फाल्गुन के रंग होली के संग, होली आई रे…!

आज होली को बनाए बेहद खास, जानें इस त्यौहार की खास बात ! आज 13 मार्च 2017 को होली के मौके पर पढ़ें हमारा यह खास लेख…


रंग और मस्ती का त्यौहार है होली। नाचने-गाने और खुशियां बांटने का मौका है होली। हिंदू धर्म में होली एक प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व जीवन में खुशियों के नए रंग लाता है। कहते हैं इस दिन दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं। आईये जानते हैं होली से जुड़े दिलचस्प बातें और इस त्यौहार का पौराणिक महत्व।


होली 

होली वसंत ऋतु के दौरान फाल्गुन माह में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिंदू धर्म में पारंपरिक रूप से यह त्यौहार दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। जबकि दूसरे दिन धुलेंडी यानि होली खेली जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार होली का त्यौहार मार्च महीने में आता है। होली के मौके पर लोग गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को अबीर और गुलाल लगाकर इस त्यौहार का मज़ा लेते हैं। होली के दिन बड़े-बुज़ुर्गों से आशीर्वाद लेने की भी परंपरा है।

जानें देशभर में कैसे खेली और मनाई जाती है होली... होली 2017

होली पर करें ये काम..

हिंदू धर्म में हर त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है। विभिन्न रीति रिवाज़ और परंपरा ही इन पर्वों के महत्व को दर्शाती है। इसी कड़ी में होली पर निम्न बातों का ध्यान ज़रुर रखें..

होलिका दहन के दर्शन ज़रुर करना चाहिए। क्योंकि होलिका दहन के दर्शन करने से शनि, राहु और केतु के दोषों से शांति मिलती है। 

अगर आप होलिका दहन में शामिल नहीं हो पायें, तो अगले दिन सुबह के समय होली के पास जाकर तीन परिक्रमा करें और होली में अनाज की बालिया डालें।

पुरुषों को होली की भस्म मस्तिष्क पर और महिलाओं को गले पर लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में ऐश्वर्य की वृद्धि होती है। 

इसके अलावा होली की भस्म का टीका लगाने से नज़र दोष व प्रेत बाधा से रक्षा और मुक्ति मिलती है। 

होली खेलने की शुरुआत सबसे पहले सुबह-सुबह भगवान को रंग चढ़ाकर करनी चाहिए। इसके बाद प्रेम से होली खेलें और लोगों से गले मिलें।

दोस्त और रिश्तेदारों को भेजें होली के मैसेज

होली से जुड़ी पौराणिक कथाएं: 

भक्त प्रहलाद और होलिका: यह एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है। यह कहानी भगवान विष्णु और उनके भक्त प्रहलाद से जुड़ी है। राक्षस हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को अपनी बहन होलिका की मदद से ज़िंदा जलाकर मारने की कोशिश की थी लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद सुरक्षित बच गए और होलिका जलकर मर गई। इसके बाद ही भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया था।

भगवान श्री कृष्ण और राधा: यूं तो होली भारत समेत दुनिया के कई देशों में हिंदू समुदाय द्वारा मनाई जाती है लेकिन ब्रज भूमि यानि मथुरा-वृंदावन में होली की खास धूम रहती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा अपने प्रेम का उत्सव मनाने व चारों ओर खुशियां बिखेरने के लिए अलग-अलग रंगों और फूलों से होली खेला करते थे। इस वजह से मथुरा, वृंदावन, गोकुल और बरसाना समेत ब्रज भूमि पर होली धूमधाम से मनाई जाती है।

निकल पड़ी मद-मस्त ये टोली, सबकी जुबाँ पे एक ही बोली।
फिर से सजेगी रंग की महफिल, प्यार की धारा बनेगी होली।।

इन पंक्तियों के साथ आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से होली की ढेर सारी शुभकामनाएं।

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