क्या आपकी व्यस्त दिनचर्या से आपके और आपके प्रियतम के बीच दूरियाँ बढ़ रही हैं? क्या आप अपने पति को दिर्घायु बनाना चाहती हैं? तो करें हरतालिका का व्रत और पाएँ वैवाहिक जीवन में अपार ख़ुशियाँ। यदि आप अविवाहित हैं, तो सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को अवश्य करें। आइए अब हरतालिका तीज के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Click here to read in english…
हरतालिका तीज उत्तर भारतीय महिलाओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसे राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य-प्रदेश में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पर विवाहित और अविवाहित महिलाएँ माता पार्वती की पूजा करती हैं और उपवास रहती हैं। एक तरफ़ जहाँ विवाहित महिलाएँ अपने पति के लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैैं, वहीं अविवाहित महिलाएँ सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज 16 सितंबर 2015 को मनाई जा रही है। हरतालिका तीज की पूजा प्रातःकाल और सायंकाल दोनों समय में की जा सकती है। यदि किसी कारणवश सुबह में पूजा करना संभव नहीं हो पाता है, तो सायंकाल (प्रदोषकाल) के समय पूजा किया जा सकता है। इसमें कोई मतभेद नहीं है।
हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ के समान ही होता है। पति की दिर्घायु के लिए बहुत सारी महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं। पति अपनी अर्धांगनी को श्रंगार का सामान और भी बहुत कुछ उपहार स्वरूप भेंट करते हैं। कुछ पति व्रत के प्रभाव को बढ़ाने और पत्नी के सौभाग्य में वृद्धि के लिए साथ में इस व्रत को करते हैं। इस प्रकार हरतालिका तीज को पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है
क्या आपके पति अक्सर ख़ुद का ख़्याल नहीं रखने के लिए आपसे शिकायत करते हैं? क्या व्यस्त दिनचर्या के कारण आप ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पा रही हैं? तो कोई बात नहीं, इसके लिए आप एक दिन का समय तो निकाल ही सकती हैं। इस हरतालिका तीज पर श्रंगार से करें अपने पति को आश्चर्यचकित।
हरा और लाल रंग को हरतालिका के लिए सबसे उत्तम रंग माना गया है। इस बार हम आपको बता रहें कुछ ऐसे टिप्स जिससे आप अपने पति-परमेश्वर को अपने श्रंगार से मंत्र-मुग्ध कर सकती हैं और अपने अंदर की वास्तविक खूबसूरती को दिखा सकती हैं।
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्म लिया था। इसके लिए देवी पार्वती ने उपवास और घने जंगल में जाकर कठोर तप किया था। तब कहीं जाकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और पार्वती को अपनी जीवनसंगिनी के रूप में स्वीकार किया।
उसी समय से जगह-जगह घर-मंदिर में पर शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा होने लगी। इस दिन विभिन्न ज़गहों पर देवी पार्वती की पालकी बड़ी धूम-धाम से निकाली जाती है।
हरतालिका तीज की पूजा विधि:
आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से हरतालिका तीज की ढेरों शुभकामनाएँ। आपका दिन मंगलमय हो।
Click here to read in english…
हरतालिका तीज उत्तर भारतीय महिलाओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इसे राजस्थान, उत्तर-प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य-प्रदेश में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस पवित्र दिन पर विवाहित और अविवाहित महिलाएँ माता पार्वती की पूजा करती हैं और उपवास रहती हैं। एक तरफ़ जहाँ विवाहित महिलाएँ अपने पति के लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करती हैैं, वहीं अविवाहित महिलाएँ सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ करती हैं।
हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस वर्ष हरतालिका तीज 16 सितंबर 2015 को मनाई जा रही है। हरतालिका तीज की पूजा प्रातःकाल और सायंकाल दोनों समय में की जा सकती है। यदि किसी कारणवश सुबह में पूजा करना संभव नहीं हो पाता है, तो सायंकाल (प्रदोषकाल) के समय पूजा किया जा सकता है। इसमें कोई मतभेद नहीं है।
पति-पत्नी के प्यार का प्रतीक हरतालिका व्रत
हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ के समान ही होता है। पति की दिर्घायु के लिए बहुत सारी महिलाएँ निर्जला व्रत रखती हैं। पति अपनी अर्धांगनी को श्रंगार का सामान और भी बहुत कुछ उपहार स्वरूप भेंट करते हैं। कुछ पति व्रत के प्रभाव को बढ़ाने और पत्नी के सौभाग्य में वृद्धि के लिए साथ में इस व्रत को करते हैं। इस प्रकार हरतालिका तीज को पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक माना जाता है
हरतालिका तीज पर करें श्रंगार
क्या आपके पति अक्सर ख़ुद का ख़्याल नहीं रखने के लिए आपसे शिकायत करते हैं? क्या व्यस्त दिनचर्या के कारण आप ख़ुद के लिए समय नहीं निकाल पा रही हैं? तो कोई बात नहीं, इसके लिए आप एक दिन का समय तो निकाल ही सकती हैं। इस हरतालिका तीज पर श्रंगार से करें अपने पति को आश्चर्यचकित।
हरा और लाल रंग को हरतालिका के लिए सबसे उत्तम रंग माना गया है। इस बार हम आपको बता रहें कुछ ऐसे टिप्स जिससे आप अपने पति-परमेश्वर को अपने श्रंगार से मंत्र-मुग्ध कर सकती हैं और अपने अंदर की वास्तविक खूबसूरती को दिखा सकती हैं।
- परंपरागत कपड़े पहनें, संभव हो तो लाल और हरे रंग का ही पहनें।
- मेहंदी अवश्य लगाएँ।
- पैरों में आलता लगाएँ।
- रंगीन और सुंदर चूड़ियाँ पहनें।
- संभव हो तो सोलह श्रंगार करें।
हरतालिका व्रत के लिए पूजा
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 108 जन्म लिया था। इसके लिए देवी पार्वती ने उपवास और घने जंगल में जाकर कठोर तप किया था। तब कहीं जाकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और पार्वती को अपनी जीवनसंगिनी के रूप में स्वीकार किया।
उसी समय से जगह-जगह घर-मंदिर में पर शिव-पार्वती की मूर्ति की पूजा होने लगी। इस दिन विभिन्न ज़गहों पर देवी पार्वती की पालकी बड़ी धूम-धाम से निकाली जाती है।
हरतालिका तीज की पूजा विधि:
- भगवान की मूर्ती के सामने पूजा की थाली में नैवेद्य, हल्दी पाउडर में रंगे चावल, पुष्प और कुछ सिक्कें रखें।
- शांत-चित् से बैठकर पति के दिर्घायु की कामना करें और व्रत कथा सुनें।
- भगवान शिव और पार्वती की मूर्ति के सामने प्रार्थना करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें।
आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से हरतालिका तीज की ढेरों शुभकामनाएँ। आपका दिन मंगलमय हो।
बहुत सुन्दर एस्ट्रोज ज्योतिष पेज है.........क्या मेरे भविष्य के बारे में कुछ ज्ञान हो सकेगा
ReplyDelete