माखनचोर, भगवान श्री कृष्ण के बारे में तो हम बहुत सारी बातें जानते ही हैं, पर अब भी कुछ बातें हमसे छुपी हुई हैं। इस जन्माष्टमी पर हम आपको बताएँगे कृष्ण के 7 अनोखे रहस्य।
हिन्दू पंचांग के अनुसार श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास की अष्टमी को मनाई जाती है। शरारती, भक्तप्रिय, और सखा होने के साथ-साथ श्री कृष्ण अन्तर्यामी भी हैं। बच्चों के सबसे प्यारे भगवान गिरधर गोपाल ही हैं, जिनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में भारत सहित पूरी देश-दुनिया में जन्माष्टमी मनाई जाती है।
जन्माष्टमी मुहूर्त
रात्रि पूजा का समय | रात 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक |
व्रत पारण का समय | 6 सितंबर सूर्योदय ( 6 बजकर 55 सेकेंड ) के बाद |
अष्टमी तिथि | 5 सितंबर दोपहर 3 बजकर 55 मिनट से 6 सितंबर दोपहर 3 बजकर 1 मिनट तक |
भगवान कृष्ण को 108 नामों से पुकारा जाता है। जिनमें से कन्हैया, मुरलिधर, गिरधर गोपाल और मनोहर प्रमुख है। लेकिन, क्या आप अपने प्रिय भगवान श्री कृष्ण से जुड़े उन रहस्यों को जानते हैं, जिसे बहुत कम ही लोग जानते हैं? आइए जानते हैं कृष्ण से जुड़ी 7 रहस्यमय बातें।
1. श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियों के होने का राज़
हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण की 16 हज़ार से अधिक पत्नियाँ थीं, लेकिन क्या आप इसके पीछे का राज़ जानते हैं?
नटखट कान्हा के बारे में बहुत सारी कहानियाँ प्रचलित हैं। उनमें से एक यह भी है कि उनकी 16,108 पत्नियों में से 16,100 वास्तव में नरकासुर नामक असुर की बंदी थीं। कृष्ण ने नरकासुर का वध कर इन्हें मुक्त किया था, लेकिन समाज ने इनका बहिष्कार कर दिया, तब इन्होंने रक्षा के लिए श्री कृष्ण से गुहार लगाई। भगवान ने दयाभाव दिखाते हुए इन्हें रानी की उपाधि दे दी। हालाँकि इस घटना से जुड़ी बहुत सारी कहानियाँ हैं।
कृष्ण की 8 पत्नियों को पटरानी भी कहा जाता है। जिनमें रूक्मणी, सत्यभामा, जम्बावती, नग्ना जिति, कालिंदी, मित्राविंदा, भद्रा और लक्ष्मणा थीं। भगवान श्री कृष्ण के कुल 80 पुत्र थे। जिनमें प्रत्येक पटरानी से 10-10 पुत्र थे।
2. शास्त्रों में नहीं है कहीं भी राधा का नाम
हमलोग बचपन से राधा और कृष्ण की कहानियाँ सुनते-सुनाते आ रहे हैं, लेकिन शास्त्रों की मानें तो शास्त्रों में कहीं भी राधा का उल्लेख नहीं है।
3. जब श्री कृष्ण ने किया अर्जून से युद्ध
कृष्ण बड़े ही रहस्यमय प्रवृति वाले थे। वे सब-कुछ जानते हुए भी समय के पहिये के साथ चलते थे। एक बार उन्होंने अर्जून की परीक्षा लेने के लिए उनसे युद्ध किया था। तब भगवान शिव ने बीच-बचाव किया था।
4. जब गुरु दक्षिणा देने गुरुकुल पहुँचे भगवान श्री कृष्ण
उसके बाद उन्होंने अपने आठों भाईयों की मंडली पूरी करने के लिए देवकी के 7 पुत्रों को (बलराम सहित) जीवित किया।
5. जब नारी बने भगवान कृष्ण
पाण्डवों को विजयी बनाने के लिए अर्जून का पुत्र इरावंत और ऊलूपि ने काली माँ के सामने ख़ुद की बलि दी थी। लेकिन, मरने से पहले इरावंत की शादी करने की इच्छा थी। यद्यपि कोई भी लड़की उनसे शादी नहीं करना चाहती थी, क्योंकि जिस भी लड़की की शादी इरावंत से होगी, वह जल्द ही विधवा हो जाएगी, ऐसा श्राप मिला हुआ था। उस समय भगवान कृष्ण ने मोहिनी नामक नारी का रुप धारण किया और इरावंत से विवाह रचाया और फिर विधवा होने पर शोक भी मनाया।
6. जब कृष्ण ने नारायणी सेना देकर दुर्योधन की मदद की
कृष्ण से मदद की गुहार लगाने सबसे पहले दुर्योधन ही द्वारिका पहुँचा था, जबकि अर्जून दूसरे नंबर पर थे। हालाँकि जब ये दोनों द्वारिका पहुँचे, उस समय श्री कृष्ण शयन कर रहे थे। दोनों उनके पास बैठ गए। जहाँ, दूर्योधन भगवान के सिर से पास बैठा, वहीं अर्जुन ने पैर के पास का स्थान ग्रहण किया। जब कृष्ण की निंद खुली तो उनकी नज़र सबसे पहले अर्जुन पर पड़ी, तब उन्होंने अर्जुन से खु़द को और नारायणी सेना में से किसी को एक को चुनने के लिए कहा। उन्होंने जानबूझ कर अर्जून को ही विकल्प चुनने का मौक़ा दिया, क्योंकि वे दुर्योधन की भी मदद करना चाहते थे, जो कि अर्जून से पहले मदद के लिए उनके पास आया था। तब अर्जुन ने कृष्ण को चुना। उसके बाद भगवान कृष्ण ने अपनी नारायणी सेना देकर दुर्योधन को विदा किया।
7. श्राप के कारण हुई थी श्री कृष्ण की मौत
श्री कृष्ण की मौत भी पूर्वनिर्धारित थी। गांधारी ने कृष्ण को श्राप दिया था कि यादव कुल का नाश स्वयं ही हो जाएगा। गांधारी का श्राप सच हुआ और युद्ध के 36 वर्ष बाद, एक-दूसरे से लड़ते हुए यादव कुल का विनाश हो गया।
हालाँकि कृष्ण की मौत जारा नाम के एक शिकारी के हाथों हुई थी, जिसने कृष्ण को हिरण समझकर पैरों में बाण मारा था।
यह भी कहा जाता है कि बालि को मारने के बाद भगवान राम ने उसके पुत्र अंगद से कहा था इस अपराध का बदला तुम अगले जन्म में ले सकोगे। जैसा कि सभी लोग जानते हैं कि भगवान राम और कृष्ण दोनों भगवान विष्णु के अवतार थे। ऐसा माना जाता है कि जारा नाम का शिकारी अंगद का अवतार था।
उपर्युक्त जानकारियों के साथ हम आशा करते हैं कि इस बार की जन्माष्टमी पिछली बार से ख़ास होगी।
आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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