गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा गुरु और शिष्य के बीच पवित्र बंधन को दर्शाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आध्यात्मिक साधना शुरू करने के लिए भी यह दिन काफ़ी महत्वपूर्ण माना गया है? आइए इस गुरु पूर्णिमा पर जानते हैं साधना को सफल बनाने के 4 आसान तरीक़ों को।
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गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुर्साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवेनमः॥
अर्थात् - गुरु ही ब्रह्मा, गुरु ही विष्णु और गुरु ही महेश है। गुरु साक्षात् परब्रह्म हैं, ऐसे गुरु को मैं कोटि-कोटि प्रणाम करता हूँ।
गुरु पूर्णिमा का मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ
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30 जुलाई 2015, शाम 07 बजे से
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पूर्णिमा तिथि की समाप्ति
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31 जुलाई 2015, शाम 4 बजकर 12 मिनट पर
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गुरु एक संस्कृत शब्द है जो दो शब्दों गु और रु से मिलकर बना है। गु का अर्थ अंधकार तथा रु का अर्थ प्रकाश होता है। अर्थात् गुरु का मतलब एक ऐसा इंसान जो अपने शिष्यों को ग़लत (अंधकार) से सही (प्रकाश) मार्ग पर लाए। लेकिन इन सब बातों से हमारा क्या लेना-देना? हम गुरु और शिष्य के बीच के रिश्तों के बारे में क्यों चर्चा करें? जी हाँ, यह बात हम आज इसलिए कर रहें हैं, क्योंकि आज गुरु पूर्णिमा का पवित्र दिन है। आज के दिन इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता कि हमारी ज़ुबान पर गुरु को समर्पित मंत्र ही रहें।
अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने और गुरु के ऋण से मुक्ति पाने के लिए उपरोक्त मंत्र का 108 बार जप करें।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा गुरु वेद व्यास की जयंती के उपलक्ष्य में मनायी जाती है। यह दिन उन तमाम इंसानों को समर्पित है जिन्होंने हमें कुछ-न-कुछ ज्ञान दिया है। इस दिन हम अपने गुरुओं के प्रति आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने हमें वेद, उपनिषद और पवित्र ग्रंथों के बारे में बताया। ख़ैर, आगे बढ़ने से पहले आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा से जुड़े दो महत्वपूर्ण तथ्यों को।
- महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश गुरु पूर्णिमा के दिन ही सारनाथ में दिया था।
- जैन धर्म में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन महावीर ने ज्ञान प्राप्त करने बाद अपने पहले शिष्य के रूप में इन्द्रभति गौतम को स्वीकार किया था।
हालाँकि अब इस त्यौहार से आप भली-भाँति परिचित हो चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दिन आध्यात्मिक साधकों के लिए ख़ास महत्व रखता है? आइए जानते हैं कैसे?
आध्यात्मिक साधकों के लिए गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा का दिन आध्यात्मिक गुरु और साधकों के लिए बेहद ही ख़ास होता है। इस दिन को साधक नूतन वर्ष के रूप में मनाते हैं। इस दिन साधक अर्जित ज्ञान के लिए अपने गुरुओं के प्रति आभार प्रकट करते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन लोग वेद-व्यास की प्रतिमा पर फूल और नैवेद्य अर्पित कर उनकी पूजा आध्यात्मिक गुरु के रूप में करते हैं।
आध्यात्मिक साधकों के करने योग्य कार्य
- श्रद्धा और निष्ठा के साथ दान-पुण्य करें।
- ब्रह्मसूत्र का पाठ, जप और ध्यान करें।
- आज ही के दिन करें साधना की शुरूआत।
- साधना के दौरान केवल दूध और फल का ही सेवन करें।
ऐस्ट्रोसेज की तरफ़ से आपको गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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आपका दिन मंगलमय हो!
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