अधिक अनुकूल नहीं है भारतवर्ष की यह वर्षकुण्डली

पंडित हनुमान मिश्रा

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15 अगस्त 2013 को अपने भारत देश को आज़ाद हुए 66 साल हो जाएंगे। यानी कि भारत 67वें साल में प्रवेश कर जाएगा। इन सालों में भारत कुछ विशेष उपलब्धियां तो हाशिल नहीं कर पाया। हालांकि यहां के राजनेता अपनी पीठ थपथपाने के लिए भले ही बड़ी-बड़ी डीगें मार रहें हो पर सच्चाई हम सब को मालुम है। मुझे भी याद है जब मैं छोटा था स्कूल जाता था, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अध्यापकों के निर्देशानुसार देशप्रेम के गीत गाता था - “अपनी आज़ादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं”। लेकिन अब बड़े हो गए, लाली पॉप की आदत छूट गई, आज़ादी के सही मायने समझ में आने लगे तो कभी-कभी ये विचार आते हैं कि क्या वास्तव में यही आज़ादी है कि किसानों के इस देश में टमाटर 100 रुपए किलो मिले और देश के नेता बोलें कि देश के महानगरों में भी 1 रुपए से लेकर 5 रुपए में भरपेट खाना खाया जा सकता है। देश के लोगों को पीने को शुद्द पानी नहीं, रहने को घर नहीं, सही शिक्षा नहीं, काम धंधा नहीं, आम आदमी सुरक्षित नहीं, क्या यही आज़ादी है, क्या इसी आज़ादी के लिए हमने गीय गाया था कि….. अपनी आज़ादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं। यदि यही आज़ादी है तो हम इसे जरूर मिटाना चाहेंगे। क्योंकि मेरी नज़र में ये गंदगी के सिवा कुछ भी नहीं है। और ये गंदगी भारत की कुण्डली के लग्न भाव में बैठे राहु ग्रह के कारण हैं। इसके बारे में हम हमेशा से कहते आए हैं इसी राहु के कारण भारत से भ्रष्टाचार और गंदगी को हटाना बहुत मुश्किल होगा। इस देश को आतंकवाद मुक्त करा पाना भी बहुत मुश्किल होगा।

जैसा कि आप आज़ाद भारत की कुण्डली में देख सकते हैं। लग्नेश शुक्र तीसरे भाव में कई ग्रहों के साथ स्थिति है। वह अस्त भी है, लग्न पर राहु स्थित है। लग्न और लग्नेश पर किसी भी शुभ ग्रह का प्रभाव नहीं है। जाहिर से बात है इस देश की स्थिति कागजों कर तो मजबूत दिख सकती है लेकिन वास्तविकता इससे परे होगी। देश में कभी भी एक पार्टी का शासन नहीं होगा क्योंकि लग्न और लग्नेश पर लगभग सभी ग्रहों का प्रभाव है। लग्नेश शुक्र, चन्द्रमा, बुध, सूर्य और शनि के साथ स्थित है। लग्न पर राहु है और केतु की दृष्टि है। बचे बृहस्पति और मंगल, तो बृहस्पति केतु के उपनक्षत्र में है और केतु सप्तम से लग्न को देख रहा है तथा मंगल राहु के नक्षत्र में है और राहु लग्न पर ही स्थित है। जाहिर सी बात है बहुत से पुजारियों के हो जाने पर मंदिर का विनाश हो जाता है वाली कहावत यहां भी चरितार्थ होगी।

यानी कि जो भी आएगा देश को खोखला कर अपना पेट भरना चाहेगा। हां ये बात अलग है कि कुछ ऐसे ग्रह है जिन पर राहु का नकारत्मक प्रभाव होने के बाद भी वो कुछ अच्छे अच्छे परिणाम दे सकते हैं उनमे से शुक्र और बृहस्पति प्रमुख हैं। शुक्र यानि कि कोई स्त्री, क्योंकि शुक्र लग्नेश है अत: स्त्री को भारतीय होना चाहिए, उसके माता-पिता भी भारतीय होने चाहिए और उसका जन्म भी भारत में हुआ होना चाहिए। दूसरा बृहस्पति यानी कि धर्म और संस्कृति को विधिवत समझने और मानने वाला व्यक्ति। यहां धर्म का अभिप्राय राष्ट्र धर्म से भी है। लेकिन भारत में ऐसे व्यक्ति की चर्चा करना भी गुनाह माना जाता है। तथाकथित सेक्युलर बखेड़ा खड़ा कर देंगे। अब मेरा काम तो केवल बताना है सो मैंने बता दिया अब देश के कर्णधार क्या करते हैं यह तो वक्त ही बताएगा। तो आइए वक्त से जाना जाय की 15 अगस्त 2013 से 15 अगस्त 2014 तक का समय भारत वर्ष के लिए कैसा रहेगा?

