बसंत पंचमी पर करें माँ सरस्वती को खुश !

बसंत पंचमी पर इस शुभ मुहूर्त में करें सरस्वती पूजा, परिवार का होगा बेडा पार !


हिन्दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को देशभर में मनाई जाती है। इसी दिन से भारत में वसंत ऋतु की शुरुआत होती हैं। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करने का भी विधान है। ज्योतिषियों की मानें तो बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है, जिस काल को पूर्वाह्न भी कहा जाता है।

शुभ पूजा मुहूर्त

बसंत पंचमी व सरस्वती पूजा
दिनांक :
10 फरवरी, 2019 (रविवार)
पूजा मुहूर्त :
07:03:57 से 12:35:38 तक
अवधि :
5 घंटे 31 मिनट

(नोट: यह मुहूर्त New Delhi, India के लिए प्रभावी होगा।)


ये देखा गया है कि यदि माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि दिन के मध्य के बाद शुरू हो रही है तो ऐसे में वसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त अगले दिन का मान्य होगा। इस दौरान ख्याल रखें कि यह पूजा अगले दिन भी उसी स्थिति में ही हो जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो। कहने का मतलब है कि पंचमी तिथि पूर्वाह्नव्यापिनी न हो। इसके अलावा बाक़ी सभी परिस्थितियों में पूजा पहले दिन की जा सकती है। यही कारण है कि कई बार पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी चतुर्थी तिथि को भी पड़ जाती है।




बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का महत्व 


आज के दिन कई लोग विशेषकर साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग ऊपर दिए गए मुहूर्त अनुसार विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा और आराधना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं। क्योंकि बसंत पंचमी का विशेष दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धिमत्ता, कला और संस्कृति की देवी माँ सरस्वती को समर्पित होता है। इसी लिए ये माना जाता है कि जो भी व्यक्ति माघ शुक्ल पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूरी विधि अनुसार पूजा करता है उसे माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन माँ शारदा के पूजन का भी बहुत महत्व होता है। शास्त्रों अनुसार मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती की पूजा के साथ यदि सरस्वती यंत्र की स्थापना और सरस्वती स्त्रोत भी पढ़ा जाए तो इससे आशीर्वाद के साथ-साथ अद्भुत परिणाम भी माँ देती हैं। 

पौराणिक मान्यता 


पौराणिक मान्यताओं की मानें तो इस दिन देवी रति और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा भी की जाती है। इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि यदि बसंत पंचमी के दिन कोई भी पति-पत्नी भगवान कामदेव और देवी रति की षोडशोपचार पूजा करें तो उनके वैवाहिक जीवन में आ रही हर समस्या दूर हो जाती हैं और उनका रिश्ता अपार ख़ुशियाँ से भर जाता है।

बसंत पंचमी पर देवी ‘श्री’ की पूजा


व्यवसायी लोग आज के दिन व्यापार वृद्धि यंत्र की स्थापना के साथ देवी ‘लक्ष्मी’ (जिन्हें श्री भी कहा गया है) और भगवान विष्णु की पूजा भी करते है। इसी लिए कुछ लोग माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की पूजा एक साथ ही करते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा के साथ श्री सू्क्त पाठ करना बेहद ज़रूरी एवं महत्वपूर्ण माना जाता है। तभी इस दिन का विशेष फल मिल पाता है।

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