जानें कलश स्थापना का मुहूर्त और विधि! पढ़ें 10 अक्टूबर से शुरू होकर 18 अक्टूबर तक चलने वाली शारदीय नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ रूपों के पूजन का महत्व और नौ दिनों तक किये जाने वाले धार्मिक कर्म।
नवरात्रि दो शब्दों की संधि से मिलकर बना शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है नौ रातें। इन रातों में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में भक्त अपने तप और साधना से देवी दुर्गा की विशेष कृपा व सिद्धियां प्राप्त करता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के जिन नौ रूपों की पूजा की जाती है वे क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघण्टा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा होती है। पूजा से पूर्व घटस्थापना कर समस्त देवी-देवताओं और माँ का आह्वान किया जाता है। इसके बाद नौ दिनों तक माँ के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है।
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शरद नवरात्रि 2018 घटस्थापना मुहूर्त | |
घटस्थापना करने का समय | 06:18:40 से 07:26:58 तक |
अवधि | 1 घंटा 8 मिनट |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में घटस्थापना का मुहूर्त, नियम और विधि
नवदुर्गा की महिमा
दुर्गा दुर्गति नाशिनी, निश्चित रूप से माँ दुर्गा दुर्गति का नाश करने वाली हैं। इस सृष्टि की आदि शक्ति माँ दुर्गा ही हैं। पितामह ब्रह्मा, भगवान विष्णु एव भगवान शिव उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन व संहार करते हैं।
नवरात्रि पूजा विधि
- प्रातःकाल उठें और स्नान करने के बाद पूजा की थाली सजाएँ
- माँ दुर्गा की प्रतिमा पर लाल रंग के वस्त्र चढ़ाएँ
- मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रतिदिन इनमें पानी डालें
- शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियाँ लगाएं और ऊपर नारियल रखें। कलश से लाल कपड़े को लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बाँधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें
- फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योति के साथ पंचोपचार पूजा करें
- नौ दिनों तक माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें
- अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं
- आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें माँ की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं
नवरात्रि में अखंड ज्योति
नवरात्रि में अखंड ज्योति का विशेष महत्व है, जिसे प्रज्ज्वलित करने से जीवन से अंधकार दूर हो जाता है। इसलिए नवरात्रि में माता के भक्तों को अपने घरों में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करना चाहिए। इससे समस्त बाधाएँ, कष्ट, परेशानियाँ और रोग आदि दूर होते हैं। वेदों में ऋषि-मुनियों ने लिखा है कि अखंड ज्योति का प्रभाव मनुष्य के जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से देखा जाता है।
नवरात्रि में कुमारी पूजन
कुमारी पूजन नवरात्रि व्रत में किया जाने वाला विशेष कर्म है। कुंवारी कन्याएँ जगज्जननी माँ जगदंबा का स्वरूप माना जाता है। इसलिए नवरात्रि में कुमारी पूजन किया जाता है। इसमें अपनी सामर्थ्य के अनुसार नौ दिन, सात, पांच या तीन दिन तक एक कन्या को देवी स्वरुप मानकर उनका पूजन कर उन्हें भोजन कराना चाहिए।
नवरात्रि में क्या करें
- नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना और व्रत रखने वाले जातक को ब्रह्मचर्य व्रत का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए।
- उपवास के समय दूध, फल और शाकाहारी भोजन ग्रहण करें। वे व्यक्ति जो सुबह खाली पेट नहीं रह सकते हैं, वे दूध या शर्बत का सेवन कर सकते हैं।
- इन नौ दिनों में भूमि शयन यानि जमीन पर सोना चाहिए। इससे शरीर चुस्त रहता है।
नवरात्र में नौ रंग और उनका महत्व
नवरात्रि में हर दिन का एक रंग तय होता है। कहते हैं कि इन रंगों के इस्तेमाल से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- प्रतिपदा के दिन पीला रंग
- द्वितीया के दिन हरा रंग
- तृतीया के दिन भूरा रंग
- चतुर्थी के दिन नारंगी रंग
- पंचमी के दिन सफेद रंग
- षष्ठी के दिन लाल रंग
- सप्तमी के दिन नीला रंग
- अष्टमी के दिन गुलाबी रंग
- नवमी के दिन बैंगनी रंग
नवरात्रि में आदि शक्ति माँ दुर्गा की आराधना का विशेष महत्व है। इन नौ दिनों में माँ अपने भक्तों के दुःख-दर्द और रोगों को दूर करती है और उन्हें सुख-समृद्धि व खुशहाली प्रदान करती हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
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