गुरु का वृश्चिक राशि में गोचर आज

5 राशि वाले लोगों के बदल जाएंगे दिन! पढ़ें गुरु के वृश्चिक राशि में होने वाले गोचर का असर और जानें आपके जीवन पर क्या होगा इसका असर?


वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है। देवताओं के गुरु होने की वजह से उन्हें देवगुरु बृहस्पति भी कहा जाता है। बृहस्पति को धर्म, दर्शन, विद्या, संतान और विवाह आदि का कारक कहा गया है। 

11 अक्टूबर 2018, गुरुवार को रात्रि 08:39 पर बृहस्पति ग्रह वृश्चिक राशि में गोचर करेगा और 30 मार्च 2019, शनिवार रात्रि 3:11 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। 

गुरु का गोचर वृश्चिक राशि में होने से देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिलेगा। इस दौरान कृषि उत्पादन में कमी, नवंबर के महीने में महंगाई विशेष रूप से अधिक हो सकती है। सोना, चांदी, गुड़, सफेद वस्त्र आदि वस्तुओं के भाव में उछाल देखने को मिलेगा। इसके अतिरिक्त वृश्चिक राशि में पहुंचकर गुरु अन्य सभी राशियों को विभिन्न तरह के फल प्रदान करेगा। आइये जानते हैं सभी 12 राशियों पर क्या होगा गुरु के गोचर का असर।


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


देव गुरु बृहस्पति का वृश्चिक राशि में होने वाला गोचर मेष राशि वाले जातकों के लिए अधिक अनुकूल नहीं दिखाई दे रहा है। गुरु का गोचर आपकी राशि से अष्टम भाव में होगा। वैदिक ज्योतिष में आठवें भाव से आयु, अपमान और दुःख आदि के बारे में विचार किया जाता है। गुरु के अष्टम भाव में स्थित होने से मेष राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति थोड़ी गड़बड़ा सकती है। इस दौरान आय कम होगी और खर्च अधिक होंगे, साथ ही कर्ज का भय भी बना रहेगा। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी गुरु का गोचर आपके लिए परेशानी उत्पन्न कर सकता है। इस वजह से किसी बीमारी का भय बना रह सकता है। गुरु का अष्टम भाव में स्थित होना पारिवारिक जीवन के लिए अधिक अनुकूल नज़र नहीं आ रहा है। इसके फलस्वरुप घरेलू उलझनें बढ़ सकती हैं।

उपाय: अपने मस्तक पर प्रतिदिन केसर का तिलक लगाएं।

वृषभ


धर्म, दर्शन, ज्ञान और संतान के कारक कहे जाने वाले देव गुरु बृहस्पति आपकी राशि से सप्तम भाव में गोचर करेंगे। कुंडली में सप्तम भाव से जीवनसाथी, वैवाहिक जीवन, व्यापार और सम्मान आदि के बारे में विचार किया जाता है। गुरु के सप्तम भाव में स्थित होना वृषभ राशि वाले जातकों के लिए अत्यंत शुभ रहने की संभावना है। तमाम अड़चन और कड़े परिश्रम के बाद इस अवधि में गुरु की कृपा से आपके कार्य सिद्ध होंगे और आपको सफलता प्राप्त होगी। आर्थिक मामलों के लिए भी यह समय बेहतर रहने वाला है। क्योंकि इस दौरान धन लाभ के प्रबल योग बनेंगे। गुरु की कृपा से इस अवधि में भाग्य भी आपका साथ देगा और आप तरक्की करेंगे। गुरु के गोचर की इस समय अवधि में आप किसी तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं।

उपाय: बृहस्पतिवार के दिन चने की दाल तथा हल्दी किसी ब्राह्मण को दान करें। 

मिथुन


गुरु आपकी राशि से षष्ठम भाव में गोचर करेंगे। ज्योतिष में छठे भाव से कष्ट, शत्रु, कर्ज, दुःख, प्रतिस्पर्धा आदि बातों का विचार किया जाता है। यह भाव सामान्यतः कष्टों को दर्शाता है इसलिए इस भाव में गुरु का गोचर प्रतिकूल नज़र आ रहा है। इसके फलस्वरुप मिथुन राशि के जातकों को रोग या किसी बीमारी से परेशानी हो सकती है। इस अवधि में विरोधी और शत्रु पक्ष भी आपको परेशान कर सकता है और उनसे आपको भय रह सकता है। पारिवारिक जीवन में प्रियजनों के साथ मतभेद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है इसलिए धैर्य से काम लें। गुरु का गोचर छठे भाव में होने से आर्थिक स्थिति थोड़ी बिगड़ सकती है। इस दौरान खर्च अधिक होने की संभावना है, इसलिए फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखें।

