जानें स्कंदमाता को प्रसन्न करने की पूजा विधि! चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन आज स्कंदमाता की पूजा का विधान है। जानें स्कंदमाता की महिमा और मंत्र।
चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन आज स्कंदमाता की पूजा का विधान है। देवी के इस रूप के नाम का अर्थ, स्कंद मतलब भगवान कार्तिकेय/मुरुगन और माता यानि मां है, अतः इनके नाम का मतलब स्कंद की माता है।
स्कंदमाता का स्वरूप
नवरात्रि की पंचमी तिथि को देवी दुर्गा के पाँचवे रूप यानि स्कंदमाता पूजा की जाती है। स्कंद अर्थात कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। कहते हैं कि यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ माँ की उपासना करता है तो मां उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं।
पूजा विधि
स्कंदमाता के पूजन से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा का विधान इस प्रकार है-
- स्कंदमाता की पूजा से पहले कलश और उसमें विराजमान देवी-देवता, तीर्थों, नवग्रहों, ग्राम और नगर देवता आदि का पूजन करें।
- इसके बाद स्कंदमाता का पूजन शुरू करें। सबसे पहले अपने हाथ में एक फूल लेकर स्कंदमाता का ध्यान करें।
- इसके बाद स्कंदमाता का पंचोपचार पूजन करें और उन्हें लाल फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर अर्पित करें।
- घी अथवा कपूर जलाकर स्कंदमाता की आरती करें और अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इसलिए स्कंदमाता की पूजा पूरे विधि विधान से करने पर बुध ग्रह के सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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