शास्त्रों में अमावस्या का शनिवार के दिन पड़ने को बेहद लाभदायक माना जाता है। शनिदेव की कृपा दृष्टि से बचने के लिए आज किए गए उपाए और दिनों के मुकाबले ज़्यादा फ़ायदे देंगे। जानने के लिए पढ़िए अभी!
Please click here to read in English
शनिचरी अमावस्या को शनि देव के दिन के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में यह बात बहुत ख़ास मानी जाती है कि यदि अमावस्या का योग शनिवार के दिन बनता है तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। आज के दिन की जाने वाली शनि देव की पूजा से मन को पूर्ण शांति और अच्छी किस्मत की प्राप्ति होती है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि का दोष है या जिन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रकोप चल रहा हो, उन सभी के लिए शनिचरी अमावस्या का यह योग ख़ास लाभ देने वाला होता है। आज के दिन किए गए उपायों से कुंडली में होने वाले शनि सम्बंधित सभी प्रकार के दोष शांत होते हैं और परेशानी खत्म होती हैं। आज के दिन ज्योतिषीय उपायों से शनि दोष से होने वाले सभी कष्टों को दूर किया जा सकता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार शनिदेव सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी के पुत्र थे। शनि के रंग-रूप को देखकर सूर्य भगवान ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है, तभी से शनिदेव का सूर्य भगवान के साथ दुश्मनी का भाव है। शनिदेव ने अपनी कड़ी तपस्या और भरपूर साधना के द्वारा शिव जी को खुश किया था। तब शनि देव ने शिव जी से प्रार्थना की कि मेरी माता की प्रबल इच्छा है कि उनका पुत्र शनि उनके ऊपर हुए सभी अपमानों का बदला अपने पिता से ज़रूर ले और उनसे भी ज़्यादा शक्तिशाली बने। तब शिव जी ने आशीर्वाद रूपी वरदान देते हुए कहा था कि अब से नवग्रहों में शनि का स्थान सबसे उँचा रहेगा। देवताओं के साथ-साथ मनुष्य भी शनि के नाम से भयभीत होंगे।
शनि देव के प्रकोप से तो सभी अवगत हैं, लेकिन शनि देव बहुत कल्याणकारी भी माने जाते हैं। शनिचरी अमावस्या के दिन विशेष अनुष्ठान करके पितृदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है। शास्त्रों के मुताबिक पितरों के नाराज़ होने पर संतान सुख में बाधा आती है। जीवन में होने वाली प्रगति में सुख शांति का आभाव रहता है।
इसके अलावा हम आपको कुछ बेहद सरल उपाय बताने जा रहे हैं, जिनसे शनिचरी अमावस्या पर शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए आपको और मदद मिलेगी - शनि के प्रकोप से बचने के ५ सरल उपाय जानें अभी
यदि आपके मन में इस दिन को लेकर कोई और सवाल है नीचे कमेंट बॉक्स में लिख दीजिए।
आपको शनिचरी अमावस्या की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
Please click here to read in English
शनिचरी अमावस्या को शनि देव के दिन के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में यह बात बहुत ख़ास मानी जाती है कि यदि अमावस्या का योग शनिवार के दिन बनता है तो इसे बहुत ही शुभ माना जाता है। आज के दिन की जाने वाली शनि देव की पूजा से मन को पूर्ण शांति और अच्छी किस्मत की प्राप्ति होती है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि का दोष है या जिन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रकोप चल रहा हो, उन सभी के लिए शनिचरी अमावस्या का यह योग ख़ास लाभ देने वाला होता है। आज के दिन किए गए उपायों से कुंडली में होने वाले शनि सम्बंधित सभी प्रकार के दोष शांत होते हैं और परेशानी खत्म होती हैं। आज के दिन ज्योतिषीय उपायों से शनि दोष से होने वाले सभी कष्टों को दूर किया जा सकता है।
