मुश्किल राहें मोदी की


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नमो नमों की चर्चा लगभग पूरे भारत में चल रही हैं कोई इनके नाम का गुणगान करने वाला एलबम बना रहा है तो कोई उन गीतों को अपनी रिंगटोन। कोई नरेन्द्र मोदी पर पूरी फ़िल्म बनाने की ही सोच रहा है। वो भी ऐसी दशा में जब उनकी दशा चन्द्रमा में राहु की हो। थोड़ा सा आश्चर्य होता है न? क्योंकि आम तौर पर यह कहा जाता है कि चन्द्र-राहु या राहु-चन्द्र की दशा अच्छे फ़लों को देने में कमजोर होती है, ऐसी दशा में अपयश मिलता है आदि आदि। लेकिन इस मामलें में तो अपयश की जगह यश की प्राप्ति हो रही है। इससे यह साबित होता है कि ग्रह सदैव अपने स्वभाव वश फल नहीं देते बल्कि राशि और स्थान के अनुसार भी फल देते हैं।

वृश्चिक लग्न और कर्क नवांश में जन्में नरेन्द्र मोदी को भावी प्रधान मंत्री के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत कर दिया गया है लेकिन क्या इनकी राह कितनी आसान होगी यह तो समय ही बताएगा। परन्तु ग्रहों के इशारे इस मामले में क्या हैं आइए जानते हैं:-

जन्म कुंडली


वर्ष कुंडली

कहा गया है कि चन्द्रमा में राहु की दशा में मानसिक कष्ट,शत्रु से पीड़ा, उत्साह हीनता और कार्यक्षेत्र में हानि होती है। लेकिन यह नियम हर जगह लागू करना या कराना न्यायसंगत नहीं होगा। मोदी की कुण्डली में चन्द्रमा नीच का शनि के नक्षत्र में है और शनि दसम भाव में है। राहु भी गुरु की राशि और शनि के नक्षत्र में है अत: इन पर दसम भाव का जबरजस्त प्रभाव है। यहीं कारण है कि यह दशा इनके कार्यक्षेत्र को को एक नई दशा देने वाली साबित होने वाली है। यानी सामान्य तौर पर भले ही यह दशा प्रतिकूल दिख रही हो लेकिन वास्तविकता में यह दशा उत्साह वर्धन और कार्यक्षेत्र के लिए अनुकूलता दे रही है।

आइए अब वर्षफल पर भी चर्चा कर ली जाय। वर्षकुण्डली सूर्य के अंशो के आधार पर बनाई जाती है। 17 सितम्बर 2013 दोपहर 3 बजकर 24 मिनट और 15 सेकेण्ड पर सूर्य उसी डिग्री पर आया जिस डिग्री पर मोदी के जन्म के समय था। उस समय धनु लग्न, कन्या नवांश और वृष के दशांश का उदय हो रहा है। मोदी की कुण्डली में धनु राशि दूसरे भाव में है, जबकि कन्या राशि लाभ भाव में है वहीं वृषभ राशि सप्तम भाव में है। दूसरा भाव धन का, ग्यारहवां लाभ का तथा सप्तम भाव पद का होता है। अत: वर्ष कुण्डली भी मोदी की मनोकामनाओं की पूर्ति दर्शा रही है।

वर्षेश बुध लाभ भाव में है जो वर्तमान में मूल त्रिकोण के अंशों में है। यदि यह उच्च के अंशो का होता तो राह अधिक आसान होती लेकिन 18-19 डिग्री का होने के कारण यह मूल त्रिकोण के अंशों में है अत: राहें इतनी आसान नहीं होगी जितना को नजर आ रही हैं। फ़िर भी यह दशा मोदी को आने वाली परीक्षाओं में सफलता दिलाती जाएगी। अपने इस दायित्त्व का निर्वहन करने में मोदी सफ़ल रहेंगे।

तीसरे भाव की मुंथा भी इन्हें यश और विजय दिलाने का संकेत कर रही है। लेकिन मुंथा शनि की राशि कुंभ में है। अत: यहां भी संकेत मिल रहा है कि राहें इतनी आसान नहीं होगी जितना को नजर आ रही हैं। लेकिन मुंथेश शनि लाभ भाव में है अत: लाभ अवश्य मिलेगा।

