जानें राशि के अनुसार रुद्राभिषेक की विधि व नियम! महाशिवरात्रि पर करें भगवान शिव की आराधना और करें खुशहाल जीवन की कामना।
महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा दिन है, इसलिए यह हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्य रात्रि के समय भगवान शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था। शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि है।
सुख-समृद्धि के लिए महाशिवरात्रि पर अवश्य करें पारद शिवलिंग की स्थापना
कब मनाएँ महाशिवरात्रि
हिन्दू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि फरवरी और मार्च के महीने में आती है। वर्ष 2018 में महाशिवरात्रि कुछ शहरों में 13 फरवरी और कुछ स्थानों पर 14 फरवरी को मनाई जाएगी। दरअसल ऐसी स्थिति इसलिए बनी हुई है, क्योंकि 13 फरवरी को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि है और मध्य रात्रि 10:36 बजे से चतुर्दशी तिथि लग रही है। जबकि 14 फरवरी को सुबह से रात्रि 12 बजे तक चतुर्दशी तिथि व्याप्त रहेगी। इस वजह से महाशिवरात्रि अलग-अलग स्थानों पर 13 और 14 फरवरी को मनाई जाएगी।
जानें अपने शहर में 13-14 फरवरी को चतुर्दशी तिथि का समय: दैनिक पंचांग
महाशिवरात्रि मुहूर्त | |
निशीथ काल पूजा मुहूर्त | 00:09:30 से 25:00:55 तक (14 फरवरी) |
अवधि | 51 मिनट |
महाशिवरात्रि पारणा मुहूर्त | 07:01:43 से 15:23:43 तक (14 फरवरी) |
विशेष: उपरोक्त मुहूर्त दिल्ली के लिए मान्य है। जानें अपने शहर में पूजा का मुहूर्त: महाशिवरात्रि मुहूर्त
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से रोग, शोक व तमाम कष्टों का नाश हो जाता है और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
- महाशिवरात्रि का व्रत रखने वाले श्रद्धालु, त्रयोदशी के दिन एक समय भोजन करें और चतुर्दशी को दिनभर अन्न ग्रहण नहीं करें। इस दौरान सिर्फ फल और दूध ही ग्रहण करना चाहिए।
- इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल के लिए मंडप सजाएँ। इसमें कलश स्थापित करें एवं भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान शिव को अक्षत, पान, सुपारी, गंगाजल, बिल्व पत्र, पीले फूल, धतूरे के फल, दूध, दही, शहद, चंदन आदि अर्पित करें।
- निशीथ काल यानि मध्य रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन और रात्रि जागरण करें। इस दौरान शिव चालीसा, शिव सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करना चाहिए।
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राशि के अनुसार करें भगवान शिव का रुद्राभिषेक
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। इसका अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक यानि उन्हें स्नान कराना। मान्यता है कि रुद्राभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। यदि आप अपनी राशि के अनुसार भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है।
सभी 12 राशियों के अनुसार रुद्राभिषेक की सामग्री:-
मेष, सिंह: शहद और गन्ने का रस
वृषभ: दूध और दही
मिथुन: कुशोदक और शरबत (ऐसा जल जिसमें घास की पत्तियाँ छोड़ी गई हों)
कर्क, धनु: दूध और शहद
कन्या, कुंभ: कुशोदक और दही
तुला: दूध और कुशोदक
वृश्चिक: शहद, दूध, गन्ने का रस
मकर: कुशोदक, गंगा जल में गुड़ डाल कर
मीन: शहद, दूध और गन्ने का रस
महाशिवरात्रि का मंगल पर्व भोलेनाथ की असीम कृपा पाने का दिन है। इस दिन भक्तों की श्रद्धा और आस्था से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके समस्त दुःख, दर्द और रोगों को हर लेते हैं एवं सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ!
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