महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावों का लेखा जोखा

भारत के 2 राज्यों हरियाणा और महाराष्ट्र में अक्टूबर 2019 में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हो चुका है। इलेक्शन कमीशन द्वारा जारी किए गए विवरण के अनुसार महाराष्ट्र और हरियाणा के लोग 21 अक्टूबर को 14 वीं विधानसभा के लिए वोट डालेंगे और उसके 3 दिन बाद अर्थात 24 अक्टूबर 2019 को मत-गणना होगी और शाम तक साफ हो जाएगा कि इन दोनों राज्यों में कौन सी पार्टी सत्ता पर काबिज होगी और किसे हार का मुंह देखना पड़ेगा। 


मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के अनुसार 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है और 90 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर को समाप्त होने जा रहा है। ऐसे में दोनों ही राज्यों में चुनाव तय समय पर होंगे।


2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था और भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दल शिवसेना के साथ सत्ता में आई थी और भारतीय जनता पार्टी के देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने। इस वर्ष महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शरद पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी यानि कि एन सी पी से गठजोड़ किया है। ग़ौरतलब है कि शरद पवार पर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है। 

यदि हरियाणा की बात की जाए तो वहां भी भारतीय जनता पार्टी ने पिछली बार सरकार बनाई थी और कांग्रेस और ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली आईएनएलडी को घेरने का पूरा प्रयास किया। वर्तमान समय में बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री हैं। पंजाब के चुनावों में बीजेपी का साथ देने वाली प्रकाश सिंह बादल की अकाली दल ने अपने दम पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। 

इस बार के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी एक प्रबल दावेदार के रूप में तैयार हैं और विपक्ष विभिन्न प्रकार के खेमों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी अपने हाथ आजमाने की बात कह चुकी है। ऐसे में मुकाबला काफी दिलचस्प होगा क्योंकि जहां बीजेपी की साख दाँव पर होगी और वह सभी सीटों को कब्ज़ाने का प्रयास करेगी वहीं विभिन्न भागों में बँटा हुआ विपक्ष क्या एकजुट होकर उसे चुनौती दे पाएगा। 

इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने यह जानने का प्रयास किया कि आगामी विधानसभा चुनावों में किस पार्टी के सिर जीत का सेहरा सजेगा और किसे हार का मुंह देखना पड़ेगा। इसके लिए हमने वैदिक ज्योतिष का सहारा लिया है और ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर कुछ बातें काफी दिलचस्प तरीके से हमारे सामने आई हैं, जिन्हें हम यहां व्यक्त करने जा रहे हैं:

अक्टूबर के महीने में ग्रहों का गोचर


4 अक्टूबर को शुक्र तुला राशि में प्रवेश करेगा जोकि इसकी अपनी राशि है और इसके बाद 18 अक्टूबर को सूर्य भी तुला राशि में ही प्रवेश करेगा। बुध महीने की शुरूआत से ही इस राशि में विराजमान रहेगा और 23 अक्टूबर को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएगा। इसी राशि में शुक्र का गोचर 28 अक्टूबर को होगा। 

आइए अब वैदिक ज्योतिष के अनुसार मुख्य पार्टियों भाजपा और कांग्रेस की कुंडलियों का अध्ययन करते हैं और डालते हैं ग्रहों के प्रभाव पर एक नजर:

भारतीय जनता पार्टी 

(6-4-1980: 11:40:00: नई दिल्ली)


(बीजेपी की कुंडली)

मुख्य बिंदु


  • बीजेपी की लग्न राशि मिथुन है और चंद्र राशि वृश्चिक है। 
  • मंगल, बृहस्पति और शनि तीनों मुख्य ग्रह वक्री हैं। 
  • कुंडली के तीसरे भाव में अर्थात सिंह राशि में राहु, मंगल, बृहस्पति और शनि की युति है।
  • शनि की साढ़ेसाती अंतिम दौर में चल रही है। 
  • लग्नेश बुध और केतु की युति नवम भाव में है। 