उपायः यथा-संभव किसी ब्राह्मण को सात्विक भोजन कराएं। 

कर्क


देव गुरु आपकी राशि से पंचम भाव में गोचर करेंगे। कुंडली में पांचवे भाव से प्रथम संतान, खुशियां, सामाजिक जीवन, पूर्व जन्म के कर्म आदि देखे जाते हैं। गुरु का पंचम भाव में स्थित होना कर्क राशि के जातकों के लिए शुभ फल देने वाला होगा। इस अवधि में भूमि और वाहन सुख की प्राप्ति की प्रबल संभावना है, अतः आप कोई जमीन और नया वाहन खरीद सकते हैं। वे जातक जो उच्च शिक्षा में अध्यनरत हैं उन्हें कोई बड़ी सफलता मिल सकती है। वहीं वे जातक जो अविवाहित हैं वे लोग इस अवधि में शादी के बंधन में बंध सकते हैं। गुरु के गोचर की इस समय अवधि में आपके संपर्क समाज के गणमान्य लोगों से होंगे और इन संपर्कों की बदौलत आपको लाभ की प्राप्ति होगी।

उपायः बृहस्पतिवार को व्रत रखें तथा एक समय पीले रंग का मीठा भोजन करें। 

सिंह


गुरु का गोचर आपकी राशि से चतुर्थ भाव में होगा। कुंडली में चौथे भाव से वाहन, अचल संपत्ति, माता और सुख-सुविधा आदि के बारे में विचार किया जाता है। गुरु का चौथे भाव में स्थित होना सिंह राशि के जातकों के लिए ज्यादा अनुकूल प्रतीत नहीं हो रहा है। इस अवधि में व्यर्थ की दौड़ भाग होने से परेशानी बढ़ेगी। खर्च अधिक होने से आर्थिक पक्ष भी थोड़ा कमजोर रह सकता है इसलिए खर्चों पर नियंत्रण रखने की जरुरत होगी। धन हानि होने की भी संभावना है। इस अवधि में वाहन संभलकर चलाएँ, क्योंकि दुर्घटना की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। चोट या दुर्घटनाग्रस्त होने का भय बना रह सकता है इसलिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरुरत होगी।

उपाय: अपने पितरों तथा पूर्वजों की पूजा करें और उनके निमित्त कुछ दान करें। 

कन्या


बृहस्पति आपकी राशि से तृतीय भाव में गोचर करेंगे। कुंडली में तीसरे भाव से भाई-बहन, लंबी दूरी की यात्राएँ, पड़ोसी, रिश्तेदार और लेखन आदि मामलों का विचार किया जाता है। गुरु का तीसरे भाव में स्थित होना कन्या राशि के जातकों के लिए ज्यादा अनुकूल नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि इस अवधि में आय कम होने से परेशानी बढ़ेगी, साथ ही अचानक कोई बड़ा खर्च सामने आ सकता है, इसलिए आर्थिक मामलों में थोड़ा संभलकर चलना होगा। इस दौरान शारीरिक कष्ट होने की भी संभावना है, इसलिए स्वयं का ध्यान रखें। पारिवारिक जीवन में उलझने बढ़ने से तनाव बढ़ सकता है, अतः धैर्य से काम लें। अच्छी बात है कि स्त्री पक्ष से सुख पहले की भांति मिलता रहेगा।

उपाय: बृहस्पतिवार के दिन पीपल वृक्ष को छुए बिना उसकी जड़ों में जल चढ़ाएं। 

तुला


गुरु का गोचर आपकी राशि से द्वितीय भाव में होगा। कुंडली में द्वितीय भाव से धन, संपत्ति, परिवार और प्रारंभिक शिक्षा आदि बातों के बारे में जाना जाता है। बृहस्पति का द्वितीय भाव में स्थित होना तुला राशि के लिए अत्यंत शुभ होगा। इस अवधि में लंबी दूरी की यात्राओं के योग बनेंगे और ये यात्राएँ आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगी। आर्थिक दृष्टि से भी यह गोचर आपके लिए लाभकारी होगा। क्योंकि इस दौरान धन लाभ होने की प्रबल संभावनाएँ बनेंगी। इस अवधि में धार्मिक कार्यों के प्रति रुचि बढ़ेगी और आप शुभ कार्यों पर धन खर्च करेंगे। देव गुरु की कृपा से आपके संपर्क समाज के प्रतिष्ठित लोगों से होंगे और आपको इन लोगों की मदद से लाभ की प्राप्ति होगी।

