पढ़ें माँ सिद्धिदात्री की महिमा और महत्व! आज 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है नवरात्रि नवमी पूजन, जानें पारण का मुहूर्त और अगले दिन होने वाले दुर्गा विसर्जन का समय।
आज शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि और यह नवरात्र के समापन का दिन है। नवमी के अवसर पर आज देशभर के दुर्गा पंडालों और घरों में माँ दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। नवरात्रि की नवमी पर देवी दुर्गा के माँ सिद्धिदात्री रूप की जाती है। आज नवमी पर कई जगहों पर भंडारे और कन्या पूजन का आयोजन होता है। आइये जानते हैं नवरात्रि की नवमी तिथि का महत्व, पारण का मुहूर्त और 19 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन का समय।
शारदीय नवरात्रि पारण मुहूर्त | |
18 अक्टूबर 2018, गुरुवार | 15:30:41 के बाद से |
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त | |
19 अक्टूबर 2018, शुक्रवार | 06:24:02 से 08:40:50 तक |
अवधि | 2 घंटे 16 मिनट |
सूचना: उपरोक्त समय नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में पारण मुहूर्त और दुर्गा विसर्जन का समय
माँ सिद्धिदात्री
माँ सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है सिद्धि को देने वाली। यह माँ दुर्गा का नौवाँ और अंतिम रूप है। देवी का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है। यदि कोई साधक पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से माँ के इस रूप की आराधना करता है तो उसकी सारी साधनाएं सिद्ध होती हैं और यदि किसी भक्त पर इनकी कृपा हो जाए तो वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवमी तिथि को दुर्गा महानवमी पूजा होती है। इस दिन विशेष हवन किया जाता है और हवन में सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दी जाती है।
पढ़ें: माँ सिद्धिदात्री की महिमा
नवरात्रि पारण
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पारण दशमी तिथि को किया जाता है। पारण मुहुर्त में नौ दिनों तक चलने वाले व्रत को विधि-विधान से खोला जाता है। पारण के बाद ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि दी जाती है, साथ ही 9 कन्याओं को भी ये वस्तुएं कन्या पूजन के बाद देनी चाहिए।
सिंदूर उत्सव
दुर्गा पूजा के समय सिंदूर उत्सव पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली एक अनोखी परंपरा है। सिंदूर उत्सव को सिंदूर खेला भी कहते हैं। विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन से पहले सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। इस अवसर पर विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और शुभकामनाएं देती हैं।
दुर्गा विसर्जन
दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है। दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात:काल या अपराह्न काल में विजयादशमी तिथि लगने पर शुरू होता है इसलिए प्रात: काल या अपराह्न काल में जब विजयादशमी तिथि व्याप्त हो, तब मॉं दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाना चाहिए।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को दुर्गा नवमी की शुभकामनाएँ!
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