लग्नेश मंगल तीसरे भाव में गुरु के साथ मतलब जनता में उत्साह और जनता धर्म, संस्कृति और ऊर्जा को प्राथमिकता देना चाह रही है। लेकिन लग्न पर केतु मतलब जनता को कष्ट और उसका शोषण। चतुर्थ में सूर्य शनि से दृष्ट मतलब अंतरकलह और बच्चों को कष्ट। शुक्र छठे में सप्तम में शनि-राहु मतलब स्त्रियों को पीड़ा। यानी जनभावना को छोड़ सभी चीजें नकारात्मक।

आइए अब मुंथा की बात की जाय। इस वर्ष मुंथा अष्टम भाव में स्थित है अत: पड़ोसी राष्ट्र चोरी छिपे हमारे देश में सेंध लगाने की कोशिश करेंगे। देश के अंदर धर्म और धन का नाश करने वाली स्थितियां निर्मित होंगी। कोई महामारी फ़ैलने से भी जन धन की हानि हो सकती है। विदेशों से सम्बंध बिगड़ेगे। व्यापार व्यवसाय के अवसर कमजोर होंगे। कुछ बड़ी दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं।

आइए अब वर्षदशा के अनुसार भारत का वर्षफल जान लिया जाय…..

१४ अगस्त से ११ अक्टूबर तक शुक्र की वर्षदशा का प्रभाव रहेगा जो कि छठे भाव में है अत: पड़ोसी राष्ट्रों से सम्बंध बिगड़ेगे उनमें से चीन और पाकिस्तान प्रमुख रह सकते हैं। उनकी ओर से घुसपैठ होने की सम्भावना बन रही है। नेताओं में आपसी आरोप प्रत्यारोप गरमाएगा। स्त्रियों को कष्ट रह सकता है।

११ अक्टूबर से ३० अक्टूबर तक सूर्य की दशा रहेगी जो कि चतुर्थ भाव में है अत: आंतरिक कलह जोरों पर होगी जनता कष्ट का अनुभव करेगी। कृषि और पशुओं को नुकसान होगा। बेरोजगारी भी लोगों की परेशानी का मुद्दा बनेगी।

३० अक्टूबर से २९ नवम्बर तक चन्द्रमा की दशा रहेगी जो कि अष्टम भाव में है अत: बुखार तथा जल से सम्बंधित बीमारियां लोगों को पीड़ित करेंगी। क्षेत्रवाद की परेशानियां उभर सकती हैं।

२९ नवम्बर से २० दिसम्बर तक मंगल की दशा रहेगी और मंगल दूसरे भाव में स्थित है अत: उद्योग धंधों को प्रभावित करने वाली स्थितियां निर्मित होंगी। देश में कहीं कहीं पर दंगे फसाद होने का भय रहेगा लेकिन पड़ोसी राष्ट्रों को हम मुंह तोड़ जवाब देने में समर्थ होंगे।

२० दिसम्बर से १३ फरवरी तक भारत पर राहु की दशा का प्रभाव रहेगा, राहु सप्तम भाव में है अत: विमान या ट्रेन दुर्घटनाओं का भय निर्मित होगा। स्त्रियों पर अत्याचार बढ़ने की सम्भावनाएं हैं।

१३ फ़रवरी से ०३ अप्रैल तक भारत पर गुरु की दशा का प्रभाव रहेगा और वर्षकुण्डली में गुरु छठे भाव में है अत: लोगों में असंतोष तो रहेगा लेकिन धन धान्य में अपेक्षाकृत बढ़ोत्तरी से लोगों को कुछ राहत मिलती नज़र आएगी। धर्म और संस्कृति को लेकर लोग जागरुक होंगे।

०३ अप्रैल से ३१ मई तक सप्तम भाव में स्थित शनि की दशा का प्रभाव रहेगा। अत: जनता में असंतोष बड़ी मात्रा में व्याप्त रहेगा। फलस्वरूप जनता का रुख शासन प्रशासन के विरुद्ध हो सकता है।

३१ मई से २१ जुलाई तक चतुर्थ भाव में स्थित बुध के प्रभाव के कारण लोगों को थोड़ी राहत मिलती नज़र आएगी। देश के कई मामलों कें उलटफेर सम्भव है। कई उच्चाधिकारियों के तबादले हो सकते हैं।

२१ जुलाई से १२ अगस्त तक प्रथम भाव में स्थित केतु के प्रभाव के कारण जनता को कष्ट सम्भव है। देश में कुछ विरोधी ताकतें सक्रिय होने का प्रयास करेंगी।

१२ अगस्त से से १५ अगस्त तक छठे भाव में स्थित शुक्र की दशा का प्रभाव रहेगा अत: विषम परिस्थितियों पर अंकुश पाने का प्रयास रंग लाएगा और स्थितियां बेहतर होंगी।

यानी सारांश यह है कि लगभग मई के महीने तक देश को काफी उथल पुथल का सामना करना पड़ेगा इसके बाद स्थितियां थोड़ी सी बेहतर होंगी। यानी यह साल भारतवर्ष के लिए अधिक अनुकूल नहीं रहेगा।

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