नारी के बिना सृष्टि की कल्पना करना असमभव है। नारी को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, कभी सावित्री तो कभी काली या दुर्गा। नारी सदा से ही अपने परिवार कि रक्षा के लिए अग्रसर रही है। आइये जानें नारी दिवस पर, क्या हैं हमारे ज्योतिषी पं. हनुमान मिश्रा के विचार।
आज नारी दिवस है, वह नारी जिसके बिना हम सृष्टि के प्रगति की कल्पना भी नहीं कर सकते। यह वही नारी है जिसने सीता के रूप में अपने मर्यादित होने का उत्कृष्ट प्रमाण दिया है, सावित्री के रूप में अपने पति व परिवार की रक्षा के लिए यमराज तक को पराजित कर दिया वहीं दुर्गा व काली के रूप में अराजक तत्त्वों का विध्वंस करने में भी इससे अग्रणी कोई नहीं रहा है। लेकिन यह शास्वत नियम है कि समय सबकी परीक्षा लेता है। सबके अच्छे और बुरे दिन आते हैं अत: कई बार नारियों को विसंगतियों से भी दो चार होना पड़ा है।
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भारत को आज़ाद हुए इतने वर्ष हो चुके हैं। नारी संरक्षण को लेकर अनेक तथाकथित योजनाएँ और कानून बनाए गए हैं लेकिन ऐसा लगता है मानो ये सब दिखावे के लिए हो।
आज़ाद भारत की कुण्डली से हम नारी की इस दशा को बखूबी देख सकते हैं। कुण्डली के सप्तम भाव में केतु की उपस्थिति और सप्तमेश मंगल का राहु के नक्षत्र में होना इस बात का संकेत कर रहा है कि इस देश में महिलाओं के मामले दिखावा अधिक रहेगा। क्योंकि यहाँ सप्तमेश स्वयं राहु के नक्षत्र में है अत: कुछ ऐसी महिलाएँ जिन्हें सामान्य महिलाएँ अपना आदर्श मान रही होंगी वो स्वयं ही अपनी सही दिशा का निर्धारण नहीं कर पा रही होंगी, अत: उनका अनुसरण करनी वाली भला सहजता से सही दिशा कैसे पा सकेंगी?
सप्तमेश मंगल है जो बुध यानी व्यापारी ग्रह की राशि में और राहु यानी मायाधिपति के नक्षत्र में है, अत: नारी को भ्रमित करने में उच्च पद आसीन महिलाएँ बल्कि पुरुषों का भी बड़ा हाथ रहता है। सप्तमेश के बुध की राशि में होने के कारण, अतिमहत्त्वाकांक्षा कहें या विवशता लेकिन आज की कुछ नारियों पर बुध और राहु-केतु का प्रभाव प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। फलत: नारी उपभोक्ता की वस्तु बनी, अपने शारीरिक सौन्दर्य का मूल्य वसूलती विज्ञापनों के माध्यम से कभी साबुन, तो कभी सौंदर्य प्रसाधन आदि बेचती है।
सप्तमेश मंगल पर राहु के प्रभाव के कारण तथाकथित नारी के रक्षक उसे रक्षा,सुरक्षा और आरक्षण-संरक्षण के नाम पर भी शोषण करते पाए जाते हैं। मंगल राहु के इसी प्रभाव के कारण भारतीय नारी का एक बहुत बड़ा तबका बलात्कार का शिकार होता रहता है।
भारत की कुण्डली को देखते हुए तो यही लगता है कि शासन प्रशासन या तो दिल से प्रयास करेगा नहीं यदि करता भी है तो वह प्रयास इतना रंग नहीं ला पाएगा कि भारतीय नारी पूर्ण रूपेण सुरक्षित रहे। अत: नारी को स्वयं जागरुक होना पड़ेगा।
