आचार्य रमन
सदा उर्जावान सदा क्रोधी परस्त्री रत समस्त भोगों को भोगने वाला गृह है मंगल .ग्रहों की संसदं में इसको सेनापति का दर्जा प्राप्त है और सभी शौर्य और वीरता से सम्बंधित गतिविधियों में मंगल ही कहीं न कहीं से काम करता है .
मंगल का जन्म उज्जैयिनी में माना गया है तथा मंगल का मंत्र है “ॐ अं अंगारकाय नमः” और इसको प्रतिदिन यदि संभव हो तो १००८ बार जपना चहिये अन्यथा १०८ बार तो अवश्य ही .
मंगल को २ राशियों का अधिपत्य प्राप्त है –मेष और वृश्चिक .इसका रत्न मूंगा है और इसका रंग लाल है .वैधव्य का हेतु भी मंगल ही है अगर ये जन्म कुंडली में १२,१,४,७,८ भावों में हो और कहीं से इसका परिहार न हो रहा हो तो ये सबसे अमंगल गृह है . मंगल प्रबल मारक होता है .शस्त्र से मृत्यु देने में मंगल अग्रणी है .मगल शौर्य भी है .बेधड़क शत्रु के खेमे में जाकर सबको मटियामेट कर देने का साहस देने वाला गृह मंगल ही है .सर पर चोट देने में भी मंगल को महारत हासिल है .
सड़क छाप गुंडे मवाली भी मंगल का ही रूप होते हैं और सड़क से सदन तक जाने वाले कई लोग मंगल प्रधान होते हैं .मंगल से वाणी भी ख़राब होती है .जिन स्त्रियों का मंगल द्वितीय भाव में हो और स्वराशी तथा शुभ द्रष्ट न हो उनको बहुत दिक्कत होती है .अगर मंगल कुंडली में अच्छा नहीं है तो आम तौर पे दिक्कत ही देता है .और अगर अच्छा है तो व्यक्ति हर परिस्थिति से लड़कर आगे निकल जाता है .
मंगल अहंकार कूट कूट के भर देता है .गीता में श्री कृष्ण ने स्पष्ट कहा है की अहंकार प्रभु प्राप्ति के मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध है .मंगल प्रधान लोग बहुत भौतिकतावादी होते हैं .मैंने कर रहा हूँ ,मैंने करा ,मैं ऐसा ,मैं वैसा …आत्मा प्रशंसा सुन ने के भी ये लोग बहुत लालायित रहते हैं ..
ख़राब मंगल को साधने के लिए हनुमानजी से अच्छा कोई नहीं है .जिनका भी मंगल खराब हो मंगलवार को या जिस दिन चन्द्रमा मृगशिरा ,चित्रा ,धनिष्ठा में हो तो १०८ या ५१ बार हनुमान चालीसा का पाठ करें और २७ बार उसी दिन या नक्षत्र में पुनरावृत्ति करें .
वाहन से दुर्घटना ,ओपरेशन ,हाथ पैर टूटना ,अंग भंग होना सब मंगल की देन है अधिकतर .सर पर चोट ,टाँके लगना भी मंगल का ही काम है . मंगल चिकित्सक भी बनाता है ,सेना में भी भेजता है ,पोलिस में भी ,भूमि पुत्र है अतः भूमि से भी जुड़े हुई कामों में लगाता है जैसे बिल्डर ,भूमि के दलाल ,मंगल उद्योगपति भी बनाता है ….बड़ी बड़ी मशीनों का जहाँ पर काम होता है …वाहन के काम में भी लगा देता है .
२७-१०-१९६८ //८:०० //७७ पू ४३ -२२ उ ४५ —–यहाँ देखिये शुक्र मंगल और सप्तम भाव .ये जातक पुलिस में है .बहुत बड़े पद पर नहीं है पर अपनी वीरता के कारन बड़े अधिकारी इसको हमेशा साथ में रखा करते थे .जिस जगह जाने से सभी पुलिस वाले डरते है ये वहाँ भी गया और जिंदा वापस भी आ गया ….नक्सल इलाके में ….इसके जीवन में इसने इतनी स्त्रियों का भोग करा की अब गिनती भी नहीं करता .लेकिन पराक्रम में कहीं से पीछे नहीं है .मदिरा सेवन में भी अव्वल रहा .
