2 मिनट ज्योतिष कोर्स: युति एवं दृष्टि (भाग १०)

आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं । आज का विषय है ‘युति एवं दृष्टि’।

आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-



ग्रह एक दूसरे को कई प्रकार से प्रभावित करते हैं। दो मुख्‍य प्रकार हैं - युति व दृष्टि।

युति को अंग्रेजी में कंजंक्‍शन (conjunction) कहा जाता है। युति का मतलब है एक साथ बैठना। अगर दो ग्रह एक ही राशि में स्थित हों तो उन्‍हें ग्रह युति कहा जाता है।


इसी प्रकार इस कुण्‍डली में चंद्र और मंगल कर्क राशि में स्थित हैं अत: ज्‍योतिषीय भाषा में हम कहेंगे कि चंद्र और मंगल की कुण्‍डली में युति है। चुंकि चंद्र और मंगल की युति है अत: वे एक दूसरे के परिणाम को प्रभावित करेंगे। मंगल स्‍वाभावत: क्रूर ग्रह है और कर्क में मंगल नीच का होता है। छठा भाव भी नकारात्‍मक भाव होता है जहां ग्रहों की स्थिति अमूमन अच्‍छी नहीं होती है। अत: हम कह सकते हैं कि मंगल चंद्र को नकारात्‍मक रूप से प्रभावित करेगा। ग्रह कारकत्‍व वाले वीडियो से हम जानते हैं कि चंद्र माता, मन, नेत्र इत्‍यादि का कारक होता है। मन पर मंगल के नकारात्‍मक प्रभाव से उदाहरण कुण्‍डली वाला व्‍यक्ति जिद्दी होगा। चंद्र (मन) + मंगल (जिद) = जिद्दी।

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उसकी माता का स्‍वास्‍थ्‍य भी ठीक नहीं होगा। चंद्र (माता) + छठा भाव (रोग) + मंगल का नकारात्‍मक स्‍वाभाव।
जातक की आंखें भी कमज़ोर हो सकती हैं। चंद्र (आंखें) + छठा भाव (रोग) + मंगल का नकारात्‍मक स्‍वाभाव।
युति के बाद हम दृष्टि को समझते हैं। दृष्टि को अंग्रेजी में एसपैक्‍ट (aspect) कहा जाता है। दृष्टि का मतलब देखना। ग्रह दृष्टि के द्वारा भी दूसरे ग्रहों के असर को प्रभावित करते हैं।

प्रत्‍येक ग्रह अपने स्‍थान से सातवें स्‍थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है। इसके अलावा मंगल चौथे एवं आठवें स्‍थान को भी देखता है। गुरु पांचवे एवं नौवे स्‍थान को भी देखता है। शनि तीसरे एवं दसवें स्‍थान को भी देखता है। निचे दिए गए टेबल में आप हर ग्रह कि दृष्टि देख सकते हैं:

ग्रह पूर्ण दृष्‍ट स्‍थान
सूर्य 7
चंद्र 7
बुध 7
शुक्र 7
मंगल 4, 7, 8
गुरू 5, 7, 9
शनि 3, 7, 10

राहु और केतु के लिए फिलहाल ये मानें की उनकी दृष्टि नहीं होती।

पुनीत पाण्डे

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