फलादेश के पंद्रह महत्‍वपूर्ण नियम

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आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-

ग्रहों के शुभ और अशुभ फल जानने के लिए 15 नियम बताता हूं जिससे आप यह जान पाएंगें कि कोई ग्रह शुभ है या अशुभ।



नियम 1 - जो ग्रह अपनी उच्‍च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो - शुभ फल देगा। इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में ग्रह अशुभ फल देगा।

नियम 2 - जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है वह देखे जाने वाले भाव के लिए शुभ फल देता है।

नियम 3 - जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों और शुभ ग्रहों के साथ या मध्‍य हो वह शुभ फलदायक होता है। मध्‍य का मतलब अगली और पिछली राशि में ग्रह।

नियम 4
- जो ग्रह अपनी नीच राशि से उच्‍च राशि की ओर भ्रमण करे और वक्री न हो।



नियम 5 - जो ग्रह लग्‍नेश का मित्र हो।

नियम 6 - त्रिकोण के स्‍वामी सदा शुभ फल देते हैं।

नियम 7 - केन्‍द्र का स्‍वामी शुभ ग्रह अपनी शुभता छोड देता है और अशुभ ग्रह अपनी अशुभता छोड देता है।

नियम 8 - क्रूर भावों (3, 6, 11) के स्‍वामी सदा अशुभ फल देते हैं।

नियम 9 - उपाच्‍य भावों (1, 3, 6, 10, 11) में ग्रह के कारकत्‍व में वृद्धि होती है।

नियम 10
- दुष्‍ट स्‍थानों (6, 8, 12) में ग्रह अशुभ फल देते हैं।

नियम 11
- शुभ ग्रह केन्‍द्र (1, 4, 7, 10) में शुभफल देते हैं, पाप ग्रह केन्‍द्र में अशुभ फल देते हैं।

नियम 12
- पूर्णिमा के पास का चन्‍द्र शुभफलदायक और अमावस्‍या के पास का चंद्र अशुभफलदायक होता है।

नियम 13 - चन्‍द्र की राशि, उसकी अगली और पिछली राशि में जितने ज्‍यादा ग्रह होते हैं, चन्‍द्र उतना ही शुभ होता है।

नियम 14 - बुध, राहु और केतु जिस ग्रह के साथ होते हैं वैसा ही फल देते हैं।

नियम 15 - सूर्य के निकट ग्रह अस्‍त हो जाते हैं और अशुभ फल देते हैं।


पुनीत पाण्डे

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