१२-७-१९४२ //१२:५० //७५ पू ४९ —२६ उ ५५ –ये जातक सेना में ब्रिगेदिएर बना .
२९ -८-१९७४ //१४:५०//८३ पू २४ –२१ उ ५४ –ये सज्जन एक राष्ट्रीय समाचार चैनल पर रोज़ आते हैं.इनका मगल आत्मकारक है .सूर्य के साथ है ,सूर्य की राशि में है .शनि से भी द्रष्ट है गुरु से भी .इनका जीवन भी वोही है ….शाम होते ही मदिरा ….और स्त्रियों की गिनती भी नहीं पता .विवाह भी प्रेम वाला ही करा .अत्यंत महत्वकाशी और मतलबी व्यक्तित्व के धनी हैं .
२-५-१९५२ //पुत्तूर //६:०० –ये एक नामी बदमाश है छोटा राजन की हैसियत की.मेष लग्न ..मंगल लग्न को देखता है .लग्न में सूर्य उच्च का बैठा हुआ है .मंगल दशम भाव को भी देखता है और द्वितीय को भी .
२४-८-१९५७ //१७:००//७६ पू ०८ –२८ उ ४७ ==मंगल दशा प्रारम्भ होते ही ये जमीन की दलाली करने लग गए और सफल भी हो गए .
१३ -१०-१९८१ //१०:०५//७३ पू ४१ –२४ उ ३५ —-मंगल दशम में है .फिर से मंगल शुक्र सप्तम भाव ….मंगल पापकर्तरी में भे है .ये फिल्म क्षेत्र से जुडी हुई महिला हैं इनके जीवन में इतने अधिक प्रसंग रहे हैं की जिसका वर्णन नहीं करा जा सकता .दो विवाह कर चुकी हैं ,तीसरे की तैय्यारी चल रही है .परदे पर आने के लिए हर कीमत चुकाने में हमेशा आगे रहीं.
सदा उर्जावान सदा क्रोधी परस्त्री रत समस्त भोगों को भोगने वाला गृह है मंगल .ग्रहों की संसदं में इसको सेनापति का दर्जा प्राप्त है और सभी शौर्य और वीरता से सम्बंधित गतिविधियों में मंगल ही कहीं न कहीं से काम करता है .
मंगल का जन्म उज्जैयिनी में माना गया है तथा मंगल का मंत्र है “ॐ अं अंगारकाय नमः” और इसको प्रतिदिन यदि संभव हो तो १००८ बार जपना चहिये अन्यथा १०८ बार तो अवश्य ही .
मंगल को २ राशियों का अधिपत्य प्राप्त है –मेष और वृश्चिक .इसका रत्न मूंगा है और इसका रंग लाल है .वैधव्य का हेतु भी मंगल ही है अगर ये जन्म कुंडली में १२,१,४,७,८ भावों में हो और कहीं से इसका परिहार न हो रहा हो तो ये सबसे अमंगल गृह है . मंगल प्रबल मारक होता है .शस्त्र से मृत्यु देने में मंगल अग्रणी है .मगल शौर्य भी है .बेधड़क शत्रु के खेमे में जाकर सबको मटियामेट कर देने का साहस देने वाला गृह मंगल ही है .सर पर चोट देने में भी मंगल को महारत हासिल है .
सड़क छाप गुंडे मवाली भी मंगल का ही रूप होते हैं और सड़क से सदन तक जाने वाले कई लोग मंगल प्रधान होते हैं .मंगल से वाणी भी ख़राब होती है .जिन स्त्रियों का मंगल द्वितीय भाव में हो और स्वराशी तथा शुभ द्रष्ट न हो उनको बहुत दिक्कत होती है .अगर मंगल कुंडली में अच्छा नहीं है तो आम तौर पे दिक्कत ही देता है .और अगर अच्छा है तो व्यक्ति हर परिस्थिति से लड़कर आगे निकल जाता है .
