आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं I यह एक शुरुआत है, आज का विषय है 'स्वभाव एवं कारकत्व'I
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
ज्योतिष के 2 मिनट कोर्स में फिर से आपका स्वागत है। अब समझेंगें ग्रहों के कारकत्व और स्वाभाव के बारे में। ग्रहों को ज्योतिष मैं जीव की तरह माना जाता है। ग्रहों का एक 'स्वाभाव' होता है और 'कारकत्व' भी होता है। कारकत्व मतलब प्रभाव क्षेत्र। दुनिया कि सभी वस्तुओं को नौ ग्रहों के अन्तर्गत रखा गया है। कुछ मुख्य मुख्य कारकत्व की चर्चा करेंगे।
सूर्य का कारकत्व है - राजा, पिता, तांबा, हृदय आदि ।
उदाहरण के तौर पर अगर किसी की कुण्डली में सूर्य खराब है तो पिता, हृदय आदि कारकत्व प्रभावित होंगे। दूसरे शब्दों में व्यक्ति को पिता का प्रेम नहीं मिलेगा, हृदय रोग होंगे आदि।
कारकत्व के अलावा ग्रहों के स्वाभाव को जानना भी जरूरी है।
सूर्य का स्वाभाव है - लाल रंग, पुरुष, क्षत्रिय जाति, पाप ग्रह, सत्वगुण प्रधान, अग्नि तत्व, पित्त प्रकृति ।
मान लीजिए कि किसी का लग्न में सूर्य है तो सूर्य का क्षत्रिय स्वाभाव होने से वह आक्रामक होगा। सूर्य का पुरुष स्वाभाव है उदाहरण के तौर पर अगर किसी स्त्री की कुण्डली में सूर्य लग्न में हो तो वह पुरुषों की तरह आक्रामक और आजाद ख्याल की होगी।
उम्मीद है कि अब आप ग्रहों के कारकत्व और स्वाभाव में फरक समझ गए होंगे। सूर्य के बारे में हमने जान लिया है अब चन्द्र के बारे में जानते हैं।
स्त्री, वैश्य जाति, सौम्य ग्रह, सत्वगुण, जल तत्व, वात कफ प्रकृति आदि चंद्र का स्वाभाव है।
सफेद रंग, माता, मन, चांदी, चावल आदि पर चंद्र अपना प्रभाव रखता है।
लग्न में चन्द्र हों तो व्यक्ति में स्त्री सदृश गुण हो सकते हैं। यदि चंद्र खराब हो तो चंद्र के कारकत्व जैसे माता का सुख नहीं मिलेगा।
इस वीडियो में इतना ही। नमस्कार।
पुनीत पाण्डे
I appriciat your afforts about teaching astrology, do you have any book regarding teaching astrology I would like to buy one
ReplyDeleteRegards
Sanjeev
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DeleteUseful knowledge
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