आज महाशिवरात्रि पर करें ये काम, शिव से मिलेगा वरदान

महाशिवरात्रि पर महादेव को कब और कैसे करें प्रसन्न? महाशिवरात्रि पर क्या है भगवान शिव के रुद्राभिषेक का महत्व? आईये जानते हैं महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की भक्ति से कैसे मिलेगा अनुपम वरदान।

महाशिवरात्रि को लेकर हिंदू धर्म में कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। बताया जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे, इसलिए कहा जाता है कि शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि एक पावन पर्व है। हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन महाशिवरात्रि मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तारीख फरवरी और मार्च के महीने में आती है। वर्ष 2017 में महाशिवरात्रि 24 फरवरी शुक्रवार को मनाई जा रही है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है, मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से रोग, शोक व तमाम कष्टों का नाश हो जाता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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महाशिवरात्रि पूजन मुहूर्त: 

निशीथ काल पूजा मुहूर्त- 00:09:07 से 00:59:21 (24 और 25 की मध्य रात्रि में)

अवधि: 50 मिनट

महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त: 06:51:58 से 15:27:20, 25 फरवरी

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में पूजन का मुहूर्त और विस्तृत पूजा विधि – 


महाशिवरात्रि पर कैसे करें महाकाल की आराधना ?

भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए महाशिवरात्रि पर व्रत और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। 

महाशिवरात्रि पर रात्रि में उपवास करें और दिन में सिर्फ फल और दूध ग्रहण करें।

शिव पुराण का पाठ, महामृत्युंजय मंत्र और ‘’ऊँ नम: शिवाय’’ मंत्र का जाप करें। इसके अलावा रात्रि जागरण करें।

रात्रि के चारों पहरों में भगवान शिव का अभिषेक और आराधना करें। हालांकि निशीथ काल में शिव पूजन का विशेष महत्व होता है।

नीलकंठ महादेव को क्यों प्यारी है महाशिवरात्रि ? 


1. जब भगवान शिव ने मां पार्वती को बताया सर्वोत्तम व्रत का रहस्य

पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा था कि कौन सा व्रत उनको सर्वोत्तम भक्ति और पुण्य प्रदान करता है। तब माता पार्वती के सवाल के जवाब में भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के व्रत के महत्व का वर्णन किया। भोलेनाथ ने कहा कि जो भक्त महाशिवरात्रि का उपवास रखता है, वह मुझे प्रसन्न कर लेता है।




2. कैसे भगवान शिव ने तोड़ा था ब्रह्मा और विष्णु का अभिमान?

इस पौराणिक कथा के अनुसार एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी को अपने श्रेष्ठ कर्मों पर अभिमान हो गया था। दोनों देव अपना महत्व और श्रेष्ठता सिद्ध करने पर आमादा हो गए। ब्रह्मा और विष्णु के इस अहंकार को दूर करने के लिए भगवान शिव अत्यंत प्रकाशवान होकर अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। शिव का यह स्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि में ही हुआ था, इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा गया। 


3. जब हुआ था भगवान शिव और आदि शक्ति का मिलन

मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और आदि शक्ति का विवाह हुआ था। इसलिए महाशिवरात्रि को शिव और आदि शक्ति के मिलन की रात्रि भी कहा जाता है। 


ज्योतिष शास्त्र में महाशिवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं इसलिए हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। वैदिक ज्योतिष में चतुर्दशी तिथि को बेहद शुभ बताया गया है। क्योंकि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन चंद्रमा सूर्य के सबसे समीप होता है। यह वही घड़ी है जब जीव रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ मिलन होता है। इसलिए इस दिन शिव पूजन से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि विकारों से मुक्त करके परम सुख, शांति और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं।


एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ।

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