मंगल अहंकार कूट कूट के भर देता है .गीता में श्री कृष्ण ने स्पष्ट कहा है की अहंकार प्रभु प्राप्ति के मार्ग का सबसे बड़ा अवरोध है .मंगल प्रधान लोग बहुत भौतिकतावादी होते हैं .मैंने कर रहा हूँ ,मैंने करा ,मैं ऐसा ,मैं वैसा …आत्मा प्रशंसा सुन ने के भी ये लोग बहुत लालायित रहते हैं ..
ख़राब मंगल को साधने के लिए हनुमानजी से अच्छा कोई नहीं है .जिनका भी मंगल खराब हो मंगलवार को या जिस दिन चन्द्रमा मृगशिरा ,चित्रा ,धनिष्ठा में हो तो १०८ या ५१ बार हनुमान चालीसा का पाठ करें और २७ बार उसी दिन या नक्षत्र में पुनरावृत्ति करें .
वाहन से दुर्घटना ,ओपरेशन ,हाथ पैर टूटना ,अंग भंग होना सब मंगल की देन है अधिकतर .सर पर चोट ,टाँके लगना भी मंगल का ही काम है . मंगल चिकित्सक भी बनाता है ,सेना में भी भेजता है ,पोलिस में भी ,भूमि पुत्र है अतः भूमि से भी जुड़े हुई कामों में लगाता है जैसे बिल्डर ,भूमि के दलाल ,मंगल उद्योगपति भी बनाता है ….बड़ी बड़ी मशीनों का जहाँ पर काम होता है …वाहन के काम में भी लगा देता है .
२७-१०-१९६८ //८:०० //७७ पू ४३ -२२ उ ४५ —–यहाँ देखिये शुक्र मंगल और सप्तम भाव .ये जातक पुलिस में है .बहुत बड़े पद पर नहीं है पर अपनी वीरता के कारन बड़े अधिकारी इसको हमेशा साथ में रखा करते थे .जिस जगह जाने से सभी पुलिस वाले डरते है ये वहाँ भी गया और जिंदा वापस भी आ गया ….नक्सल इलाके में ….इसके जीवन में इसने इतनी स्त्रियों का भोग करा की अब गिनती भी नहीं करता .लेकिन पराक्रम में कहीं से पीछे नहीं है .मदिरा सेवन में भी अव्वल रहा .
१२-७-१९४२ //१२:५० //७५ पू ४९ —२६ उ ५५ –ये जातक सेना में ब्रिगेदिएर बना .
२९ -८-१९७४ //१४:५०//८३ पू २४ –२१ उ ५४ –ये सज्जन एक राष्ट्रीय समाचार चैनल पर रोज़ आते हैं.इनका मगल आत्मकारक है .सूर्य के साथ है ,सूर्य की राशि में है .शनि से भी द्रष्ट है गुरु से भी .इनका जीवन भी वोही है ….शाम होते ही मदिरा ….और स्त्रियों की गिनती भी नहीं पता .विवाह भी प्रेम वाला ही करा .अत्यंत महत्वकाशी और मतलबी व्यक्तित्व के धनी हैं .
२-५-१९५२ //पुत्तूर //६:०० –ये एक नामी बदमाश है छोटा राजन की हैसियत की.मेष लग्न ..मंगल लग्न को देखता है .लग्न में सूर्य उच्च का बैठा हुआ है .मंगल दशम भाव को भी देखता है और द्वितीय को भी .
२४-८-१९५७ //१७:००//७६ पू ०८ –२८ उ ४७ ==मंगल दशा प्रारम्भ होते ही ये जमीन की दलाली करने लग गए और सफल भी हो गए .
१३ -१०-१९८१ //१०:०५//७३ पू ४१ –२४ उ ३५ —-मंगल दशम में है .फिर से मंगल शुक्र सप्तम भाव ….मंगल पापकर्तरी में भे है .ये फिल्म क्षेत्र से जुडी हुई महिला हैं इनके जीवन में इतने अधिक प्रसंग रहे हैं की जिसका वर्णन नहीं करा जा सकता .दो विवाह कर चुकी हैं ,तीसरे की तैय्यारी चल रही है .परदे पर आने के लिए हर कीमत चुकाने में हमेशा आगे रहीं.
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