चुनाव के दौरान ग्रह दशा:


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान बीजेपी की कुंडली में:

  • चंद्र-मंगल-चंद्र की दशा 9 अक्टूबर2019 तक रहेगी। 
  • इसके बाद चंद्र-राहु - राहु की दशा शुरू होगी जो 1 जनवरी 2020 तक चलेगी। 

चुनाव के दौरान ग्रहों का गोचर:


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान बीजेपी की कुंडली में:

  • शनि का गोचर जन्मकालीन चंद्र से दूसरे भाव में होगा।
  • गुरु बृहस्पति जन्म कालीन चंद्र राशि में ही स्थित होंगे और दूसरे भाव की ओर अग्रसर होंगे। 
  • राहु जन्म कालीन चंद्रमा से अष्टम भाव में होगा। 
  • मंगल महाराज चंद्र राशि से ग्यारहवें भाव में विराजमान रहकर अपना प्रभाव देंगे। 

विधान सभा चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन एवं स्थिति


जिस समय महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होंगे और उनकी गिनती होगी, उस समय बीजेपी की कुंडली में चंद्रमा की महादशा में राहु की अंतर्दशा चल रही होगी। चंद्रमा ज्येष्ठा नक्षत्र में है जो कि गंड मूल नक्षत्र है लेकिन लग्न का स्वामी बुध है जो नवम भाव में बैठकर राजयोग बना रहा है और चंद्रमा उसी चतुर्थ भाव और लग्न के स्वामी बुध के नक्षत्र में है। राहु मघा नक्षत्र में विराजमान हैं जो कि केतु का नक्षत्र है जो कि पुनः नवम भाव में बैठकर राज योग बना रहा है। हालांकि राहु शनि मंगल और बृहस्पति के साथ बैठकर प्रभावित हो रहा है।

ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है कि यह चुनाव बीजेपी को सत्ता प्राप्ति में सफलता तो दिला सकते हैं। और उनकी सहयोगी पार्टी शिवसेना जहां एक ओर खुले तौर पर उनका साथ देगी वहीं दूसरी ओर अपनी कुछ ऐसी माँगें भी रख सकती है जिससे बीजेपी को कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। चंद्र राशि से दूसरे भाव में गोचर कर रहा शनि और चंद्र राशि में बैठे गुरु बृहस्पति महाराज ऐसी स्थितियां बना रहे हैं जो सत्ता में वापसी की ओर तो संकेत कर रही हैं लेकिन फिर भी कुछ स्थितियों में सावधान रहने की आवश्यकता होगी। ऐसी संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी सहयोगी दलों के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ले, लेकिन मतदान प्रतिशत में कमी हो सकती है तथा कुछ सीटें पहले के मुकाबले हाथ से निकल सकती हैं। 

कांग्रेस

(02-01-1978: 11:59:00: नई दिल्ली)


(कांग्रेस की कुंडली)

मुख्य बिंदु 


  • कांग्रेस की लग्न राशि मीन और चंद्र राशि कन्या है। 
  • शनि, बृहस्पति और मंगल तीनों मुख्य ग्रह वक्री हैं।
  • शुक्र अस्त होकर दशम भाव में सूर्य के साथ धनु राशि में स्थित है। 
  • मंगल कर्क राशि (नीच) में पंचम भाव में है।
  • राहु - चंद्र की युति सप्तम भाव में है।

चुनाव के दौरान ग्रह दशा


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान कांग्रेस की कुंडली में:

  • बृहस्पति की महादशा में शनि की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंतर दशा चल रही होगी जो कि 1 जनवरी 2020 तक रहेगी। 

चुनाव के दौरान ग्रहों का गोचर:


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान बीजेपी की कुंडली में:

