भ्रष्ट लोगो सावधान !! शनिदेव हो रहे हैं वक्री!

पंडित हनुमान मिश्रा
18 फ़रवरी 2013 को शनि ग्रह वक्री हो रहा है। ऐसे में यदि आप भ्रष्टाचारी नहीं हैं तो आपको घबराने की जरूरत बिल्कुल नहीं है। ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आमतौर पर यह धारणा बन चुकी है कि वक्री शनि अत्यधिक अशुभ परिणाम देता है। जबकि ये धारणा मेरे अनुभव में बिल्कुल गलत साबित हुई है। पाश्चात्य ज्योतिष के विद्वानों ने भी वक्री शनि को शनि पीड़ित लोगों के लिए शुभ मानते हैं। वक्री शनि व्यक्ति के जीवन को सुखमय भविष्य की ओर ले जाता है। शनि के वक्रत्व काल में ही व्यक्ति आत्म विश्लेषण के दौर से गुजरता है या यह भी कहा जा सकता है कि शनि के वक्री होने पर व्यक्ति को आत्म विश्लेषण कर के अपने बिगडे हुए कर्मों को सुधारना चाहिए अन्यथा शनि आपको आत्म विश्लेषण के लिए विवश कर सकता है। वक्री शनि निरुत्साहित लोगों में उत्साह का संचार करता है। शनि के वक्री होने पर संबद्ध लोगों को अपनी अपेक्षाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए, अन्यथा वह आईना भी दिखा सकता है।

8 अक्टूबर 2012 से 11 नवम्बर 2012 के मध्य जब शनि अस्त थे उस अवधि भी मैनें अपने टेलीविजन कार्यक्रमों और पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले आलेखों में इस बात का जिक्र किया था कि इस समय शनि के अस्त होने के कारण कुछ भ्रष्ट नेताओं की पोल खुल सकती है लेकिन उन्हें होगा कुछ नहीं बल्कि उनसे शीर्षस्थ लोग उनकी बुराई को प्रशंसा के रूप में लेंगे और भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बावजूद भी उनको फायदा हो सकता है। हुआ भी वही भारत सरकार के एक मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, एक समाचार चैनल ने इसका बकायदे खुलाशा किया, सबूत दिखाए, लेकिन उस मंत्री को कोई नुकसान नहीं हुआ बल्कि उन्हें और भी बडे दायित्व वाला मंत्री बना दिया गया। ये सम्पूर्ण घटनाक्रम 8 अक्टूबर 2012 से 11 नवम्बर 2012 के आसपास ही हुआ, जिस समय कि शनि अस्त थे। मैंने उसी समय यह भी कहा था कि इन नेताओं को इनके कर्मों की सजा तब मिलेगी जब शनि ग्रह वक्री होंगे। अब वह समय आ गया है जब भष्टाचारियों को सजा मिलनी चाहिए।

शनि देव 18 फ़रवरी 2013 से 8 जुलाई 2013 तक वक्री रहेंगे। यही वो समय है जब कई लोग न केवल देश-दुनिया के सामने बेनकाब होंगे बल्कि उनके किए की सजा भी उन्हें मिलेगी। एक बात यहां पर स्पष्ट कर देनी जरूरी है ज्योतिष में ये हिदायत दी गई है कि कोई भी भविष्यवाणी देश का और परिस्थिति के अनुसार करना चाहिए। अत: ऐसे में जब सबको पता है कि कोई भी भ्रष्ट नेता जिस पार्टी का है वह पार्टी तो उसके खिलाफ़ कुछ नहीं करती साथ ही जो दूसरी पार्टी के नेता भी केवल जनता को दिखाने के लिए थोडा सा हो हल्ला कर देते हैं। क्योंकि चोर-चोर मौसेरे भाई होते हैं। ऐसी स्थिति में किसी भी भ्रष्ट नेता को बहुत बडी सजा मिलना बहुत कठिन है। लेकिन दंडाधिकारी शनि फिर भी इनके कर्मों का फल इन्हें जरूर देंगे। आपके मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या केवल नेता ही भ्रष्ट होते है, अन्य कोई नहीं? आपको बता दें भ्रष्ट कोई भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर भ्रष्ट लोगों का सम्बंध राजसत्ता से जरूर होता है। कोई उद्योग पति है तो उसका सम्बंध किसी न किसी पार्टी या किसी न किसी नेता से जरूर होगा। राजनेताओं और राजनेत्रियों के भाई या कोई न कोई रिश्तेदार यूं ही उद्योग पति नहीं हो जाते। इनके पीछे राजसत्ता से जुडे लोगों का बडा हाथ होता है। कोई ऐसा अधिकारी जो निडर होकर घूसखोरी या भ्रष्टाचार में लिप्त है तो उसको किसी बडे अफसर या नेता का वरदहस्त जरूर प्राप्त होगा। इसीलिए इस मुद्दे पर मेरा केन्द्र विंदु नेता हैं। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि अगर सारे नेता या राजनेता ईमानदार हो जाएं तो भ्रष्टाचार बहुत हद तक कम हो जाएगा।