सारांश यह है कि मोदी के आने से उनकी पार्टी को जोश और दिशा तो मिली ही है साथ ही वह पहले से बेहतर स्थिति में होगी। मोदी के आने से कुछ नए राजनैतिक समीकरण बनेंगे और वे राजनैतिक दल भी भाजपा को समर्थन देंगें जिनसे भाजपा को कम उम्मीदें थीं। फ़िर भी मेहनत और कड़ी मेहनत और बेहतर कार्य शैली अपनाने की जरूरत बनी रहेगी। यानी कि लक्ष्य उत्तम लेकिन राह कठिन है। लोगों की उम्मीद रंग लाएगी ऐसा इशारा मोदी की कुण्डली और वर्ष कुण्डली भी कर रही हैं। ऐसे में जनता और मोदी के इरादों तथा ग्रहों के इशारों को देखकर तो यही कहना उचित होगा कि “मुश्किल नहीं है कुछ भी, अगर ठान लीजिए”।

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5 comments:

  1. Panditji 8th nos ki rashi yaani vrischika lagan mesh kaise ho gaya??????????. Toh phirse calculate karnapadega poora phalit.

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  2. 8th rasi is vrischika how come lagna is showing mesha?????

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  3. Jb sayan kundli se vichaar kiya jata hai to bhavesh badal jaate he-n.
    Niryana ke 6°se km ansho wale planets ki position sayana mein,…niryan se different rehti he-n,
    21March & 21sept. Ko day-neight ka equal hona bhi SAYAN ko corect proved krta hai,
    Hme Sayayan ke saath niryana ke mixture phlaadesho pr vichaar krna chahiye.
    bhav isthit phlaadesh k.p.se bhi krna better hai,
    ………………H.N.Katwe ke anusaar Gochar planets, jb birth-planets se ho kr guzarte he-n, …ya 180°se guzate he-n,to apna special phal dete he-n,…for more disscusion contrect om~ramzan.m118@gmail.com

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  4. Mishra Ji what you want to predict? Any one who is having a look at daily news papers and TV news can safely say that no one will have a cakes walk in forthcoming elections. Also no party can form government with out external support. It appears that either you are afraid of putting up the things according to planets and Namo's kundli or much more influenced by the political environment currently prevailing in the country. If you wish to know the astrological view read my article on this issue in Aryabhatt Panchangam. you are also welcome to call me on 09574337962

    28 October 2013 19:05

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  5. सभी ग्रहो के अपने अपने उपग्रह होते है जो की अप्राकशित होते है इन सभी नौ ग्रहों में से सबसे अधिक महत्व शनि का उपग्रह गुलिक रखता हैं. गुलिक को मांदि के नाम से भी जाना जाता है. जन्म कुंडली की विभिन्न गणनाओं में इसका अपना स्वतंत्र रुप से महत्वपूर्ण स्थान है. कुंडली में यह अत्यधिक अशुभ फल प्रदान करने में सक्षम होता है. गुलिक का उपयोग बच्चे के जन्म के समय संशोधन में भी किया जाता है. इस उपग्रह की अपनी राशि कुंभ को माना गया है. गुलिक की उच्च अथवा नीच राशि के विषय में कहीं कोई भी वर्णन नहीं मिलता है.विभिन्न भावों में गुलिक के होने के निम्नलिखित फल इस प्रकार से हैं :-

    प्रथम भाव में गुलिक का फल –
    ज्योतिषियों ने लग्न में गुलिक के फलों को शुभ नहीं माना है. यदि किसी जातक की जन्म कुंडली के लग्न में ही गुलिक स्थित है तब ऎसा व्यक्ति गलत संगत में पड़कर चोरी कर न सीख सकता है. ऐसा व्यक्ति किसी के सामने कुछ भी बोल देता है।

    दूसरे भाव में गुलिक का फल –
    जब गुलिक किसी व्यक्ति की कुंडली में दूसरे भाव में होगा तो वो ज्यादा सुन्दर नहीं दिखेगा। ऐसा व्यक्ति अपनी जिंदगी से दुखी रहता है, मतलबी होता है इसे किसी की कोई लाज नहीं होती है और ना ही इसे किसी से लड़ने में ही कोई हिचक अथवा झिझक ही होती है।