समाज में छिपे उन सौदागरों को पहचानना होगा कि नारी शक्ति को मनोरंजन की वस्तु बनाने पर तुले हैं। स्वतंत्रता का नाम देकर लोग नारी को एक ऐसी अंधी दौड़ में शामिल कर रहे हैं जो नारी के अस्तित्व को समाप्त करती है।
संचार साधनों द्वारा वासना का नंगा नाच और उस पर बलात्कार की घटनाओं में वृध्दि के बढ़ते आंकड़े, हमें सोचने पर विवश करते हैं कि हमारा समाझ और हमारा कानून जो कि जानता है कि समस्या का समाधान क्या है लेकिन फिर भी वह मूक दर्शक बना देखता रहता है। कानून पर कानून बनते हैं और इसी तरह अपराध पर अपराध होते हैं। बलात्कार की घटनाएं हों या अन्य सामाजिक अपराध की घटनाएं, सब घटित होती रहती है और इसके साथ ही समाज के बुध्दिजीवियों और समाज सुधारकों द्वारा हाय-तौबा, नारेबाजी, प्रदर्शन रैलियां आदि भी निकलती रहती हैं। लेकिन इन सबका कोई फायदा नहीं होता।
अत: भारतीय नारी को यह बात दिल और दिमाग दोनो से पूरी तरह समझनी होगी कि नारी अपने आप में इतनी महत्त्वपूर्ण है कि वह पुरुषों से किसी मामलें में कम नहीं है। लेकिन प्रकृति की मर्यादा और नियमों के अनुसार यदि वह नारी ही रहे तो उसका महत्त्व कम होने की बजाय बढ़ता ही रहेगा। क्योंकि पुरुष की समानता करते-करते अपने नारीत्व के मौलिक गुणों को खो देगी जो कि प्रकृति के विरुद्ध होगा। नारी अपने आपमें इतनी विशेष है कि वह कई मामलों में पुरुषों से आगे है अर्थात नारी अतुलनीय है। नारी वंदनीय व पूज्यनीय है अत: बराबरी करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
पं. हनुमान मिश्रा
आज नारी दिवस है, वह नारी जिसके बिना हम सृष्टि के प्रगति की कल्पना भी नहीं कर सकते। यह वही नारी है जिसने सीता के रूप में अपने मर्यादित होने का उत्कृष्ट प्रमाण दिया है, सावित्री के रूप में अपने पति व परिवार की रक्षा के लिए यमराज तक को पराजित कर दिया वहीं दुर्गा व काली के रूप में अराजक तत्त्वों का विध्वंस करने में भी इससे अग्रणी कोई नहीं रहा है। लेकिन यह शास्वत नियम है कि समय सबकी परीक्षा लेता है। सबके अच्छे और बुरे दिन आते हैं अत: कई बार नारियों को विसंगतियों से भी दो चार होना पड़ा है।
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भारत को आज़ाद हुए इतने वर्ष हो चुके हैं। नारी संरक्षण को लेकर अनेक तथाकथित योजनाएँ और कानून बनाए गए हैं लेकिन ऐसा लगता है मानो ये सब दिखावे के लिए हो।
आज़ाद भारत की कुण्डली से हम नारी की इस दशा को बखूबी देख सकते हैं। कुण्डली के सप्तम भाव में केतु की उपस्थिति और सप्तमेश मंगल का राहु के नक्षत्र में होना इस बात का संकेत कर रहा है कि इस देश में महिलाओं के मामले दिखावा अधिक रहेगा। क्योंकि यहाँ सप्तमेश स्वयं राहु के नक्षत्र में है अत: कुछ ऐसी महिलाएँ जिन्हें सामान्य महिलाएँ अपना आदर्श मान रही होंगी वो स्वयं ही अपनी सही दिशा का निर्धारण नहीं कर पा रही होंगी, अत: उनका अनुसरण करनी वाली भला सहजता से सही दिशा कैसे पा सकेंगी?
