चैत्र नवरात्रि अष्टमी-नवमी पूजन कल

जानें चैत्र नवरात्रि 2018 पारणा मुहूर्त और अष्टमी व नवमी पर होने वाले कन्या पूजन का महत्व, साथ ही पढ़ें रामनवमी पर होने वाले धार्मिक कर्म और पूजा विधि!


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चैत्र नवरात्रि में कल यानि 25 मार्च 2018 को अष्टमी और नवमी पूजन एक ही दिन किया जाएगा। दरअसल इस वर्ष नवमी तिथि का क्षय होने से 25 मार्च को ही अष्टमी और नवमी पर होने वाले धार्मिक कर्म किये जाएंगे। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी पर क्रमशः माता महागौरी और मॉं सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। माता महागौरी दयालु हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। वहीं मॉं सिद्धिदात्री अपने भक्तों को आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करती हैं और बुराइयों का नाश करके सदगुण प्रदान करती हैं। 

पढ़ें- माता महागौरी और मॉं सिद्धिदात्री की महिमा व मंत्र

नवरात्रि अष्टमी और नवमी पूजन 


नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के पूजन का बड़ा महत्व है। इस दिन होने वाली पूजा के साथ नवरात्रि का समापन होता है। अष्टमी और नवमी के पूजन का विधान कुल परंपरा के अनुसार किया जाता है इसलिए अष्टमी-नवमी की पूजा हर परिवार में अलग-अलग प्रकार से होती है। अतः इस दिन हमें अपनी कुल परंपरा के अनुसार मॉं की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 

कन्या पूजन का महत्व


नवरात्रि में कन्या पूजा का विशेष महत्व है और अष्टमी व नवमी पर विशेष रूप से कन्याओं की पूजा की जाती है। इस दिन 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन और उन्हें भोजन व दक्षिणा देना चाहिए। कन्या के रूप में मॉं दुर्गा के नौ रूपों के पूजन से मॉं प्रसन्न होती हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

  • कुमारी- वे बालिकाएँ जिनकी आयु दो वर्ष की होती हैं। उनका पूजन करने से दुःख और दरिद्रता का नाश होता है।
  • त्रिमूर्ति- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 3 वर्ष होती है। इनकी पूजा करने से पुत्र और पौत्र की प्राप्ति होती है।
  • कल्याणी- वे बेटियां जिनकी आयु 4 वर्ष तक होती है, उनका पूजन करने से विद्या और सुख-समृद्धि मिलती है।
  • रोहिणी- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 5 तक होती है। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है।
  • कालिका- वे कन्याएं जिनकी आयु 6 वर्ष होती है, उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है। 
  • चण्डिका- वे बालिकाएँ जिनकी आयु 7 वर्ष होती है। इनके पूजन से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
  • शाम्भवी- वे कन्याएँ जिनकी आयु 8 वर्ष होती है, उनके पूजन से हर क्षेत्र में विजय और सफलता मिलती है।
  • दुर्गा- 9 वर्ष की उम्र की कन्याओं का पूजन दुर्गा के रूप में किया जाता है। इनकी पूजा के प्रभाव से परलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है।
  • सुभद्रा- 10 वर्ष की आयु वाली कन्याओं को सुभद्रा के रूप में पूजा जाता है। इनके पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है।


रामनवमी


कल भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी भी मनाई जाएगी। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। रामनवमी के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।


नवरात्रि पारणा 


चैत्र नवरात्रि की पारणा चैत्र शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाली नवरात्रि के बाद अगले दिन पारणा के उपरांत व्रत का समापन किया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विसर्जन, पूजन और दान-दक्षिणा के बाद भोजन ग्रहण करना चाहिए।


एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को सुखद और सफल जीवन की शुभकामनाएँ!

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