धन-समृद्धि के लिए आप भी करें अक्षय तृतीया के ये अचूक टोटके! साथ ही पढ़ें किस पावन तिथि पर करें ख़रीददारी और दान।
प्रत्येक वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय तृतीया कहलाती है। इसे कई राज्यों में आखातीज और वैशाख शुक्ल तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में अक्षय तृतीया का बड़ा महत्व है, इसे सर्वश्रेष्ठ शुभ तिथि माना जाता है। मान्यता अनुसार जब सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ हो रहा था तब इसी तिथि को विशेष रूप से महत्व दिया गया था। इसके अलावा इस शुभ दिन को भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इसी कारण माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य जो भी कार्य करता है उसका पुण्य फल कभी नष्ट नहीं होता है।
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त
वर्ष 2019 में अक्षय तृतीया का ये महापर्व देशभर में 7 मई 2019 को मनाया जाएगा। मान्यता तो ये भी है कि इस दिन बिना किसी मुहूर्त के कोई भी शुभ काम किया जा सकता है। इसके पीछे का कारण ये है कि इसी शुभ तिथि में सूर्य और चन्द्रमा अपने उच्च राशि में होते हैं और उनके तेज सर्वोच्च होने के चलते इस तिथि को हिन्दू पंचांग में बेहद शुभ माना जाता है। इस वर्ष ये शुभ तिथि और भी ज्यादा फलदायी साबित होने वाली है क्योंकि इस वर्ष इस दिन एक महा संयोग बन रहा है जो सभी जातको के लिए बेहद शुभ है। सूर्य और चन्द्रमा के अलावा इस वर्ष इस दिन शुक्र और राहू भी अपनी सबसे उच्च राशि में होंगे। इससे पहले ऐसा अद्भुत संयोग केवल 16 साल पूर्व वर्ष 2003 में बना था। और अब सालों बाद ये संयोग बनने से इसका महत्व भी बढ़ जाता है। इस दिन खासतौर से स्वर्ण की माँ लक्ष्मी का पूजन और ख़रीददारी करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से मान्यता है कि घर-परिवार पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है जिस वजह से जातक को कभी धन की कमी नहीं होती।
अक्षय तृतीया पर लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त:
अक्षय तृतीया का पूजा मुहूर्त
| ||
प्रारंभ
|
समापन
|
अवधि
|
05:36:07
|
12:17:55 तक
|
6 घंटे 41 मिनट
|
नोटः उपरोक्त समय केवल नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर के अनुसार जानिए अक्षय तृतीया का मुहूर्त एवं पूजा विधि
अक्षय तृतीया का महत्व
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का दिन शुभ एवं बेहद पवित्र माना गया है। ऐसे में इस ख़ास दिन किये जाने वाले व्रत, दान, स्नान, जप-तप और ख़रीददारी आदि का जातक को अक्षय फल मिलता है। इसके साथ ही यदि यह व्रत सोमवार और रोहिणी नक्षत्र में पड़े तो इसका फल महाफलदायक हो जाता है। इसके महत्व को देखते हुए ही अक्षय तृतीया सर्वसिद्ध मुहूर्त कहलाती है। अतः इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, वाहन-प्रॉपर्टी खरीद, नामकरण आदि जैसे शुभ कार्य भी बिना पंचांग देखे आरंभ किये जा सकते हैं। अक्षय तृतीया के दिन पितरों को किया गया पिण्डदान भी अक्षय फल व पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करता है।
अक्षय तृतीया पर धन लाभ के लिए करें महालक्ष्मी यंत्र की स्थापना
अक्षय तृतीया पर किये जाने वाले पुण्य कर्म व कुछ टोटके
- पितरों को मोक्ष प्राप्ति के लिए इस दिन घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, नमक, घी, चीनी, साग, इमली, फल, वस्त्र, खड़ाऊ, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा को किसी जरुतमंद या ब्राह्मण को दान करें।
- माँ लक्ष्मी और देव कुबेर को प्रसन्न करने के लिए अक्षय तृतीया के दिन सोना, चाँदी, मिट्टी के बर्तन, वस्त्र, शंख, शक्कर, हल्दी, मोरपंख, फल, आदि खरीदना चाहिए।
- हिन्दू धर्म में गौमाता को अच्छे स्वास्थ्य एवं धन-संपदा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गौ पूजन करना चाहिए।
- सहपरिवार माँ लक्ष्मी जी की आराधना करते हुए जीवन में धन, वैभव और सुख-संपदा की कामना करनी चाहिए।
- अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान बद्रीनारायण के कपाट खुलते हैं, इसलिए इस दिन भगवान को तुलसीदल चढ़ाकर, श्रद्धा व भक्तिपूर्वक पूजना चाहिए।
- इस दिन भगवान परशुराम की पूजा करना भी फलदायी होता है।
अक्षय तृतीया व्रत व पूजन विधि- यहाँ क्लिक कर पढ़ें!
पौराणिक कथाएँ
- परशुराम जयंती
मान्यता अनुसार भगवान परशुराम जी का जन्म अक्षय तृतीया पर ही हुआ था। इसलिए इस दिन परशुराम जयंती मनाने का भी विधान है। चूंकि भगवान परशुराम को भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए इस दिन इनका पूजन करना शुभदायी होता है। माना जाता है कि प्रारंभ में परशुराम जी का नाम रामभद्र था, परंतु जब पृथ्वी की सभी स्त्रियाँ असुरों के चंगुल में फँस गई थी तब उन्हें छुड़ाने एवं दुष्टों का संहार करने के लिए महादेव ने उन्हें परशु नामक एक ख़ास शस्त्र दिया था, जिसके कारण ही उनका नाम रामभद्र से परशुराम पड़ गया।
- महाभारत
अक्षय तृतीया की शुभ तिथि का वर्णन पवित्र महाभारत में भी आपको मिल जाएगा। महाभारत के अनुसार सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था। इसके साथ ही महाभारत जैसे विशाल पौराणिक ग्रंथ को लिखने की शुरुआत के लिए भी इसी पवित्र दिन को चुना गया। इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि सूर्य देव ने अक्षय तृतीया के दिन ही पाण्डवों को अक्षय पात्र भेंट किया था।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ!
रत्न, यंत्र समेत समस्त ज्योतिषीय समाधान के लिए विजिट करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
No comments:
Post a Comment