    तीसरे भाव में गुलिक का फल –
    जन्म लग्न के तीसरे भाव में गुलिक अथवा मांदि के स्थित होने पर व्यक्ति अत्यधिक आकर्षक होता है. ऎसा व्यक्ति अपने गाँव अथवा समाज का मुखिया होता है।यह सदाचार का पालन करने वाला व सदगुणों से युक्त होता है।ऐसा व्यक्ति हर प्रकार से धन कमाने में खुद को व्यस्त रखता है।

    चतुर्थ भाव में गुलिक अथवा मांदि का फल –
    चतुर्थ भाव में गुलिक का फल शुभ नहीं माना गया है क्योकि इस भाव में गुलिक की उपस्थिति से व्यक्ति अस्वस्थ रहता है। इसे वात संबंधी विकार और पित्त संबंधी रोग होने की संभावना अधिक रहती है।

    पंचम भाव में गुलिक का फल –
    जन्म कुंडली के पंचम भाव में गुलिक के होने से व्यक्ति बहुत ज्यादा सराहनीय नहीं होता है. यह गरीब होता है, जीवनचक्र भी औसत ही रहता है. यह स्वार्थी किस्म के व्यक्ति होते हैं जिन्हें अपने ही बारे में सभी कुछ पता होता है।

    छठे भाव में गुलिक का फल –
    जिन जातको की जन्म कुंडली के छठे भाव में गुलिक स्थित होती है, उनके शत्रुओं की संख्या ना के बराबर रहती है. यह अपने सभी शत्रुओं को पराजित करते हुए आगे बढ़ते हैं. शारीरिक रुप से बली व मजबूत होता है और मजबूत अंगों वाला होता है.

    सप्तम भाव में गुलिक का फल –
    सप्तम भाव में गुलिक के स्थित होने से व्यक्ति का विवाह देरी से संपन्न होता है और कुछ व्यक्ति ऎसे भी होते हैं जिनके दो विवाह होते हैं. ऎसे व्यक्ति का जीवनसाथी सामान्यत: नौकरी करने वाला होता है और वह एक अच्छे साधन संपन्न परिवार से संबंधित होता है.

    अष्टम भाव में गुलिक का फल –
    अष्टम भाव में गुलिक की स्थिति से व्यक्ति सदा भूख के कारण परेशान रहता है. ऎसा व्यक्ति दीन व दुखी रहता है, यह निर्दयी भी होता है और इसे अत्यधिक क्रोध आता है. इसका हृ्दय बहुत कठोर होता है और दया भाव का अभाव रहता है. इसके पास बहुत अधिक मात्रा में धन नहीं होता है और अच्छे गुणों से यह विहीन होता है.

    नवम भाव में गुलिक का फल –
    जिनके जन्म कुंडली के नवें भाव में गुलिक स्थित होती है वह जीवन में बहुत सी कठिनाईयों का सामना करते हैं. यह क्षीण होते हैं और बुरे कामों को करने की ओर ही इनकी प्रवृति रहती है. यह दया भावना कम ही रखते हैं और इनकी बुद्धि भी दुष्टता की ओर रहती है.

    दशम भाव में गुलिक का फल –
    दशम भाव में गुलिक के होने के फल को अच्छा बताया गया है. इसके प्रभावस्वरुप व्यक्ति पुत्र संतान प्राप्त करता है. सदा प्रसन्न रहता है, ऎसा व्यक्ति बहुत सी चीजों का उपभोग करते हुए आनंद लेता है.ऎसे व्यक्ति के भीतर बहुत ही श्रद्धा भाव होता है और ईश्वर में पूर्ण आस्था रखने वाला होता है.

    एकादश भाव में गुलिक का फल –
    जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के एकादश भाव में गुलिक स्थित होती है वह अपने आदमियों का नेता होकर उनका नेतृत्व करता है. ऎसा व्यक्ति अपने रिश्तेदारों के कामों को कराने में सदा व्यस्त रहता है. इसकी कद काठी मध्यम स्तर की होती है और यह अपने क्षेत्र का सम्राट होता है.

    द्वादश भाव में गुलिक का फल –
    जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली के द्वादश भाव में गुलिक स्थित होता है वह व्यक्ति निचले स्तर के कामों में ज्यादा लिप्त रहते हैं. ऎसे व्यक्ति अंगहीन भी हो सकते हैं और यह गलत कामों को करने की भी प्रवृति रखते हैं.

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