हिन्दू समाज में विवाह के लिए वर वधु का चयन बहुत लम्बे समय से जन्म कुंडली के गुण दोषों के आधार पर किया जाता रहा है। दक्षिण भारत हो या उत्तर भारत, बिना पत्रिका मिलाये विवाह बहुत ही कम लोग करते हैं। यह पद्धति जन्म समय के चन्द्रमा पर आधारित होती है और कुछ अतिरिक्त चीज़ें भी इसमें देखी जाती हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में यह पद्धति क्या वास्तव में उतनी कारगर है जितनी पहले के समय में हुआ करती थी? हमारा समाज पहले बहुत ही कठोर नियमों और अनुशासन पर आधारित हुआ करता थाI दक्षिण भारत में आज भी प्राचीन रीती रिवाज प्रचालन में हैं मगर उत्तर भारत में अब स्थिति बदल चुकी है। आज हम देखते हैं की शादी के २ हफ्ते बाद ही पत्नी घर छोड़ कर चली जाती है, अपने ससुराल वालों को न्यायिक प्रकरणों में आबद्ध कर देती है और वैसा ही हाल पुरुषों का भी हो रहा है, जबकि दोनों पक्ष विवाह पूर्व पूर्ण रूप से ज्योतिषियों द्वारा हरी झंडी दिखाए जाने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। आखिर ऐसा क्या रह जाता है जिसके कारन ये सब समस्याएं उपजती हैं?
उत्तर में अष्टकूट और दक्षिण भारत में दश्कूत प्रथा प्रचलित है जिसके आधार पर वर वधु का भविष्य तय किया जाता है। अष्टकूट पद्धति में निम्न बिन्दुओं पर मुख्या ध्यान दिया जाता है:
(१) वर्ण: यह राशियों की जाति का पैमाना है, जैसे हमारे यहाँ ब्राह्मण, क्षत्रिय वैश्य आदि जातियां हैं वैसे ही राशियों की भी जातियां होती है। सबसे अच्छा सामान जाति जैसे ब्राह्मण –ब्राह्मण को माना जाता है।
(२) वश्य: यह राशियों के स्वभाव के अनुसार भेद है जैसे जल राशी, द्विपाद राशी, चतुष्पाद राशी आदि। इनमें सामान वश्य ही श्रेष्ट माना गया है ।
(३) तारा: यह जन्म के समय जन्म नक्षत्रों की आपसी स्थिति है। यह कुल ९ की संख्या में होते हैं।
(४) योनी : इसे लड़का लड़की के शारीरिक संतुष्टि के लिए देखा जाता है। विवाह में शारीरिक संबंधों का अत्यंत महत्त्व होता है और इसके बिगड़ने पर कई घर टूट जाते हैं। सभी नक्षत्र किसी जानवर के सामान माने गए हैं और उनमें नर और मादा का भेद भी माना गया है। इसमें सामान जानवर के नर और मादा नक्षत्रों के मिलाप को सर्वोत्तम माना गया है।
(५) गृह्मैत्री: चन्द्रमा का राशी स्वामी इसका मुख्य आधार है। चद्रमा को मन का करक माना गया है और यदि लड़का लड़की के जन्म समय के चन्द्रमा के राशी स्वामी आपस में परम मित्र है तो पूर्णांक प्रदान किये जाते हैं।
(६) गण: सभी २७ नक्षत्रों को तीन प्रकार के विभाग में बांटा गया है : देव, मनुष्य और राक्षस. राक्षस सिर्फ राक्षस से ही विवाह करे तो सर्वोत्तम होता है तथा बाकी दोनों आपस में विवाह कर सकते हैं। देव और राक्षस का कभी आपस में विवाह नहीं करना चहिये अन्यथा बहुत समस्याएं कड़ी हो जाती हैं।
(७) भकूट: यह जन्म राशियों की आपस में स्थिति पर आधारित है जैसे द्विर्द्द्वादाश या षडाष्टक आदि।
(८) नाड़ी: यह जातकों की आंतरिक उर्जा का घोतक होता है और सामान नाड़ी को ही प्राथमिकता दी जाती है ।
इसके अलावा मंगल दोष को देखा जाता है और मेरे अनुसार तो मंगल दोष को अत्यधिक सावधानी से परखना चहिये अन्यथा सारे गुणों पर यह भारी पड़ सकता है।
वर्तमान समय में योनी, गृह्मैत्री और गण सर्वाधिक महत्व के होते हैं। इनको सम्पूर्नांक होने चहिये अथवा उसके एकदम निकट होना चहिये। यदि ऐसा नहीं है तो रिश्ते को माना कर देना चहिये। यह सब गुण जन्म समय के नक्षत्र और राशी पर आधारित हैं।
वस्तुस्थिति यह है की जातक जन्म के बाद जीवन भर उसी नक्षत्र में नहीं रहता बल्कि जीवन के चक्र में बढ़ता ही जाता है और एक दिन इहलोक को प्राप्त होता है। क्या ऐसे आधार जो की वर्षों पूर्व ही होकर समाप्त हो गए हैं सिर्फ उन्ही को मुख्या मान लेना चहिये या हमें कुछ और भी देखना चहिये?
