कृष्ण जन्माष्टमी पर गोविंदा आला रे!

हिंदू धर्म के अनुसार 24 अगस्त को भगवान कृष्ण आएँगे आपके घर! जानिए क्या है जन्माष्टमी का महत्व और भगवान कृष्ण से संबंधित पूरी जानकारी। 


इस कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को बनाएं और बुलाएँ उन्हें अपने घर जिससे वह आपके सभी दुखों को दूर करें और आपको मिले भगवान का आशीर्वाद। प्रेम के भूखे भगवान को पूरे मन से मनाएं और आइए जानते हैं क्या है जन्माष्टमी की विशेषता और क्या है भगवान श्री कृष्ण की कहानी। 

भगवान श्री कृष्ण की कथा


भगवान कृष्ण के रूप में भगवान विष्णु ने द्वापर युग में देवकी और वासुदेव के यहां जन्म लिया। द्वापर युग के अंत का समय था और मथुरा का शासक कंस था जो अत्याचारी राजा था। द्वापर युग के अंत का समय था और समस्त मथुरा कंस के अत्याचारों से पीड़ित थी। एक दिन कंस अपनी प्रिय बहन देवकी का विवाह वासुदेव के साथ कराने के बाद उसे उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा था कि तभी मार्ग में आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तो इतने प्रेम से उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा है उस की आठवीं संतान तेरी मृत्यु का कारण बनेगी। यह जानकर कंस ने अपनी बहन को मारने के लिए तलवार उठाई लेकिन वासुदेव जो सत्यवादी थे उन्होंने वचन दिया कि वह अपनी संतान कंस को दे देंगे, इस पर भी कंस नहीं माना और उसने उन दोनों को कारागार में डाल दिया। 

जब भगवान श्री कृष्ण ने लिया जन्म


जैसे-जैसे समय बीतता गया कंस के अत्याचार बढ़ते गए और उसने देवकी की एक-एक करके सभी सातों संतानों को नष्ट कर दिया। कहते हैं समय बड़ा बलवान होता है और होनी को कोई नहीं टाल सकता। भाद्रपद के महीने में अष्टमी तिथि के दिन रोहिणी नक्षत्र था और घनघोर वर्षा होने लगी और चारों ओर अंधेरा छाया था कि तभी मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया। माना जाता है कि भगवान ने स्वयं देवकी और वासुदेव को दर्शन दिए और कहा कि नंद बाबा के घर एक कन्या ने जन्म लिया है। वह कन्या मेरी ही योग माया है उसे यहां ले आओ और मुझे वहां छोड़ आओ मार्ग में कोई बाधा तुम्हें नहीं रोकेगी। ऐसा कहकर भगवान् अंतर्ध्यान हो गए और कंस के सभी पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए और वासुदेव के हाथों की हथकड़ी और पैरों की बेड़ियां अपने आप खुल गई और वह कुछ छोटे से बालक को लेकर नंद बाबा के घर की ओर चल दिए। 

कृष्ण की माया 


रास्ते में यमुना जी का जल स्तर बहुत अधिक बढ़ा हुआ था और शेषनाग से हम अपने फनों की छाया कर भगवान को वर्षा से बचा रहे थे। तभी भगवान के चरणों से स्पर्श पाकर यमुना का जलस्तर घट गया और वासुदेव नंद बाबा के घर जाकर वहां से योग माया को ले आए। जैसे ही वापस लौटे, हाथों की हथकड़ियां और पांव की बेड़ियां अपने आप पड़ गई और पहरेदार घोर निद्रा से जाग गए। उन्होंने कंस को जाकर समाचार दिया कि देवकी ने आठवीं संतान को जन्म दे दिया है। जैसे ही कंस ने उस कन्या को मारना चाहा वह कन्या आकाश में उड़ गई और आकाशवाणी हुई कि तेरा काल कहीं और जन्म ले चुका है और उसके हाथों तेरी मृत्यु निश्चित है। इससे कंस को बहुत क्रोध आया और उसने आसपास के सभी नवजात शिशुओं के वध करने का आदेश दे दिया। 

कृष्ण ने दिखाया अद्भुत रूप


कंस ने बार-बार कृष्ण को मारने के लिए विभिन्न प्रकार के राक्षस भेजे लेकिन सभी को कृष्ण ने मृत्यु के घाट उतार दिया और पूतना नाम की राक्षसी का वध किया। सभी इस बात से हैरान थे कि कृष्ण आखिर इतने छोटे बालक होकर इतने बड़े-बड़े राक्षसों का अंत कैसे कर डालते हैं। कृष्ण ने कालिया नाग का भी उद्धार किया और अपने सभी मित्रों के साथ बांसुरी बजाकर गाय चराने लगे। 

छोटे कान्हा की बाल लीला 


कृष्ण बचपन से ही नटखट थे और अपनी बाल लीलाओं से सभी का मन मोह लेते थे। कभी किसी गोपी की मटकी तोड़ते तो कभी किसी का माखन चुराकर खाते। एक बार कान्हा ने बचपन में मिट्टी खाई, तो सभी मित्रों ने उनकी माता यशोदा से शिकायत की। जब यशोदा मैय्या ने उनका मुंह खुलवाया तो देखा कि उनके मुंह में समस्त ब्रह्माण्ड नजर आया। इसे देखकर वह चकित रह गई। 