अभी कुछ दिनों पहले जयपुर साहित्य सम्मेलन में भ्रष्टाचार पर टिप्पणी कर फंसे साहित्यकार आशीष नंदी ने यदि नेक नीयती से यह बात कही होगी तो उनको इस मामले में बहुत जल्द राहत मिल जाएगी। विशेषकर 18 फ़रवरी 2013 के बाद उन्हें बडी राहत जरूर मिलेगी लेकिन यदि उन्होंने व्यक्तिगत द्वेष के चलते ऐसा कहा होगा तो शनि के वक्री होते ही उनका संकट और गहरा जाएगा। उन्होंने जिस वर्ग विशेष पर टिप्पणी की है उनका संकेतक ग्रह शनि माना गया है और वह वक्रत्त्व की ओर बढ रहा है इसलिए आशीष नंदी को परेशान होना पड रहा है। क्योंकि वास्तविकता यह है कि शनि के वक्री होने की अवस्था में शनि का शुभत्त्व और बढ जाता है। ऐसे में वह न्यायप्रिय बात करने वालों के मददगार हो जाते हैं और झूठे और षडयंत्रकारियों को ही षडयंत्र में फंसा देते हैं। इसलिए आशीष नंदी का फैसला भी शनि देव जल्द ही कर देंगे। यदि उन्होंने नेक नीयती से ऐसा कहा है, यानी शब्द भले ही गलत रहे हों लेकिन नीयति सही रही होगी तो उन्हें जल्द ही राहत मिल रही है लेकिन जानबूझ कर गलत कहने की अवस्था में उन्हें शनि के दंड के लिए तैयार रहना चाहिए।

ऐसे लोग जो हमेशा ईमानदारी से काम करते रहे हैं और उनकी कुंडली में शनि शुभ प्रभाव में है और वर्तमान मेम शनि की दशाएं या गोचर अनुकूल है तो उनकी मेहनत का फल वक्री शनि जरूर देंगे। इस बात को प्रमाणित करने के लिए मैं फलदीपिका का उल्लेख करना चाहूंगा। फलदीपिका के अनुसार वक्री ग्रह नीच या शत्रु राशिस्थ हो तो भी उच्च ग्रह के अनुसार ही फल करता है। शनि ग्रह के मामले में कहा गया है कि शनि वर्गोत्तम या नवमांश में हो तो स्वक्षेत्री स्थिति के अनुसार ही फल करता है। फलदीपिका के 20वें अध्याय में कहा गया है कि विंशोत्तरी दशा- अंतर्दशा के शुभ फल तभी प्राप्त होते हैं जब दशा या अंतर्दशा का स्वामी ग्रह शुभ भावेश होकर स्व या उच्च राशि में विद्यमान हो अथवा वक्री हो। यानी कि शनि के वक्री रहने की स्थिति में जातक को वही फल प्राप्त होते हैं जिनका वह अधिकारी होता है। सत्याचार्य ने भी उच्च स्वराशिस्थ या वक्री ग्रह को ही श्रेष्ठ माना है। अत: ईमानदार और सदाचारी लोगों को शनि के वक्रत्त्व को लेकर भयभीत नहीं होना चाहिए। जिन लोगों ने अज्ञानता वश कोई गलत कार्य किया है उन्हें इस अवधि में संतोष, विवेक व धैर्य का सहारा लेना चाहिए, ताकि किसी विपरीत परिस्थिति का सामना न करना पडे। यदि इस अवधि में आप अपने आचरण को पवित्र रखेंगे तो आपको शनि के शुभ प्रभावों की ही प्राप्ति होगी। इस अवधि में केवल उन्हें भयभीत होना चाहिए जिन्होंने गरीबों, जनता, समाज, देश या दुनिया वालों के साथ छल किया है।

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