स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! भारत देश बहुत से बदलावों से गुज़र रहा है। आइए देखते हैं कि क्या कहते हैं ज्योतिषी नीरज थपलियाल इस देश के भविष्य के बारे में।
स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम आपके लिए लेकर आए हैं भारतवर्ष की कुडंली का लेखा-जोखा ज्योतिषीय दृष्टिकोण से। इस लेख को पढ़ने के बाद आपको भारतवर्ष के अगले एक साल के भविष्य के बारे में कुछ विशेष जानकारियां जानने को मिलेंगी।
भारतवर्ष का आगामी भविष्यफल
- 20 जुलाई से 18 अगस्त तक में पाँच बुधवार व पाँच गुरुवार होने व मंगल-शनि के योग के फलस्वरुप अनाजादि की पैदावार में वृद्धि होगी मगर पाँच बृहस्पतिवार होने से कुछ प्रदेशों में पर्याप्त वर्षा की कमी रहे, तो कहीं अतिवृष्टि से बाढ़ आदि प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन सम्पदा को हानि पहुँचने की संभावना भी रहेगी। कुछ प्रदेशों में सूखा पड़ने का भय भी रहेगा।
- 16 अगस्त को सूर्य संक्राति मंगलवार को पड़ने तथा सूर्य पर शनि की दृष्टि के परिणामस्वरुप विभिन्न राजनेताओं में पारस्परिक टकराव, राजनीतिक टकराव और आरोप-प्रत्यारोप की तुच्छ राजनीति सभी सीमाएं लांघ सकती है। कहीं हिंसक घटनाएं बढ़ेंगी तो कहीं प्राकृतिक उपद्रव होगा।
- 19 अगस्त से 16 सितम्बर तक में पाँच शुक्रवार होने से अनाज आदि के मूल्यों में बढ़ोत्तरी होगी। धन का प्रसार बढ़ेगा। सरकार द्वारा प्रदत्त सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। जनसंख्या में वृद्धि के कारण कुछ गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
- 17 सितम्बर से 16 अक्टूबर तक में पाँच शनिवार और पाँच रविवार होने से भारत के अनेक प्रदेशों में उपद्रव, साम्प्रदायिक दंगे, हिंसक घटनाएं अग्निकांड की वारदातें अधिक रहेंगी। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बड़े स्तर पर परिवर्तन होने की सम्भावना रहेगी। इस कारण भाजपा या सहयोगी पार्टियों में मतभेद उभर सकते हैं। उपभोग्य वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक तेजी और लोगों में क्लिष्ट-पेचीदा रोगों की उत्पत्ति संभव रहेगी।
- 17 अक्टूबर से 14 नवम्बर तक में पाँच रविवार और पाँच सोमवार होने तथा 1 नवम्बर से शनि-मंगल के बीच दृष्टि सम्बन्ध होने से देश में कहीं अनाज की कमी, अत्यधिक मंहगाई, प्राकृतिक प्रकोपों से जन-धन की हानि व सत्ता परिवर्तन जैसी घटनाएं घटित हो सकती हैं।
- 15 नवम्बर से 13 दिसम्बर तक में पाँच मंगलवार होने से समय देश के सामाजिक व राजनीतिक क्षेत्रों के लिए शुभ नहीं है। देश में कहीं आतंकी एवं हिंसक घटनाओं की सम्भावना, राज-सत्ता में परिवर्तन व सांप्रदायिक घटनाओं का भय रहेगा। किसी प्रमुख राजनेता के अपदस्थ होने या आकस्मिक शारीरिक कष्ट होने की भी सम्भावना है। सूर्य-शनि योग के प्रभावस्वरुप उत्तरप्रदेश, बंगाल, जम्मू-कश्मीर, बिहार आदि प्रदेशों में व्यापक हिंसा, अग्निकांड, उपद्रव एवं साम्प्रदायिक विद्वेष की घटनाएं अधिक होंगी। 29 नवम्बर को मंगलवार व अमावस्या के योग से राजनीति में विशेष उथल-पुथल संभव रहेगा। देश में राजनीतिक टकराव तथा राजनेताओं में परस्पर आरोप-प्रत्यारोप होने के संकेत हैं। प्राकृतिक आपदाओं के कारण आवश्यक वस्तुओं में कमी के कारण मूल्यों में तेजी होगी।
