देव उठनी एकादशी, जानें पारण मुहूर्त एवं व्रत विधि

देव उठनी एकादशी का व्रत धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही देव उठनी या फिर प्रबोधिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का धार्मिक महत्व है। यह तिथि सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु जी को समर्पित है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु 4 माह (देव शयनी एकादशी से देव उठनी एकादशी तक) सोने के बाद जागते हैं। हरि के जागरण से शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं।

आज 8 नवंबर, शुक्रवार को देव उठनी एकादशी का व्रत रखा जायेगा, जिसका पारणा कल यानि 9 नवंबर, शनिवार को होगा। चलिए जानते हैं, देव उठनी एकादशी मुहूर्त के बारे में -



देव उठनी एकादशी का दिन और पारण मुहूर्त


तारीख़दिनपारणा मुहूर्तअवधि
8 नवंबर 2019शुक्रवार06:38:43 से 08:49:08 बजे तक 9 नवंबर 2019 को 2 घंटे 10 मिनट

नोट: ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार देव उठनी एकादशी का पारण मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - देव उठनी एकादशी पारण मुहूर्त 2019 

देव शयनी एकादशी व्रत विधि 


  • इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
  • घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आँगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए।
  • एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल, मिठाई, बेर, सिंघाड़े, ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। 
  • इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए।
  • रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए।
  • इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए और ये वाक्य दोहराना चाहिए- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास।

देव उठनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा


एक समय भगवान नारायण से लक्ष्मी जी ने पूछा- “हे नाथ! आप दिन रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करड़ों वर्ष तक सो जाते हैं, तथा इस समय में समस्त चराचर का नाश कर डालते हैं। इसलिए आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें। इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जाएगा।”

लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्कुराए और बोले- “देवी! तुमने ठीक कहा है। मेरे जागने से सब देवों और खासकर तुमको कष्ट होता है। तुम्हें मेरी वजह से जरा भी अवकाश नहीं मिलता। अतः तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रतिवर्ष चार मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा। उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश होगा। 

मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलय कालीन महानिद्रा कहलाएगी। मेरी यह अल्पनिद्रा मेरे भक्तों के लिए परम मंगलकारी होगी। इस काल में मेरे जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे और शयन व उत्थान के उत्सव को आनंदपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में, मैं तुम्हारे साथ निवास करूंगा।”

एस्ट्रोसेज की ओर से आपको देव उठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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