  • शनि का गोचर जन्मकालीन चंद्रमा से चतुर्थ भाव में होगा और यह गोचर जन्म कालीन सूर्य और शुक्र के ऊपर होगा।
  • गुरु बृहस्पति का गोचर जन्म कालीन चंद्र राशि से तीसरे भाव से होगा और वो चौथे भाव की ओर आगे बढ़ रहे होंगे। 
  • राहु जन्म कालीन चंद्रमा से दशम भाव में होगा और जन्म कालीन बृहस्पति के ऊपर का। 
  • मंगल महाराज चंद्र राशि के ही भाव में विराजमान रहकर अपना प्रभाव देंगे। 


विधान सभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन एवं स्थिति


महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी बृहस्पति की महादशा, शनि की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंतर दशा से गुज़र रही होगी। बृहस्पति कुंडली के लग्न और दशम भाव के स्वामी होकर चतुर्थ भाव में विराजमान हैं और दशम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहें हैं। शनि देव भी ग्यारहवें और बारहवें भाव के स्वामी होकर छठे भाव में बैठे हैं तथा शुक्र महाराज तीसरे और आठवें भाव के स्वामी होकर दशम भाव में विराजमान हैं। देव गुरु बृहस्पति मंगल के नक्षत्र में है जो कि कुंडली में नवम भाव का स्वामी होकर पंचम भाव में नीच राशि में विराजमान है और शनि महाराज केतु के नक्षत्र में है जो कि लग्न में है तथा शुक्र देव अस्त अवस्था में केतु के ही नक्षत्र में विराजमान हैं। 

शनि का गोचर जन्म राशि से चतुर्थ भाव में होने के कारण ऐसी संभावना बन रही है कि कांग्रेस अपनी जोड़-तोड़ की नीति का कुछ लाभ उठाने में अवश्य ही सफल हो सकती है, हालांकि सरकार बनाने में उनकी सफलता की संभावना कम ही दिखाई देती है। पार्टी को अंतरकलह का सामना करना पड़ सकता है और अपने ही कुछ नेता पार्टी बदल कर दूसरी पार्टी में शामिल भी हो सकते हैं। जिस प्रकार कांग्रेस ने शरद पवार की एनसीपी से तालमेल बिठाने का प्रयास किया है उससे कुछेक स्थानों पर उन्हें लाभ हो सकता है लेकिन सत्ता प्राप्ति से दूरी रहने की संभावना अधिक दिखाई देती है। 

क्या कहती है देवेंद्र फडणवीस की कुंडली?


महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बीजेपी-शिव सेना के मुख्य दावेदार देवेंद्र फडणवीस के लिए विधानसभा चुनाव में कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। सीटों के बँटवारे के लिए शिवसेना से तालमेल बिठाना इनके लिए सबसे पहली चुनौती होगी। 

(22-07-1970: 6:00: नागपुर)


(देवेंद्र फडणवीस की कुंडली)


मुख्य बिंदु 


  • इनकी लग्न राशि कर्क और चंद्र राशि कुम्भ है। 
  • लग्न में मंगल अपनी नीच राशि में अस्त अवस्था में सूर्य और बुध के साथ बैठा है।
  • शुक्र और केतु की युति द्वितीय भाव में है। 
  • देव गुरु बृहस्पति चतुर्थ राशि में विराजमान हैं। 
  • राहु और चंद्र की युति अष्टम भाव में है। 
  • शनि अपनी नीच राशि मेष में दशम भाव में मौजूद हैं। 

चुनाव के दौरान ग्रह दशा


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान देवेंद्र फडणवीस की कुंडली में:

  • अक्टूबर के महीने में बुध-बृहस्पति-राहु की दशा चल रही होगी जो 12 अक्टूबर तक चलेगी। 
  • इसके बाद बुध-शनि-शनि की दशा प्रारंभ होगी जो 15 मार्च 2020 तक प्रभावी रहेगी। 

चुनाव के दौरान ग्रहों का गोचर:


विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 के दौरान बीजेपी की कुंडली में:

