आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं । आज का विषय है ‘उच्च और नीच ग्रह ।
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
ग्रहों की उच्च और नीच राशियाँ निचे दिए गए टेबल में देखें।
तालिका में कुछ ध्यान देने वाली बाते हैं। पहली ग्रह की उच्च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सातवीं होती हैं। जैसे सूर्य मेष में उच्च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है।
क्रम | ग्रह | उच्च राशि | नीच राशि |
1 | सूर्य | मेष | तुला |
2 | चन्द्रमा | वृषभ | वृश्चिक |
3 | मंगल | मकर | कर्क |
4 | बुध | कन्या | मीन |
5 | गुरू | कर्क | मकर |
6 | शुक्र | मीन | कन्या |
7 | शनि | तुला | मेष |
8 | राहु | धनु | मिथुन |
9 | केतु | मिथुनु | धनु |
तालिका में कुछ ध्यान देने वाली बाते हैं। पहली ग्रह की उच्च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सातवीं होती हैं। जैसे सूर्य मेष में उच्च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है।
ग्रह उच्च राशि में सबसे बलवान होता है। अपनी राशि में दूसरी श्रेणी का बलवान, मित्र राशि में तीसरी श्रेणी का बलवान, सम राशि में चौथी श्रेणी का, शत्रु राशि में पांचवी श्रेणी और नीच राशि में छठी श्रेणी का यानि सबसे कमजोर होता है।
कुण्डली देखना शुरु करें उससे पहले यह नोट करें की कौन कौन से ग्रह अपनी उच्च और नीच राशियों में स्थित हैं। जो ग्रह उच्च राशि में होते हैं तो अपना फल दे पाते हैं। अगर ग्रह नीच या शत्रु राशि में होकर कमजोर हो तो अपना फल नहीं दे पाते। अपना फल यानि अपने कारकत्व और उन भावों के कारकत्व जिनका वह ग्रह स्वामी हो।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
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