इन गुणों के अलावा लग्न और लग्नेश, सूर्य, शनि, गुरु और शुक्र के आपस में स्थिति को वर्तमान में देखना और जातकों की चल रही महादशा और आने वाली महादशा को भी ध्यान में रखकर कुंडली मिलान का फलादेश कहना अधिक उचित होगा। इन ग्रहों का आपस में षडाष्टक या द्विर्द्वादाश सम्बन्ध होना उचित नहीं है और साथ ही लग्न और सप्तम भाव पापकर्तरी में न हो और उस पर कम से कम अशुभ दृष्टि हो यह भी ध्यान में रखना चहिये।
नक्षत्र ज्योतिष के अनुसार लग्न और सप्तम को किसी भी तरह से ६-८-१२ भावों से सम्बंधित नहीं होना चहिये और साथ ही २,५,११ भाव भी अधिकतम शुद्ध होने चहिये।
यदि अष्टकूट और दश्कूत के साथ इन सब बातों का भी ध्यान राखा जाएगा तो अवश्य ही बेहतर परिणाम प्राप्त होंगेI
Gun milan nakshatra ke adhar pe kiya jata he.or nakshatra ki ganna chandrma se ki jati he. Ab vivah ka itna mahtvpurn nirnay sirf chandma se karke purn man lena or sury budh guru shukr shani rahu ketu jaise bade graho ki ganna na karna uchit nahi he. Isiliye dekhne me aaya he ki kuch adhik gun milan valo ka vevahik jivan kalah purn hota he or 17 se kam gun milan valo ka vevahik jivan sukhad hota he.isiliye ye gun milan ki vidhi apurn he.darasal var vadhu ki kundli me pure 9 grah 12 bhav navmansh saptmansh tino lagn janm rashi or pukar nam rashi aayu santan ityadi sab dekhna chahiye. Kintu shayad ye saral or aourn gun milan ki vidhi ka avishkar isiliye hua he ki jajman jyotishi ko upyukt samay or parishrmik nahi dete.
ReplyDelete" ,सामान नाड़ी को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए"
ReplyDeleteसंभवतः यहाँ टंकण की गलती हो गयी है.अष्टकूट मिलान में सामान नाड़ी वर्जित मानी गयी है.
मेरा नाम छगनलाल है और मेरे लिए कपडे का वेपार केसा रहेगा
Deleteमेरा नाम छगनलाल हैै और मेरे लिए कपडे का वेपार कैसा रहेगा
DeleteLalit mhan ji ka kahna sahi hai.nadi ek ho jaye to vivah nahin ho sakta aisa mana jaata hai.
ReplyDeleteमेरा नाम छगनलाल है ंंंंललितजी आप बताईए जी मेरे लिए कपड़े का वेपार सही रहेगा या नहि...........I m request
ReplyDeleteAgar ladke ke 7 bhaav me jo raashi ho wahi raashi ladki ki bhi ho to shaadi shudha life bhi theek rehti hai...
ReplyDeletePt. Vipin Sharma