सप्तमेश मंगल है जो बुध यानी व्यापारी ग्रह की राशि में और राहु यानी मायाधिपति के नक्षत्र में है, अत: नारी को भ्रमित करने में उच्च पद आसीन महिलाएँ बल्कि पुरुषों का भी बड़ा हाथ रहता है। सप्तमेश के बुध की राशि में होने के कारण, अतिमहत्त्वाकांक्षा कहें या विवशता लेकिन आज की कुछ नारियों पर बुध और राहु-केतु का प्रभाव प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। फलत: नारी उपभोक्ता की वस्तु बनी, अपने शारीरिक सौन्दर्य का मूल्य वसूलती विज्ञापनों के माध्यम से कभी साबुन, तो कभी सौंदर्य प्रसाधन आदि बेचती है।
सप्तमेश मंगल पर राहु के प्रभाव के कारण तथाकथित नारी के रक्षक उसे रक्षा,सुरक्षा और आरक्षण-संरक्षण के नाम पर भी शोषण करते पाए जाते हैं। मंगल राहु के इसी प्रभाव के कारण भारतीय नारी का एक बहुत बड़ा तबका बलात्कार का शिकार होता रहता है।
भारत की कुण्डली को देखते हुए तो यही लगता है कि शासन प्रशासन या तो दिल से प्रयास करेगा नहीं यदि करता भी है तो वह प्रयास इतना रंग नहीं ला पाएगा कि भारतीय नारी पूर्ण रूपेण सुरक्षित रहे। अत: नारी को स्वयं जागरुक होना पड़ेगा।
समाज में छिपे उन सौदागरों को पहचानना होगा कि नारी शक्ति को मनोरंजन की वस्तु बनाने पर तुले हैं। स्वतंत्रता का नाम देकर लोग नारी को एक ऐसी अंधी दौड़ में शामिल कर रहे हैं जो नारी के अस्तित्व को समाप्त करती है।
संचार साधनों द्वारा वासना का नंगा नाच और उस पर बलात्कार की घटनाओं में वृध्दि के बढ़ते आंकड़े, हमें सोचने पर विवश करते हैं कि हमारा समाझ और हमारा कानून जो कि जानता है कि समस्या का समाधान क्या है लेकिन फिर भी वह मूक दर्शक बना देखता रहता है। कानून पर कानून बनते हैं और इसी तरह अपराध पर अपराध होते हैं। बलात्कार की घटनाएं हों या अन्य सामाजिक अपराध की घटनाएं, सब घटित होती रहती है और इसके साथ ही समाज के बुध्दिजीवियों और समाज सुधारकों द्वारा हाय-तौबा, नारेबाजी, प्रदर्शन रैलियां आदि भी निकलती रहती हैं। लेकिन इन सबका कोई फायदा नहीं होता।
अत: भारतीय नारी को यह बात दिल और दिमाग दोनो से पूरी तरह समझनी होगी कि नारी अपने आप में इतनी महत्त्वपूर्ण है कि वह पुरुषों से किसी मामलें में कम नहीं है। लेकिन प्रकृति की मर्यादा और नियमों के अनुसार यदि वह नारी ही रहे तो उसका महत्त्व कम होने की बजाय बढ़ता ही रहेगा। क्योंकि पुरुष की समानता करते-करते अपने नारीत्व के मौलिक गुणों को खो देगी जो कि प्रकृति के विरुद्ध होगा। नारी अपने आपमें इतनी विशेष है कि वह कई मामलों में पुरुषों से आगे है अर्थात नारी अतुलनीय है। नारी वंदनीय व पूज्यनीय है अत: बराबरी करने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
पं. हनुमान मिश्रा
Sahi. Kaha. H ji aapne
ReplyDeleteBarabari. Karna. Apne. Aap.me. Apna. Smman kam. Karna. H
वाह आज तो हम आप के दिवाने हो गये, आप ने बहुत ही अच्छा लिखा है, आप का वेक्तितव बहुत ही अच्छा है, समाज को इस से नई दिशा मिलेगी, धन्यवाद
ReplyDeletePundit g. Mai b pundit hu. Par jo hamare desh ki Kundali h us me yo kafi asub asar h. Kundali to insano ki banai ja sakti h jo jite h aur marte h. Agar hamare desh k pandit it ne hosiyar hote to kya unko pata nahi tha ki hamara desh angrezo ka gulam ban ne wala h? Tab upay kya kare honge? Desh kya g ya mar sakta h? Kya ap kundali se desh ki shadi ya santan ka yog bata sakte h? Ye desh ki Kundali banana bilkul bekar h. Kyuki is Kundali ka koi upay nahi. Iska saf mat lab h ki hamare desh me balat kar ruk nahi sakte. Ya fir hamare desh me sabi aurate kun ka badla kun se hatya ka badla hatya se kare kanun khud bane to balatkar ek din 0 ho sakte h. Mera dava h!
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