सालों बाद बने इस महा योग पर महादेव को ऐसे करें खुश मिलेगा मनोवांछित फल !
महाशिवरात्रि अर्थात अपने नाम की ही तरह शिव की आराधना का सबसे बड़ा दिन। हिंदू धर्म में शिवरात्रि का हमेशा से ही अपना एक विशेष महत्व रहा है। खासतौर से शिव भक्तों के लिए यह सबसे शुभ दिन माना जाता है। इसी लिए भी महाशिवरात्रि हिन्दुओं के सबसे पवित्र पर्वों में से एक है। दक्षिण भारतीय पंचांग अर्थात अमावस्यान्त पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को यह मनाई जाती है। वहीं उत्तर भारतीय पंचांग यानी पूर्णिमान्त पंचांग में इसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आयोजन किया जाना बताया गया है। चूकि पूर्णिमान्त व अमावस्यान्त दोनों ही पंचांगों के अनुसार महाशिवरात्रि एक ही दिन पड़ती है, इसलिए अंग्रेज़ी व हिन्दू कैलेंडर में इस पर्व की तारीख़ उसी अनुसार रखी जाती है। इस दिन शिव-भक्तों का मंदिरों में ताता लगा रहता है। विशेषतौर पर महाशिवरात्रि के दिन भक्त व्रत रखते हुए मंदिरों में शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाकर पूजा तथा रात्रि में जागरण करते हैं। साथ ही अपनी राशि अनुसार रुद्राक्ष धारण करते हैं।
महाशिवरात्रि मुहूर्त
दिनाक : | सोमवार, 4 मार्च 2019 |
निशीथ काल पूजा मुहूर्त: | 24:08:03 से 24:57:24 तक |
अवधि: | 0 घंटे 49 मिनट |
महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त : | 5, मार्च 2019 को, 06:43:48 से 15:29:15 तक |
नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में पूजन का मुहूर्त और विस्तृत पूजा विधि – महाशिवरात्रि 2019 के लिए आपके शहर में पूजन का मुहूर्त
महा शिवरात्रि का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार यूँ तो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिवरात्रि मनाई जाती है, जिसे हम मासिक शिवरात्रि कहते हैं। लेकिन फागुन मास में पड़ने वाली महाशिवरात्रि का सबसे बड़ा महत्व होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि शिवरात्रि भगवान शिव और माँ शक्ति के अभिसरण का विशेष दिन होता है। इसी लिए शिवरात्रि का व्रत रखने का चलन प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। मान्यता है कि जो भी शिवभक्त मासिक विधि पूर्वक महा शिवरात्रि का व्रत करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसी महत्व को समझते हुए और महादेव का आशीष पाने के लिए शास्त्रों के अनुसार खुद देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने भी शिवरात्रि का व्रत किया था।
ज्योतिष शास्त्र में महाशिवरात्रि का महत्व
हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव को बताया गया हैं इसलिए हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के तौर पर देखा जाता है। अगर वैदिक ज्योतिष की बात करें तो इसमें भी चतुर्दशी तिथि को बेहद शुभ बताया गया है। क्योंकि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की इसी तिथि के दौरान चंद्र देव सूर्य देव के सबसे समीप होते हैं। और इस अनोखे योग में ही जीव रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ मिलन होता है। इसी कारण इस दिन शिव पूजन से प्राणियों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। और भक्तों को भगवान शिव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त करके उन्हें परम सुख, शांति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।
महाशिवरात्रि का पौराणिक महत्व
महाशिवरात्रि को लेकर यूँ तो हिंदू धर्म में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिसके अनुसार माना गया है कि महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि को ही भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। और सबसे पहली बार शिवलिंग का पूजन भी ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा इसी शुभ काल में किया गया था। इसलिए भी कहा जाता है कि शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कही जाती है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक का भी अपना एक बड़ा महत्व रहता है। जिसके अनुसार इस ख़ास दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से कोई भी अपने रोग, शोक व तमाम कष्टों का नाश कर सकता है और महादेव का आशीर्वाद प्राप्त कर मनोवांछित फल भी पा सकता है। आमतौर पर महाशिवरात्रि फरवरी या मार्च में मनाई जाती है और इस वर्ष 2019 में महाशिवरात्रि 4 मार्च, सोमवार को देशभर में मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि पर महाकाल की आराधना की विधि
जैसा हमने पहले भी बताया कि भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर व्रत और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। जिसे विधि पूर्वक करके सफल बनाया जा सकता है।
- महाशिवरात्रि के दिन रात्रि में व्रत रखें। अगर किसी कारणवश आप ये व्रत नही रख पाते तो उस दिन में सिर्फ फल और दूध का ही सेवन करें।
- इस व्रत के दौरान घर पर महामृत्युंजय यंत्र की स्थापना कर शिव पुराण का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र और ‘’ऊँ नम: शिवाय’’ मंत्र का जाप करें। इसके अलावा महादेव का ध्यान करें।
- रात्रि के चारों पहरों में भगवान शिव और स्फटिक शिवलिंग का सच्चे मन से अभिषेक और आराधना करें। इसके लिए निशीथ काल में शिव पूजन का विशेष महत्व बताया गया है।
नीलकंठ का महाशिवरात्रि से संबंध
1 . भगवान शिव ने माता पार्वती को बताया सर्वोत्तम व्रत का रहस्य
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब माता पार्वती ने भगवान शिव से आग्रह किया कि वे उन्हें बताए कि कौन सा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति और पुण्य प्रदान करता है। तब महादेव ने उनके सवाल का जवाब दिया और महाशिवरात्रि के व्रत के महत्व का वर्णन करते हुए कहा कि जो भक्त महाशिवरात्रि का उपवास रखता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है।
2. जब महादेव ने ब्रह्मा और विष्णु का तोड़ा अभिमान
पौराणिक कथा की मानें तो जब एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था। और दोनों ही खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने के लिए आमादा हो गए थे। तब भगवान शिव को अत्यंत प्रकाशवान होकर ब्रह्मा और विष्णु के इस अहंकार को तोड़ने के लिए अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट होना पड़ा था। चूकि महादेव अपने इस स्वरूप में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को ही प्रकट हुए थे, इसलिए इस रात्रि को महाशिवरात्रि कहा गया।
3. शिव-शक्ति मिलन
मान्यता है कि इसी पवित्र महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह संपन्न हुआ था। इसलिए महाशिवरात्रि को शिव और आदि शक्ति के मिलन की रात्रि के रूप में भी देखा जाता है। इसी लिए कहा गया है कि यदि कोई अविवाहिता लड़कियाँ इस दिन व्रत रखती है तो उसको महादेव जैसे वर की प्राप्ति होती है।
हमारी ओर से आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ
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