काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना गया है इसलिए शिवभक्तों के लिए कालाष्टमी बेहद पावन दिन है, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कालाष्टमी पर्व मनाया जाता है। यह समय कार्तिक के ढलते चांद के पखवाड़े में आठवें दिन पड़ता है। नवंबर और दिसंबर के महीने में यह दिन एक ही बार आता है, जिसे कालाष्टमी या काल भैरव जयंती कहा जाता है। काल भैरव के रूप में भगवान शिव के रौद्र अवतार और उससे जुड़ी पौराणिक कथा एवं काल भैरव जयंती के महत्व और पूजन के लिए पढ़ें ये खास लेख।
काल भैरव, समय के प्रणेता
भगवान काल भैरव को ब्रह्मांड में समय का प्रणेता कहा जाता है। काल का मतलब होता समय और भैरव भगवान शिव का रुप है। ऐसा कहा जाता है कि, काल भैरव की कृपा से मनुष्य का बुरा वक्त अच्छे दिनों में बदल जाता है। काल भैरव की आराधना से जीवन में समृद्धि आती है और मनुष्य को किसी बात का भय नहीं होता है। सामान्यत: हर माह ढलते चांद अर्थात कृष्ण पक्ष की अष्टमी काल भैरव को समर्पित है।
क्षेत्रपाल, मंदिरों के रक्षक
भगवान काल भैरव को क्षेत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है, इसका मतलब है, मंदिरों के रक्षक। ऐसी मान्यता है कि, मंदिरों के द्वार बंद होने और खुलने पर चाबी उन्हीं से प्राप्त की जाती है।
काल भैरव के 8 अवतार
भगवान काल भैरव के 8 अवतार हैं, जिन्हें अष्ट भैरव के नाम से जाना जाता है।
(1) असितांग भैरव
(2) रु रु भैरव
(3) चंड भैरव
(4) क्रोधोन्मत्त भैरव
(5) भयकंर भैरव
(6) कपाली भैरव
(7) भीषण भैरव
(8) संहार भैरव
काल भैरव जयंती को लेकर क्या हैं मान्यताएं...
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव महाकालेश्वर के रूप में अवतरित हुए थे, और ब्रह्मा जी का सिर काटकर उन्हें दंडित किया था। दरअसल ऐसा कहा जाता है कि, एक समय त्रिमूर्ति अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश के बीच बहस चल रही थी कि कौन सबसे शक्तिशाली है। इस चर्चा के दौरान ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को अपशब्द कह दिए। इस बात से क्रोधित होकर भगवान शंकर ने भैरव रूप धारणा कर लिया और ब्रह्मा जी के 5 सिर में से एक सिर को काट दिया था।
कैसे करें काल भैरव की आराधना..
- काल भैरव जयंती के दिन शिवभक्तों को प्रात:काल स्नान कर पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए।
- काल भैरव जयंती पर तर्पण कर पूर्वजों को याद किया जाता है।
- कालाष्टमी के दिन शिवभक्त सोते नहीं है बल्कि बाबा महाकाल की कथा पढ़ते और सुनते हैं।
- काला कुत्ता भगवान काल भैरव की सवारी है, इसलिए इस दिन काले कुत्ते को भोग में वस्तुएं चढ़ाई जाती है।
क्या है काल भैरव जयंती का महत्व ?
भगवान काल भैरव की आराधना से जीवन में आने वाले तमाम संकट दूर हो जाते हैं, खुशहाली, समृद्धि और बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। केवल एक बार काल भैरव स्तोत्र, भैरव तंत्र, बटुक भैरव ब्रह्मा कवच और भैरव कवच के जाप से समस्त बाधाएं दूर हो जाती है।
एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को काल भैरव जयंती की शुभकामनाएं। हम आशा करते हैं कि हमारा ये लेख आपके लिए शिक्षाप्रद व लाभकारी रहे और भगवान काल भैरव की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आए।
ॐ श्री कल भैरवाय नमः
ReplyDeleteOn kal bherav namah
ReplyDeleteOn kal bherav namah
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय
ReplyDeleteॐ नमः शिवाय
ReplyDeleteJi shri mahakalbherav
ReplyDeleteजय कालभैरव की।
ReplyDeleteओम् नमःशिवाय
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