कल देवशयनी एकादशी है, इस शुभ दिन से चातुर्मास का प्रारंभ होता है। क्या आप संतान सुख प्राप्त करना चाहते हैं? क्या आपकी ज़िन्दगी में लग गया है ब्रेक? जानें कौन से आसान उपायों से होगा आपका भाग्योदय?
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देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाता है, जो कार्तिक शुक्ल-पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के साथ पूर्ण होता है। चातुर्मास को भगवान विष्णु का शयनकाल कहा जाता है। चार महीने बाद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने पर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह शयनकाल समाप्त होता है तथा इस दिन प्रबोधिनी एकादशी का व्रत किया जाता है।भगवान के क्षीरसागर में शयन करने के कारण इस माह में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है। चातुर्मास में तपस्वी एक ही जगह पर रहकर तपस्या करते हैं। इस अंतराल में ब्रज को छोड़कर सभी तीर्थ-यात्रा वर्जित है, क्योंकि पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि चातुर्मास में सभी तीर्थ ब्रज में निवास करते हैं।
देवशयनी एकादशी की ढेर सारी शुभकामनाएँ!
पूजा विधान
- पूरे दिन व्रत रखें
- शाम को भगवान विष्णु की प्रतिमा की षोडशोपचार (आसन, आवाहन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, मधुपर्क स्नान, वस्त्र, आभूषण, गन्ध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेध, प्रार्थना और मंत्र-पुष्पांजली) पूजा करें
- पंचामृत से स्नान कराएँ तत्पश्चात् भगवान को शंख, चक्र, गदा और पीले वस्त्र से सुशोभित करें
- पीला वस्त्र धारण करें
- व्रत के बाद ब्राह्मण को दान देने के बाद ही पारण करें
क्या होता है चातुर्मास?
देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास का प्रारंभ हो जाता है, जो कार्तिक शुक्ल-पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी के साथ पूर्ण होता है। चातुर्मास को भगवान विष्णु का शयनकाल कहा जाता है। चार महीने बाद सूर्य के तुला राशि में प्रवेश करने पर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को यह शयनकाल समाप्त होता है तथा इस दिन प्रबोधिनी एकादशी का व्रत किया जाता है।भगवान के क्षीरसागर में शयन करने के कारण इस माह में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है। चातुर्मास में तपस्वी एक ही जगह पर रहकर तपस्या करते हैं। इस अंतराल में ब्रज को छोड़कर सभी तीर्थ-यात्रा वर्जित है, क्योंकि पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि चातुर्मास में सभी तीर्थ ब्रज में निवास करते हैं।
चातुर्मास में क्या करें
- सुंदरता प्राप्ति के लिए पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, मूत्र, और गोबर का मिश्रण) का सेवन करें।
- वंश-वृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें।
- सर्वपापों की मुक्ति के लिए उपवास करें।
चातुर्मास में क्या न करें
- पलंग पर न सोएँ
- झूठ ना बोलें
- शहद और मांस न खाएं
- मूली, बैंगन और शाक खाना वर्जित है
- काला और नीला वस्त्र न पहनें
देवशयनी एकादशी की ढेर सारी शुभकामनाएँ!
आज के दिन ख़ास
आज गुप्त नवरात्रि का पारण किया जाएगा। नवरात्रि के अंतिम दिन पारण के साथ व्रत को खोला जाता है।
आपका दिन मंगलमय हो!
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