चैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि कल, मॉं कालरात्रि की आराधना का दिन

पढ़ें मॉं कालरात्रि की पूजा के नियम! चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन मॉं कालरात्रि की पूजा का विधान है। इस लेख के माध्यम से जानें कल होने वाले पूजन का महत्व।


चैत्र नवरात्रि देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। कल सप्तमी तिथि है और नवरात्रि में इस दिन मॉं कालरात्रि की उपासना की जाती है। माँ कालरात्रि को शुभंकरी देवी भी कहा जाता है।

Click here to read in English

मॉं कालरात्रि का स्वरूप


माँ दुर्गा का सातवाँ रूप कालरात्रि के नाम से जाना जाता है, जो पापियों का नाश करने वाली हैं। माँ का यह अवतार बेहद ही आक्रामक माना जाता है और गदर्भ (गदहा) उनकी सवारी है। उनका स्वरूप बेहद ही भयभीत करने वाला है। उनका वर्ण घने अंधकार की तरह काला है और सिर पर बिखरे बाल हैं। इनकी लाल तीन आँखें बेहद ही डरावनी है। इनकी साँस से अग्नि उत्पन्न होती है। देवी की चार भुजाएँ हैं, दोनों दाहिने हाथ क्रमशः अभय और वर मुद्रा हैं, जबकि बाएँ दोनों हाथ में क्रमशः तलवार और खड़ग हैं। जिनसे वे असुरों का संहार कर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। भक्तों के द्वारा उनका नाम जपने मात्र से सारी बुरी शक्तियाँ दूर हो जाती हैं। 


मॉं कालरात्रि की पूजा के नियम


नवरात्रि के सातवें दिन मॉं कालरात्रि के पूजन का विधान है। मॉं कालरात्रि की पूजा दो प्रकार से होती है। इनमें एक सामान्य पूजा और दूसरी तंत्र पूजा है। उनकी पूजा से जुड़े नियम इस प्रकार हैं-

  • मॉं कालरात्रि की सामान्य पूजा नवरात्रि के पूर्व के दिनों की तरह कोई भी कर सकता है लेकिन तंत्र पूजा विद्वान पंडितों के दिशा-निर्देश में की जानी चाहिए।
  • मॉं काली की उपासना का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि में होता है।
  • शत्रु और विरोधियों को परास्त करने के लिए मॉं कालरात्रि की पूजा विशेष महत्व होता है। 
  • मॉं कालरात्रि की पूजा में लाल और काली वस्तुओं का विशेष महत्व है। 

शनि संबंधित परेशानियों के समाधान के लिए धारण करें: धतूरे की जड़


नवरात्रि में सातवें दिन का महत्व


नवरात्र का सातवाँ दिन माँ कालरात्रि को प्रसन्न करने का शुभ अवसर होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सप्तमी तिथि को पूर्ण विधि-विधान के साथ इस देवी की आराधना की जाती है। योगी और साधकों की सिद्धि के लिए भी यह दिन का अति महत्व है। इस दिन भक्त अपने पापों का प्रायश्चित कर सहस्रार चक्र को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। कहते हैं इस दिन की जाने वाली हरेक पूजा सिद्ध होती है। माँ का इतना भयावह रूप होने के बावजूद भी वह अपने भक्तों के लिए बहुत दयालु है। वह अपने भक्तों को हर बुराई से बचाती है। यदि भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ माँ की आराधना करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!

Related Articles:

No comments:

Post a Comment