गोपियों के संग रास रचाया 


कृष्ण ने गोपियों के साथ अठखेलियां की और रास रचाया और पूरे संसार को प्रेम का पाठ पढ़ाया। यही वजह है कि आज सारा संसार भगवान कृष्ण को मानता है और जन्माष्टमी का त्यौहार पूरे चाव से मनाया जाता है। उन्होंने कभी छोटे बड़े का भेद नहीं किया और सभी से सामान भाव रखते हुए प्रेम दिया। यही वजह उन्हें सभी के दिल में जगह देती है। 

कृष्ण ने किया कंस का वध 


जब कृष्ण और उनके भाई बलराम थोड़े बड़े हुए तो कंस ने अपने कोषाध्यक्ष अक्रूर को नंद बाबा के पास भेजा और धोखे से कृष्ण बलराम को मथुरा बुलवाया ताकि वह उनका वध कर सके लेकिन वहां पर मल युद्ध करते समय भगवान कृष्ण ने उसका वध कर दिया है और प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई और उसके उपरांत अपने माता-पिता देवकी और वासुदेव को भी उसके कारागृह से मुक्ति दिलाई। 

जब कृष्ण बने योगीराज और दिया गीता का उपदेश


भगवान कृष्ण को योगीराज भी कहा जाता है। कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया और यही वजह है कि गीता को संसार में सबसे अधिक मान्यता मिली है क्योंकि भगवान के श्री मुख से यह अकेला ऐसा ग्रंथ है जो प्रदान किया गया है। गीता कर्म करने की प्रेरणा देती है और व्यक्ति को सही मार्ग पर बने रहने का उपदेश देती है।

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कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त


जन्माष्टमी का व्रत रखना और जन्माष्टमी उत्सव मनाना तो अलग-अलग बातें हैं और इस बार 24 अगस्त को जन्माष्टमी का पवित्र पर्व मनाया जाएगा, जो भगवान कृष्ण के प्राकट्य उत्सव के रूप में विश्व भर में विख्यात है। आइए जानते हैं जन्माष्टमी 2019 के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त:

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2019
दिनांक24 अगस्त 2019
नीशीथ पूजा मुहूर्त24:01:33 से 24:45:46 तक
अवधि0 घंटे 44 मिनट

नोट: ऊपर दिया गया मुहूर्त केवल नई दिल्ली के लिए है। अगर आप अपने शहर के लिए जन्माष्टमी का मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें, जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त

जन्माष्टमी कैसे मनाएँ 


  • जन्माष्टमी मनाने का सबसे आसान तरीका यह है कि आप प्रातकाल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान श्री कृष्ण की बाल छवि को पंचामृत से स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएँ। 
  • इसके उपरांत व्रत रखें और फलाहार करें तथा केवल एक समय अर्धरात्रि के समय भगवान कृष्ण का जन्म होने के उपरांत उनकी आरती करें तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत की पारणा करें। 
  • कूटू का आटा अथवा सिंघाड़े का आटा भी प्रयोग किया जा सकता है। 
  • इस दिन किसी भी प्रकार के पेड़ पौधों को ना काटें और ना ही उन्हें हानि पहुँचायें। 
  • साथ ही साथ ज़रूरतमंद लोगों की यथासंभव सहायता करें। 
  • इन छोटे बच्चों को राधा कृष्ण की पोशाक पहना कर झांकियां भी निकाली जाती हैं और विभिन्न मंदिरों में जाकर भगवान की बाल लीलाओं के दर्शन कर आनंद प्राप्त करें। 
  • यदि संभव हो तो घर में अथवा मंदिर में कीर्तन का आयोजन करें। 
  • सभी के साथ मिलजुल कर इस पर्व को मनाएँ। 

दही हांडी उत्सव


महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है जिसमें कुछ नवयुवक जिन्हें गोविंदा कहा जाता है, कई फुट ऊंची बंधी मटकियों को फोड़ते हैं और इस उत्सव को बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। मथुरा, वृंदावन और बरसाना में कृष्ण जन्माष्टमी सबसे भव्य तरीके से बनाई जाती है और इसके अतिरिक्त इस्कॉन टेंपल में भी लोग भी कृष्ण जन्माष्टमी को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। 

संतान प्राप्ति के लिए रखे व्रत


जो लोग निसंतान हैं उन्हें जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए क्योंकि इस व्रत को रखने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है। इस दिन आप संतान गोपाल मंत्र का जाप करें जिसकी कृपा से अवश्य ही भगवान श्री कृष्ण की अनुकंपा आपको मिलेगी और उत्तम संतान की प्राप्ति होगी। संतान गोपाल मंत्र इस प्रकार है:

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।

पूरे मन से इस मंत्र का जाप करें और जाप पूरा होने के बाद इसी मंत्र से हवन करें और भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाकर उसे प्रसाद स्वरूप सभी में बैठ कर खुद भी ग्रहण करें इससे आपको भगवान श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होगा। 

वास्तव में भगवान कृष्ण का जन्मदिन जिसे हम जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं, समस्त मानवता को संदेश देता है कि सभी से प्रेम करो और कर्म करो। हम आशा करते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण आपके जीवन की सभी समस्याओं का अंत करें। आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

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