उपाय: बृहस्पतिवार के दिन पीले रंग का कपड़ा, केले तथा हल्दी का दान करें। 

वृश्चिक


देवगुरु बृहस्पति का गोचर आपकी राशि में हो रहा है। गुरु आपके प्रथम भाव में स्थित होंगे। ज्योतिष में प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहा जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, आयु, यश और मान-सम्मान आदि का बोध होता है। गुरु का लग्न भाव में स्थित होना शुभ माना गया है। हालांकि यहां स्थित गुरु संघर्ष कराता है लेकिन परिश्रम के बाद शुभ फल प्रदान करता है। गुरु के गोचर की इस अवधि में वृश्चिक राशि के जातकों को हर क्षेत्र में अपने परिश्रम का उत्तम फल मिलेगा। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, धन लाभ होने से प्रसन्नता होगी। गुरु की कृपा से सभी कार्य सिद्ध होंगे और सफलता प्राप्त होगी। 

उपाय: भगवान विष्णु की उपासना करें और उन्हें पीले रंग के पुष्प और पीली मिठाई का भोग लगाएं। 

धनु


देव गुरु आपकी राशि से द्वादश भाव में गोचर करेंगे। कुंडली में बारहवां भाव व्यय भाव कहा जाता है। इससे धन का व्यय, मानसिक क्लेश, दुर्घटना, दंड और मोक्ष के बारे में विचार किया जाता है। गुरु का द्वादश भाव में स्थित होना धनु राशि के जातकों के लिए शुभ संकेत नहीं है। इस अवधि में आपकी आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। क्योंकि आय कम और खर्च अधिक होंगे। बनते हुए कामों में अड़चनें आएंगी और परेशानी उत्पन्न करेगी। इसका असर आपके कार्यक्षेत्र यानि नौकरी और व्यवसाय पर देखने को मिल सकता है, इसलिए धैर्य रखें और ईमानदारी से काम करते रहें। इस दौरान धार्मिक कार्यों में आपकी रुचि बढ़ेगी। वहीं शुभ कार्यों पर आप धन खर्च करेंगे। 

उपाय: अपने गुरुजनों और वृद्धों का सम्मान करें तथा प्रतिदिन मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। 

मकर


गुरु का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में होगा। कुंडली में ग्यारहवें भाव लाभ और आमदनी का भाव होता है। यह भाव व्यवसाय से होने वाले लाभ, उच्च शिक्षा और व्यक्ति की कामना आदि को दर्शाता है। गोचर के गुरु का एकादश भाव में स्थित होना मकर राशि वालों के बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। इस अवधि में नये कार्यों की योजना बनेगी और आप उन्हें साकार करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। भाग्य में वृद्धि होगी और किस्मत का साथ मिलने से हर काम में सफलता प्राप्त होगी। इस दौरान आप अपने प्रियजन या प्रियतम से मिल सकते हैं। नौकरी और व्यवसाय से जुड़े कार्यों में सफलता प्राप्त होगी और आप प्रसन्न रहेंगे।

उपाय: अपनी जेब में एक पीले रंग का रुमाल रखें और उसे गंदा ना होने दें तथा किसी से झूठा वादा ना करें। 

कुंभ


गुरु आपकी राशि से दशम भाव में संचरण करेंगे। कुंडली में दसवें भाव से करियर, व्यवसाय और आजीविका का बोध होता है। गोचर के गुरु का दशम भाव में स्थित होना कुंभ राशि वालों के लिए अनुकूल होने की संभावना कम है। इस दौरान आप धोखे के शिकार हो सकते हैं, इसलिए थोड़ा सतर्क रहें। अगर नौकरी और बिजनेस में कोई अड़चन चली आ रही है तो इस अवधि में ये तमाम बाधाएँ दूर होंगी और आपको धन लाभ होगा। आर्थिक दृष्टि से गुरु का यह गोचर अधिक लाभकारी नहीं होगा। क्योंकि इस अवधि में आय की तुलना में खर्च अधिक होगा। इसलिए फिजूलखर्ची पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता होगी।

उपाय: बृहस्पतिवार के दिन पीपल तथा केले के वृक्ष की पूजा करें और उन्हें जल चढ़ाएं। 

मीन


देवगुरु बृहस्पति आपकी राशि से नवम भाव में संचरण करेंगे। कुंडली में नवम भाव को भाग्य व धर्म का भाव कहा जाता है। इससे भाग्य, तीर्थ, कानूनी मामले और विदेश यात्राओं आदि के बारे में विचार किया जाता है। गुरु के भाग्य भाव में स्थित होना मीन राशि के जातकों के लिए एक शुभ संकेत दे रहा है। इस अवधि में बृहस्पति की कृपा से आपको किस्मत का साथ मिलेगा और उनके बिगड़े कामों में सुधार होने लगेगा। इस अवधि में आप कोई जमीन या नया वाहन खरीद सकते हैं। प्रियजनों से मुलाकात होने की संभावना बनेगी। संतान पक्ष से सुख की प्राप्ति होगी या संतान संबंधी सुख प्राप्त होगा।

उपाय: अपने घर में किसी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन करें और ब्राह्मणों को भोजन करा कर दक्षिणा दें। 

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