्रोदय से पूर्व भगवान गणेश, शिवजी एवं माँ पार्वती की आराधना करें।
- पूजा के दौरान देवी-देवताओं की मूर्ति पूर्व दिशा में रखें जिससे कि पूजा के समय आपका मुख पूर्व की दिशा में हो।
करवा चौथ पूजा से जुड़े मंत्र
- भगवान गणेश जी आराधना के लिए मंत्र 'ॐ गणेशाय नमः'
- माँ पार्वती की आराधना के लिए मंत्र: 'ॐ शिवायै नमः'
- भगवान शिव की आराधना के लिए मंत्र 'ॐ नमः शिवाय'
- भगवान कार्तिकेय की आराधना का मंत्र 'ॐ षण्मुखाय नमः'
- चंद्र देव की आराधना के लिए मंत्र 'ॐ सोमाय नमः'
एस्ट्रोसेज की ओर से आपको करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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