चैत्र नवरात्रि की षष्टी तिथि आज, जानें पूजा विधि

मॉं कात्यायनी को करें नमन! चैत्र नवरात्रि के छठवे दिन आज देवी दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की जा रही है। जानें मां के इस रूप का वर्णन और महत्व।




मां कात्यायनी


चैत्र नवरात्रि के छठवे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। यह माँ दुर्गा का छठा रूप है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि कात्यायन ऋषि की पुत्री होने के कारण माँ दुर्गा का नाम कात्यायनी पड़ा था। यदि माँ की आराधना सच्चे मन पूर्ण विधि-विधान के साथ की जाए तो भक्तों के सभी रोग-दोष दूर हो जाते हैं।


पूजा विधि


मां कात्यायनी के पूजन से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक बल की प्राप्ति होती है। माता कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा करने के बाद साधक को अपने प्रयासों में सफलता मिलती है। नवरात्रि के तीसरे दिन पूजा का विधान इस प्रकार है...

  • मां कात्यायनी की पूजा से पहले कलश और उसमें विराजमान देवी-देवता, तीर्थों, नवग्रहों, ग्राम और नगर देवता आदि का पूजन करें।
  • इसके बाद मां कात्यायनी का पूजन शुरू करें। सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मॉं कात्यायनी का ध्यान करें।
  • इसके बाद मां कात्यायनी का पंचोपचार पूजन करें और उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
  • घी अथवा कपूर जलाकर मां कात्यायनी की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।

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ज्योतिषीय महत्व


ज्योतिषीय महत्व के संदर्भ में ऐसा कहा जाता है कि मां कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। इनकी भक्ति के प्रभाव से बृहस्पति से संबंधित दोष दूर होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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