पढ़ें मां कूष्माण्डा की महिमा और मंत्र! जानें चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा के पूजन का महत्व और पूजा विधि।
चैत्र नवरात्रि पूरे उत्साह के साथ देशभर में मनाई जा रही है। आज नवरात्रि का चौथा दिन और इस दिन मां कूष्माण्डा की पूजा का विधान है। कूष्माण्डा तीन शब्दों से मिलाकर बना है, जिसमें 'कू' का अर्थ है लघु, 'ऊष्मा' का अर्थ है ऊर्जा एवं 'अण्डा' का अर्थ यहाँ अंडाकार से है। ऐसी मान्यता है कि मां दुर्गा ने अण्डाकार रूप में ब्रह्माण्ड की उत्पति की थी, इसलिए इन्हें कूष्माण्डा देवी कहा जाता है।
मां कूष्माण्डा का स्वरूप
देवी दुर्गा के नौ रूपों में चौथा रूप मां कूष्माण्डा का है। इन्हें देवी पार्वती का ही स्वरूप माना जाता है। मां कूष्माण्डा की 8 भुजाएँ हैं जो चक्र, गदा, धनुष, तीर, अमृत कलश, कमण्डल और कमल से सुशोभित हैं। माता शेर की सवारी करती हैं।
पूजा विधि
मां कूष्माण्डा के पूजन से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति मिलती है। नवरात्रि के चौथे दिन पूजा का विधान इस प्रकार है-
- मां कूष्माण्डा की पूजा से पहले कलश और उसमें विराजमान देवी-देवता, तीर्थों, नवग्रहों, ग्राम और नगर देवता आदि का पूजन करें।
- इसके बाद मां कूष्माण्डा का पूजन शुरू करें। सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर मां कूष्माण्डा का ध्यान करें।
- इसके बाद मां कूष्माण्डा का पंचोपचार पूजन करें और उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
- घी अथवा कपूर जलाकर मां कूष्माण्डा की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
ज्योतिषीय महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार कूष्माण्डा देवी सूर्य देव का मार्गदर्शन करती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने से कुंडली में सूर्य दोष का निवारण होता है।
नवरात्रि में धारण करें: नवदुर्गा कवच
नवरात्रि में धारण करें: नवदुर्गा कवच
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ! देवी दुर्गा की कृपा आप पर बनी रहे।
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