आएँ, ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में। अब आप ज्योतिष और भी आसानी से सीख सकते हैं, क्योंकि हम आपको ज्योतिष सीखने की एक शृंखला दे रहे हैं । आज का विषय है ‘सफलता और समृद्धि के योग ’।
आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-
नमस्कार। किसी कुण्डली में क्या संभावनाएं हैं यानि कि कुण्डली वाला व्यक्ति जीवन में किन उंचाइयों को छूएगा यह ज्योतिष में योगों से देखा जाता है। भारतीय ज्योतिष में हजारों योगों के बारे में बताया गया है लेकिन मैं एक आसान तरीका बताता हूँ जिसके द्वारा आप कुण्डली देखते ही अंदाज लगा सकते हैं कि व्यक्ति की जीवन में क्या स्थिति रहेगी - व्यक्ति प्रधानमंत्री बनेगा या भिखारी। व्यक्ति बिल गेट्स या सचिन तेण्डुलकर बन सकता है कि नहीं।
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किसी कुण्डली की संभावना इन चार बातों से पता लगाई जा सकती है
1- लग्न की शक्ति
2- चन्द्र की शक्ति
3- सूर्य की शक्ति
4- दशम भाव की शक्ति
किसी ग्रह की स्थिति देखने के लिए 15 नियम पहले ही बता चुका हूँ। अगर लग्नेश, चंद्र राशि का स्वामी, सूर्य राशि का स्वामी, और दसवें भाव का स्वामी 15 नियम के हिसाब से शुभ हो तो कुण्डली की संभावना बढ़ेगी।
साथ ही हमें लग्न यानि पहला भाव, चंद्र राशि वाला भाव, सूर्य राशि वाला भाव, और दशम राशि वाला भाव भी देखना पड़ेगा। जब किसी भाव को देखना हो तो 15 में से चार बातों का विशेष ध्यान रखें -
1. भाव में शुभ ग्रह होने से भाव को बल मिलता है।
2. भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि भी भाव का बल बढ़ाती है।
3. भाव पर भावेश की दृष्टि से भी भाव को बल मिलता है।
4. भाव के दौनों ओर शुभ ग्रह होने से भी भाव का बल बढ़ता है।
इसके विपरीत अशुभ ग्रह होने पर भाव का फल घटता है। यानि भाव में पाप ग्रह, भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि, दौनों तरफ यानि कि अगले और पिछले भाव में पाप ग्रह, भाव को नुकसान पहुंचाते हैं।
यह चार नियम भाव को देखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और इसे कभी न भूलें। यानि कि भाव का बल इन चार नियमों से देखें और भावेश का बल पहले बताए हुए 15 नियमों से देखें। इसके नियम के आधार पर लग्न, चंद्र, सूर्य और दशम की स्थिति देखकर आप किसी भी कुण्डली वाले व्यक्ति की जीवन स्थिति आसानी से पता लगा सकेंगे। इस वीडियो में इतना ही, धन्यवाद।
पुनीत पाण्डे
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1- लग्न की शक्ति
2- चन्द्र की शक्ति
3- सूर्य की शक्ति
4- दशम भाव की शक्ति
किसी ग्रह की स्थिति देखने के लिए 15 नियम पहले ही बता चुका हूँ। अगर लग्नेश, चंद्र राशि का स्वामी, सूर्य राशि का स्वामी, और दसवें भाव का स्वामी 15 नियम के हिसाब से शुभ हो तो कुण्डली की संभावना बढ़ेगी।
साथ ही हमें लग्न यानि पहला भाव, चंद्र राशि वाला भाव, सूर्य राशि वाला भाव, और दशम राशि वाला भाव भी देखना पड़ेगा। जब किसी भाव को देखना हो तो 15 में से चार बातों का विशेष ध्यान रखें -
1. भाव में शुभ ग्रह होने से भाव को बल मिलता है।
2. भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि भी भाव का बल बढ़ाती है।
3. भाव पर भावेश की दृष्टि से भी भाव को बल मिलता है।
4. भाव के दौनों ओर शुभ ग्रह होने से भी भाव का बल बढ़ता है।
इसके विपरीत अशुभ ग्रह होने पर भाव का फल घटता है। यानि भाव में पाप ग्रह, भाव पर पाप ग्रहों की दृष्टि, दौनों तरफ यानि कि अगले और पिछले भाव में पाप ग्रह, भाव को नुकसान पहुंचाते हैं।
यह चार नियम भाव को देखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं और इसे कभी न भूलें। यानि कि भाव का बल इन चार नियमों से देखें और भावेश का बल पहले बताए हुए 15 नियमों से देखें। इसके नियम के आधार पर लग्न, चंद्र, सूर्य और दशम की स्थिति देखकर आप किसी भी कुण्डली वाले व्यक्ति की जीवन स्थिति आसानी से पता लगा सकेंगे। इस वीडियो में इतना ही, धन्यवाद।
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