शनिचरी अमावस्या का पौराणिक महत्व
धर्म ग्रंथों के अनुसार शनिदेव सूर्य भगवान की दूसरी पत्नी के पुत्र थे। शनि के रंग-रूप को देखकर सूर्य भगवान ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया कि शनि उनका पुत्र नहीं है, तभी से शनिदेव का सूर्य भगवान के साथ दुश्मनी का भाव है। शनिदेव ने अपनी कड़ी तपस्या और भरपूर साधना के द्वारा शिव जी को खुश किया था। तब शनि देव ने शिव जी से प्रार्थना की कि मेरी माता की प्रबल इच्छा है कि उनका पुत्र शनि उनके ऊपर हुए सभी अपमानों का बदला अपने पिता से ज़रूर ले और उनसे भी ज़्यादा शक्तिशाली बने। तब शिव जी ने आशीर्वाद रूपी वरदान देते हुए कहा था कि अब से नवग्रहों में शनि का स्थान सबसे उँचा रहेगा। देवताओं के साथ-साथ मनुष्य भी शनि के नाम से भयभीत होंगे।
शनि देव के प्रकोप से तो सभी अवगत हैं, लेकिन शनि देव बहुत कल्याणकारी भी माने जाते हैं। शनिचरी अमावस्या के दिन विशेष अनुष्ठान करके पितृदोष से भी मुक्ति पाई जा सकती है। शास्त्रों के मुताबिक पितरों के नाराज़ होने पर संतान सुख में बाधा आती है। जीवन में होने वाली प्रगति में सुख शांति का आभाव रहता है।
शनिचरी अमावस्या पर शनि से बचने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय
- शनिदेव को खुश करने के लिए शनिचरी अमावस्या पर तिल, जौ और तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने पर मन मुताबिक फल मिलता है।
- जिन राशियों पर शनि दोष है, वह इस अद्भुत योग पर शनिदेव की पूजा करें तो उन्हें शनि की कृपा ज़रूर प्राप्त होगी।
- शनिदेव को तेल चढ़ाने के साथ-साथ मंत्र के जाप से भी शनि की पीड़ा ख़त्म हो सकती है।
- शनि मंदिर में जाकर शनिदेव पर तिल, उड़द, लोहा, फूल, गुड़ अर्पण करने से शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
- किसी कुत्ते को तेल से चुपड़ी हुई रोटी खिलाएँ। कुत्ता शनिदेव का वाहन है। जो लोग कुत्ते को खाना खिलाते हैं उनसे शनि बहुत खुश रहते हैं।
- अमावस्या की रात को 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले कपड़े में बाँधकर संदूक में रखने से कष्टों में शांति मिलती है।
इसके अलावा हम आपको कुछ बेहद सरल उपाय बताने जा रहे हैं, जिनसे शनिचरी अमावस्या पर शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए आपको और मदद मिलेगी - शनि के प्रकोप से बचने के ५ सरल उपाय जानें अभी
यदि आपके मन में इस दिन को लेकर कोई और सवाल है नीचे कमेंट बॉक्स में लिख दीजिए।
आपको शनिचरी अमावस्या की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
आज के दिन विशेष
आज पंचक यानि पाँच अशुभ दिन होंगे ख़त्म।
आपका दिन शुभ रहे!
|
Ladkiya shani ki pooja kaise kare ?
ReplyDeletefalguni ji bhahwan shanker ki pooja karne se sani dev parsan hote hai
DeleteLadkiyan waise hi kar sakti hain jese ladke karte hain.
DeleteRahu santi k kya upay he
ReplyDeleteWorship lord Bhairava or lord Shiva.
DeleteRecite the Rahu stotra.
Chant Rahu beeja mantra: Om bhram bhreem bhroum sah rahave namah, 18000 times in 40 days.
Recite the Kalabhairav asthakam.
Donate: Udad dal or coconut on Saturdays.
Fasting on Saturdays.
Pooja: Bhairav or Shiva or Chandi pooja.
Wear An 8 mukhi Rudraksha. - Buy now
One of the most effective remedies for Rahu is recitation of the first chapter of Durga Saptasati.
Adhik jankari k liye is page par jayen: http://astrosage.com/planet/rahu/rahu-mantra-rahu-puja-rahu-remedy.asp