  • शनि देव जन्मकालीन चंद्र से एकादश भाव में स्थित रहेंगे। 
  • गुरु बृहस्पति जन्म कालीन चंद्र राशि से दशम भाव में स्थित होंगे और एकादश भाव की ओर बढ़ेंगे। 
  • राहु जन्म कालीन चंद्रमा से पंचम भाव में होगा। 
  • मंगल महाराज चंद्र राशि से अष्टम भाव में विराजमान रहेंगे। 

विधानसभा चुनावों के लिए कुंडली विश्लेषण:


श्री देवेंद्र फडणवीस की कुंडली में विधानसभा चुनावों के दौरान और जब चुनाव का परिणाम आएगा उस दौरान बुध की महादशा में शनि की अंतर्दशा शनि की प्रत्यंतर दशा चल रही होगी। इनकी कुंडली में शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी होकर दशम भाव में विराजमान है तथा बुध तृतीय और द्वादश भाव का स्वामी होकर लग्न में विराजमान है। जन्म कालीन चंद्र राशि कुंभ से शनि और बृहस्पति का गोचर इन के पक्ष में स्थिति का निर्माण कर रहा है। इन्हें निजी तौर पर अनेक प्रयास करने होंगे और साथ ही साथ अपनी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना होगा। कुंडली में ग्रहों की दशा के आधार पर कहा जा सकता है कि आने वाली स्थितियां इनके पक्ष में रहेंगी और यह सत्ता बरकरार रख पाने में सफल हो सकते हैं। हालांकि सहयोगी दलों से कुछ समस्याएं बनी रहेंगी और आगामी समय में जब जनवरी में शनि का गोचर बदलेगा तो इनकी साढ़ेसाती की दशा प्रारंभ होगी जो इनके लिए मानसिक तनाव के साथ-साथ विरोधियों को भी जन्म देगी जो संभवत: उनके सहयोगी दलों से संबंधित हो सकते हैं। 

हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जन्म संबंधी पूरी जानकारी ना होने के कारण उनकी कुंडली पर चर्चा कर पाना संभव नहीं है लेकिन नाम के अनुसार सिंह राशि की कुंडली बनती है जिसमें पंचम भाव में शनि देव गोचर कर रहे हैं और चतुर्थ भाव में देव गुरु बृहस्पति। इससे ऐसा ज़रूर प्रतीत होता है कि काफी लोगों उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर नापसंद करते हों, लेकिन केंद्र में बीजेपी की सरकार होने का और केंद्र के निकट का राज्य होने का लाभ उन्हें अवश्य मिलेगा और वे सत्ता में वापस लौट सकते हैं। 

निष्कर्ष: उपरोक्त व्यक्तियों और पार्टियों की कुंडलियों के अतिरिक्त अन्य कुछ पार्टियों जिनमें आम आदमी पार्टी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, तथा कुछ अन्य प्रमुख पार्टियों और दावेदारों पर ध्यान देते हुए यह निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र और हरियाणा की वर्तमान सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी को विपक्ष के एकजुट ना रहने का अधिक लाभ हो सकता है और वे सत्ता में वापसी कर सकते हैं लेकिन उन्हें कुछ सीटों का नुकसान होने की संभावना रहेगी तथा कुछ परंपरागत सीटें भी उनके हाथ से निकल सकती हैं। उनके वोट प्रतिशत में कमी आने की संभावना हो सकती है हालांकि हरियाणा में विशेष रूप से केंद्र की बीजेपी सरकार का प्रभाव चुनावों में देखने को मिलेगा और हाल ही में भारत की पाकिस्तान के प्रति नीतियों को ध्यान में रखते हुए भी यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी कर सकती है, लेकिन कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। कुछ सीटों पर असामान्य रूप से सत्ताधारी पार्टी को हार का सामना करना पड़ सकता है। इसके विपरीत शरद पवार की मुश्किलें अभी और बढ़ सकती हैं तथा कांग्रेस को भी अपनी कमजोर रणनीति की वजह से कोई खास लाभ होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।

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