- 14 दिसम्बर से 12 जनवरी 2017 ई. तक में पाँच बुधवार एवं पाँच बृहस्पतिवार होने से मिश्रित प्रभाव रहेंगे। पाँच गुरुवार होने तथा गुरु-शुक्र के मध्य दृष्टि सम्बन्ध होने से प्राकृतिक प्रकोप, रेल-वायुयान दुर्घटनाओं से जन व धन-सम्पदा को हानि पहुँचने के योग हैं। भारत के पश्चिमी प्रदेशों व पश्चिमी सीमाओं पर आतंकवादी एवं विस्फोटक घटनाएं घटित होने की संभावनाएं हैं। 28 दिसम्बर से मंगल-शुक्र-केतु का योग होने से राजनीतिक टकराव, बर्फ़बारी से फसलों की हानि संभव है।
- सितम्बर 2015 से सितम्बर 2025 तक स्वतंत्र भारत की कुंडली पर चंद्र की महादशा रहेगी। फरवरी 2017 तक चन्द्रमा की महादशा में मंगल की अंतर्दशा रहेगी। उसके बाद राहु की अंतर्दशा स्वतंत्र भारत की कुंडली पर आएगी। चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी है और कर्क राशि में ही पंचग्रह(पाँच ग्रह एक ही राशि में) का योग बना हुआ है। स्वतंत्र भारत की वर्तमान वर्षकुंडली में चन्द्रमा लग्न(प्रथम भाव) में स्थित है चन्द्रमा की यह महादशा भारत के लिए अप्रत्याशित और अदभुत परिस्थितियां उत्पन्न होने के संकेत हैं। अगस्त 2016 का यह समय सरकार के लिए संकट उत्पन्न करेगा। इस समय विपक्षी दल सरकार का सफलतापूर्वक घेराव करेंगे। सितम्बर 2016 तक का समय राष्ट्ररक्षा के लिए अत्यंत कठिन रहेगा। इस अवधि में भारत की सीमाओं पर आतंकी घुसपैठ बढ़ेंगी। केंद्र सरकार को विशेष सावधानी बरतनी होगी। मुंथेश की छठे भाव दृष्टि और शनि की शुक्र पर दृष्टि यह इशारा कर रही है कि यह वर्ष भारत के लिए अपने शत्रुओं से लोहा लेने के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा।
- 13 अक्टूबर से आगे, शुक्र-शनि और सूर्य-शनि की विशेष ग्रह स्थिति के परिणामस्वरुप दिसम्बर माह तक भारत में किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के पद खोने को इंगित कर रही है। 28 दिसम्बर 2016 ई. से 19 फरवरी 2017 ई. तक शनि-शुक्र-केतु ये तीनों ग्रह एक साथ रहेंगे। साथ ही 26 जनवरी 2017 ई. को शनि धनु राशि में आकर विकसित देशों व राष्ट्रों तथा मुस्लिम देशों में कहीं प्राकृतिक-प्रकोप से हानि कर सकता है।
विशेष: शनि-मंगल- ये दोनों शत्रुग्रह 17 सितम्बर 2016 ई. तक वृश्चिक राशि में ही रहेंगे, जिसके कारण चीन-पाक आदि देशों से सीमा-प्रांतों पर सैन्य-बल और उग्रवादी घटनाओं द्वारा कश्मीर में भारी जन-धन हानि होने की संभावना रहेगी। इस अवधि में अफगानिस्तान, इराक, सीरिया और पाकिस्तान आदि देशों में भी भारी अशांति और अराजकता फैलने के आसार हैं।
ज्योतिषी नीरज थपलियाल
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