अक्षय तृतीया पर करें ये महाउपाय, दान-धर्म से होगी अक्षय फल की प्राप्ति , अक्षय तृतीया को क्यों कहा जाता है सर्व सिद्ध मुहूर्त। इस लेख के माध्यम से जानें अक्षय तृतीया का धार्मिक और ज्योतिष महत्व।
अक्षय तृतीया, वैशाख माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं। पुरातन मान्यता के अनुसार इस दिन दान, धर्म और पितृ श्राद्ध करने का बड़ा महत्व है। अक्षय तृतीया के अवसर पर जो भी कार्य किया जाता है उसका अक्षय यानि कभी ना नष्ट होने वाला फल मिलता है। मान्यता है कि सतयुग और त्रेता युग का प्रारंभ इसी तिथि से हुआ था। इसके अलावा इस दिन को भगवान परशुराम के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज भी कहा जाता है। वर्ष 2017 में अक्षय तृतीया 28 अप्रैल को मनाई जा रही है।
अक्षय तृतीया का पूजा मुहूर्तः
दिनाँक
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प्रारंभ
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समापन
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अवधि
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28 अप्रैल, 2017
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10:31:19 बजे
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12:18:56 बजे
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1 घंटे 47 मिनट
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नोटः उपरोक्त समय केवल नई दिल्ली (भारत) के लिए है।
अक्षय तृतीया का महत्व
अक्षय तृतीया को सर्वसिद्ध मुहूर्त कहते हैं। अतः इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य जैसे- विवाह, गृह प्रवेश आदि किए जा सकते हैं। पुराणों में ऐसा वर्णन है कि अक्षय तृतीया के दिन पितरों को किया गया पिण्डदान अक्षय फल प्रदान करता है। साथ ही कहा जाता है कि इस पावन दिन पर गंगा स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। स्वर्ण की ख़रीदारी के लिए भी इस दिन को अति शुभ माना जाता है।
धार्मिक महत्व
अक्षय तृतीया को चन्दन मिश्रित जल तथा मोदक के दान से ब्रह्मा तथा सभी देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन अन्न-वस्त्र-भोजन-सुवर्ण और जल आदि का दान करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती है। इस तिथि को जो उपवास करता है वह धन-धान्य और ऐश्वर्य से सम्पन्न हो जाता है।
अक्षय तृतीया पर करें ये धार्मिक कर्मः
- यदि अक्षय तृतीया के दिन गजराज (हाथी) की पूजा की जाए तो जीवन में धन एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
- वहीं इस पावन दिन पर अश्व यानी घोड़े की आराधना करने से मनुष्य को सुख-शांति मिलती है।
- गाय को अच्छे स्वास्थ्य एवं धन-संपदा का प्रतीक माना जाता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन गाय की पूजा करनी चाहिए।
- जीवन में धन, वैभव, सुख-संपदा को पाने के लिए इस दिन माँ लक्ष्मी जी की आराधना की जाती है।
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पौराणिक कथाएँ
- परशुराम जयंती
भगवान परशुराम जी का जन्म अक्षय तृतीया पर हुआ था। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं। कहा जाता है कि प्रारंभ में परशुराम जी का नाम रामभद्र था परंतु असुरों के चंगुल से माताओं व देवियों को छुड़ाने एवं दुष्टों का संहार करने के लिए भगवान शिव ने उन्हें परशु नामक शस्त्र दिया था, जिसके कारण उनका नाम परशुराम पड़ा।
- महाभारत
अक्षय तृतीया के पावन पर्व का वर्णन महाभारत में भी आता है। ऐसा कहा जाता है कि सतयुग का प्रारंभ अक्षय तृतीया के दिन से ही हुआ था। इसके अलावा महाभारत जैसे विशाल पौराणिक ग्रंथ के लेखन की भी शुरुआत इसी पवित्र दिन से हुई थी। भगवान सूर्य ने अक्षय तृतीया के दिन ही पाण्डवों को अक्षय पात्र भेंट किया था।
- ज्योतिष महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार एक वर्ष में साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त आते हैं, उनमें से अक्षय तृतीया को सबसे उत्तम और शुभ माना गया है। यह तिथि वैसाख माह में पड़ती है। कहा जाता है कि इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा का प्रकाश अपने चरम पर होता है, जो समस्त मंगल कार्यों के लिए बहुत शुभ समय होता है।
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हम उम्मीद करते हैं कि हमारा यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से अक्षय तृतीया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं !
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