इस मुहूर्त में करें माता महागौरी की पूजा! पढ़ें नवरात्रि पर अष्टमी पूजन का महत्व और इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्म।
नवरात्रि में अष्टमी पूजन का बड़ा महत्व है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म से संबंधित विभिन्न समुदायों में नवरात्रि के अष्टमी पूजन का विशेष विधान है। हर परिवार में नवरात्रि पर अष्टमी पूजन अपनी कुल परंपराओं के अनुसार होता है। नवरात्रि के अष्टमी पूजन पर कई धार्मिक अनुष्ठान और अपनी कुल परंपराओं के अनुसार मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य भी किये जाते हैं। शारदीय नवरात्रि 2018 में अष्टमी पूजन आज यानि 17 अक्टूबर को किया जा रहा है।
नवरात्रि अष्टमी पूजा मुहूर्त | |
16 अक्टूबर 2018 | 10:18:29 से अष्टमी तिथि आरम्भ |
17 अक्टूबर 2018 | 12:51:47 पर अष्टमी समाप्त |
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में अष्टमी पूजा का मुहूर्त
विशेष : नवमी तिथि 17 अक्टूबर को 12:51:47 के बाद प्रारम्भ होगी और 18 अक्टूबर को दोपहर बाद 15:30:41 तक उपस्थित रहेगी। इस कारण नवमी की पूजा 18 अक्टूबर 2018 को करनी चाहिए।
माता महागौरी की आराधना
महागौरी देवी माँ दुर्गा का आठवाँ रूप हैं। यह माँ दुर्गा का बेहद शांत एवं निर्मल स्वरूप है। वृषभ इनका वाहन है। सच्चे मन से यदि माँ की उपासना की जाए तो यह भक्तों के हर कष्ट को दूर करती हैं। मान्यता है कि माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए महागौरी का जन्म लिया था। इसके लिए उन्होंने कड़ी तपस्या की थी। इस कड़े तप के कारण माँ पार्वती का रंग काला हो गया था। उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा।
विस्तार से पढ़ें: माता महागौरी की महिमा
अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व
नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजा का बड़ा महत्व है। इस दिन विशेष रूप से कन्याओं की पूजा की जाती है। 2 से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन और उन्हें भोजन व दक्षिणा देना चाहिए। मान्यता है कि कन्या के रूप में मॉं दुर्गा के नौ रूपों के पूजन से मॉं प्रसन्न होती हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
कुमारी- वे बालिकाएँ जिनकी आयु दो वर्ष की होती हैं। उनका पूजन करने से दुःख और दरिद्रता का नाश होता है।
त्रिमूर्ति- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 3 वर्ष होती है। इनकी पूजा करने से पुत्र और पौत्र की प्राप्ति होती है।
कल्याणी- वे बेटियां जिनकी आयु 4 वर्ष तक होती है, उनका पूजन करने से विद्या और सुख-समृद्धि मिलती है।
रोहिणी- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 5 तक होती है। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है।
कालिका- वे कन्याएं जिनकी आयु 6 वर्ष होती है, उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
चण्डिका- वे बालिकाएँ जिनकी आयु 7 वर्ष होती है। इनके पूजन से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।
शाम्भवी- वे कन्याएँ जिनकी आयु 8 वर्ष होती है, उनके पूजन से हर क्षेत्र में विजय और सफलता मिलती है।
दुर्गा- 9 वर्ष की उम्र की कन्याओं का पूजन दुर्गा के रूप में किया जाता है। इनकी पूजा के प्रभाव से परलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है।
सुभद्रा- 10 वर्ष की आयु वाली कन्याओं को सुभद्रा के रूप में पूजा जाता है। इनके पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है।
हम आशा करते हैं कि नवरात्रि अष्टमी पूजन पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की शुभकामनाएँ!
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